कसौली जहां प्राकृतिक दृश्य देते हैं सौन्दर्य और मुहब्बत का संदेश

चंडीगढ़ से लगभग 63 किलोमीटर दूर कालका से होते हुए, शिमला रोड पर धर्मपुर से रास्ता जाता है कसौली को। गड़खल से ऊंचे पहाड़ों की चढ़ाई चढ़ते हुए आप पहुंचेंगे पहाड़ियों की चोटी पर शोभनीय शहर कसौली में। गड़खल से कसौली तक ऊंचे हरे भरे सुन्दर पहाड़ों के दृश्य हृदय को मोह लेते हैं। दूर-दूर से नज़र आते पहाड़ी घर ऐसे नज़र आते हैं जैसे खूंटी पर खिलौने लगाए हो। छोटे-छोटे सुन्दर घर, ऊंचे वृक्ष, हरियावल, पहाड़ों पर पड़ी बर्फ, तरह-तरह के खिलते फूल, पक्षियों की चहचहाहट, शांत मनमोहक वातावरण, ठंडी हवाओं की ममतामयी सरगोशियों,से मानवता खिलखिल जाती हैं। शांति तथा प्राकृतिक प्यार का मिश्रण है कसौली। अति सुन्दर दृश्य बनाता कसौली अपने चारों ओर।
1927 मीटर की ऊंचाई पर बसा अति सुन्दर शहर कसौली अपने सौंदर्य देवदार व चीड़ के वृक्षों से पूर्ण हरे भरे प्रशांत परिवेश, प्राकृतिक दृश्य और स्वच्छता के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं। ब्रिटिश सेना द्वारा 1841 में कसौली की स्थापना की गई। इसका विकास छावनी की आरोग्यशाला के रूप में हुआ। 1990 में यहां स्थापित याश्चर संस्थान अपने प्रकार का देश का प्राचीनतम संस्थान है। यहां रेवीज़ प्रतिरोधी टीके का उत्पादन और पागल कुत्तों के काटे रोगियों का इलाज होता है।
कसौली एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस शहर में सभी आधुनिक सुविधाएं हैं। बस स्टैंड, टैक्सी स्टैंड, बाज़ार, प्राचीन इमारतें, ब्रिटिश समय की इमारतें व विश्व प्रसिद्ध स्कूल आदि यहां हैं।
कसौली का प्रसिद्ध दर्शनीय स्थान है ‘मंकी प्वाईंट’। यह बस स्टैंड से चार किलोमीटर दूर है। यहां एयरफोर्स स्टेशन है। यहां का दृश्य देखने योग है। चारों ओर दूर-दूर की पहाड़ियों पर बसे शहर साफ-साफ  नज़र आते हैं। 
‘मंकी प्वाईंट’ (एयरफोर्स स्टेशन) से ऊपर एक दीर्घ पहाड़ी पर प्राचीन हनुमान मन्दिर है जो कसौली की महत्ता को चार चांद लगाता है। यह स्थान सैर सपाटे, मनोरंजक, जिज्ञासापूर्ण तथा पढ़ाई का आनंद लेने वाला और स्मृति बिम्व बनाता है। आधा किलोमीटर चल कर ऊंची पहाड़ी का ग्रुप गेट शुरू होता है। आधा किलोमीटर के रास्ते में ऐयरफोर्स के अधिकारियों ने लोगों की सुविधा के लिए  शौचालय, कंटीन, पार्क, स्टैचू और भजन वाले स्पीकर लगाए हुए हैं। हनुमान मन्दिर जिसे श्री संजीवनी मन्दिर भी कहते हैं। नीचे से लगभग 500 मीटर ऊंची पहाड़ी पर शोभनीय है हनुमान मन्दिर। पक्की सड़क नुमां सीढियां, घुमावदार सीढियों के साथ-साथ रेलिंग लगी हुई है। 
हनुमान मन्दिर का इतिहास है कि लंका में श्री राम-रावण युद्ध के समय लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा था, उनके मूर्छा निवारण हेतु हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने हिमाचल भेजा गया था, लौटते समय उनका बायां पांव इस चोटी पर लगा था। इस भूखंड की आकृति बाएं पांव को दर्शाती है। इस मन्दिर पर एयरफोर्स का कंट्रोल है। फोटो खींचना सख्त मना है। पुजारी भी एयरफोर्स का होता है। इस मन्दिर को 1992 में आधुनिक ढंग से बनाया गया। इस स्थान से सारा चंडीगढ़, हिमाचल और हरियाणा नज़र आता है। यह पहाड़ी इतनी ऊंची है कि यहां से समस्त पहाड़ियां बौनी (नाटी) नज़र आती हैं। 
कसौली के आस-पास कई बढ़ियां स्थान देखने योग हैं। बाबा बालक नाथ मन्दिर व डगशाई। बाबा बालक नाथ मन्दिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। खास तौर पर नि:संतान दम्पति यहां आकर इच्छा फल पाते हैं। 
डगशाई यहां से लगभग 16 किलोमीटर दूर है यह हलचलहीन सुख्य बस्ती जो एक पहाड़ी पर ब्रिटिश लोगों की एक महत्त्वपूर्ण छावनी थी। 1849 में यहां एक विशाल जेल का निर्माण किया गया। स्वतंत्रता सेनानियों, विद्रोहियों और कानून तोड़ने वालों ने यहां कठोर कारावास की सजा काटी।
कसौली में मौसम के लिहाज़ से जून, अक्तूबर में खूब बारिश पड़ती है। यहां वृक्षों की औषधियां बनती हैं जैसे आमला, रामबान के अतिरिक्त कई औषधिपूर्ण पौधे पाए जाते हैं। विशेष तौर पर रसौंद के पौधे यहां होते हैं।
यहां जानवरों की संख्या में लोमड़ी, सांप, बिल्लियां, लाल बन्दर, लंगूर, जंगली सूर आदि पाए जाते हैं। कसौली के क्षेत्र में कई सौ तरह के पक्षी भी पाए जाते हैं।
यहां पर दूरदर्शन के टीवी टावर, बाज़ार, बढ़िया होटल आदि अन्य जगह देखने योग हैं। यहां हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, अंग्रेजी, पहाड़ी भाषा बोली जाती है। कसौली का विशेष आकर्षण है सुबह-शाम को सूर्य का चढना और डूबने का भव्यात्मिक दृश्य। सुबह जब घने वृक्षों से सूर्य की रौशनी टहनियों पत्तों से छन कर आती है तो सुन्दर दृश्य बनते हैं। इस तरह शाम को सूर्य डूबते समय एक अलौकिक दृश्य बनता है। यहां फोटो खींचने का अलग अनुभव है।  

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