समय के बनें पाबंद समय न ठहरा, न ठहरेगा

 

 जो इन्सान समय का पाबंद हो, जो हर स्थान पर दिये समय के अनुसार पहुंचे, उसके बारे में अक्सर क्यों यह धारणा बना ली जाती है कि इस इन्सान के पास ज्यादा या फालतू समय है क्योंकि यह हमेशा पहले पहुंचता है।
क्यों आजकल नुक्सान या नमोशी उस इन्सान को झेलनी पड़ती है जो समय की कद्र करके, निश्चित समय पर हर हाल में पहुंचे?
आजकल ऐसा लगता है कि समय की कद्र करना गुनाह या कोई बहुत बड़ा पाप हो गया है। डाक्टर से मुलाकात से लेकर स्कूलों की अभिभावक-अध्यापक बैठक में भी दिये गये समय पर न पहुंच कर दुनिया पता नहीं क्या साबित करना चाहती है, और अपने बच्चों या छोटों के लिए क्या उदाहरण तय करना चाहती है?
आपने किसी डाक्टर से मुलाकात के लिए समय लिया हो और निश्चित समय पर पहुंचो तथा जा कर पता चलता है कि अभी समय लगेगा, अभी तीन मरीज़ लाईन में हैं, क्योंकि जिसका नम्बर एक घंटा पहले था, वह एक घंटा लेट हो गये। ऐसे लोगों की लेट-लतीफी की सज़ा निर्धारित समय पर आने वालों को क्यों? हमारे हर प्रकार के व्यवसाय के प्रबन्धकों को भी यह समझने की ज़रूरत है कि समय के पाबंद व्यक्ति के साथ यह बर्ताव हरगिज़ नहीं अपनाया जाना चाहिए। यह व्यवहार उससे होना चाहिए जिसने समय पर न पहुंच कर अन्यों का प्रबंध खराब किया। परन्तु अफसोस, समाज में समय के पाबन्द इन लोगों की कद्र करने वाले लोग बहुत कम हैं।
समय का पाबन्द होने से हमारी ज़िंदगी में अनुशासन पैदा हो जाता है जोकि हमारे व्यक्तित्व के साथ-साथ बड़ा होता जाता है। समय की पाबंदी हमारे अंदर आत्म-विश्वास पैदा करती है तथा धैर्य और सकारात्मक रवैया भी जिनकी आज हर इन्सान को ज़रूरत है। समय की पाबंदी हमारे अंदर इन दोनों चीज़ों को धीरे-धीरे पैदा करती है। सुबह समय पर उठने और प्रत्येक काम बिना देरी के निर्धारित समय पर शुरू करने से निर्धारित समय में आपका सारा काम प्राथमिकता के अनुसार हो जाता है जो समय की कद्र न कर हम गंवा देते हैं।
स्कूलों में पढ़ते समय जब मुख्य महमान अपने निश्चित समय से बहुत देरी से आते थे तो बचपन में दिमाग में एक धारणा ने घर कर लिया था कि शायद बड़े और मशहूर लोग देरी से आते हैं, तभी वह सफल हैं लेकिन जैसे-जैसे ज़िंदगी में समझ आने लगी तो पता चला कि असली सफलता समय की कद्र करने में है, दूसरों के लिए उदाहरण तय करने में है क्योंकि समय बहुत तेज़ी से बढ़ता है, किसी के लिए भी नहीं रुकता। 
समय की तेज़ रफ्तार के साथ जिसने ताल मिलाना सीख लिया, उसके लिए मंज़िल हासिल करना और चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाता है।
अत:, हमें चाहिए कि अपने समय की और दूसरों के समय की भी कद्र करना सीखें ताकि समय भी हमारी कद्र करे।