दुनिया को सेहतमंद बनाएगा भारतीय मोटा अनाज

अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (आईवाईओएम) 2023 में जी-20 की थीम ‘मिलकर उबरेंगे, मिलकर मज़बूत होंगे’ के साथ तालमेल बिठाते हुए भारत पौष्टिकता से भरपूर मोटे अनाज के निर्यात पर अधिक जोर देकर एक सेहतमंद दुनिया बनाना चाहता है। परम्परागत रूप से उगाए और औषधीय गुणों वाले अनाज भारत की नई पहचान बना रहे हैं। इसकी खेती से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता है। बाजरा, रागी, कैनरी, ज्वार और कुट्टू अब विश्व स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहे हैं। 
कोविड-19, जलवायु परिवर्तन, कैलोरी सेवन संबंधी जागरूकता को लेकर ऐसे नुकसानदेह परिवर्तन देखने को मिले हैं, जिससे दुनिया का ध्यान इस पौष्टिक मोटा अनाज और इसके पोषण लाभ की ओर गया। 19 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक है और अब देश ने मोटे अनाज की क्रांति लाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रखी है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की मार्केटिंग रणनीति के साथ दुनियाभर में मोटे अनाज के आयात को लक्षित कर भारत के निर्यात में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया जा रहा है। 
मोटे अनाज की निर्यात संवर्धन रणनीति के हिस्से के रूप में संबंधित संस्थान ने विगत में मिलेट सम्मेलन आयोजित किया था। इसका उद्देश्य भारत को आगे ले जाने और व्यापार करने वाले शीर्ष 100 देशों के बीच पोषण महत्व के साथ मोटे अनाज के मूल्यवर्धित नए उत्पादों की व्यापक श्रृंखला को प्रदर्शित कर जागरूकता लाना था। भारत की ओर से पेश किए जाने वाले अनूठे उत्पादों को दिखाने के लिए खरीदारों को आमंत्रित किया गया। इसका मकसद दुनियाभर में हर शख्स के खाने की प्लेट और हर भोजन में भारतीय मोटे अनाज की जगह सुरक्षित करना है। 
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाले कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की योजना 2025 तक 100 मिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करने की है। भारत की क्षमता का आकलन करते हुए एक व्यापक वैश्विक मार्केटिंग अभियान तैयार किया जा रहा है। इसके अनुसार 30 आयातक देशों और 21 मोटे अनाज के उत्पादक राज्यों का ई-कैटलॉग तैयार किया गया है। मोटे अनाज और इसके मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए एक वर्चुअल ट्रेड फेयर प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है।  
पूरी दुनिया पोषण सुरक्षा की तरफ  बढ़ रही है, ऐसे में एक दशक में मोटे अनाज के अंतर्राष्ट्रीय आयात में 5.4 प्रतिशत मूल्य में और 14 प्रतिशत मात्रा में वृद्धि दर्ज की गई है। अपनी विशेष और उत्कृष्ट गुणवत्ता के कारण मोटे अनाज की तरफ पूरी दुनिया का ध्यान गया है क्योंकि यह ग्लूटेन-मुक्त, उच्च प्रोटीन और उच्च फाइबर का स्रोत होता है। चावल और गेहूं का विकल्प होने के नाते, मोटा अनाज मधुमेह प्रबंधन, वजन घटाने में निम्न ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) में मदद के साथ ही खून की कमी, रक्तचाप और हृदय संबंधी परेशानियों में फायदेमंद है।  भारतीय मोटे अनाज के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र सरकार 16 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में क्रेत-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन कर विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में व्यापारियों, एफ.पी.ओ./ एफ.पी.सी., निर्यातकों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने की दिशा में काम कर रही है। एफएओ द्वारा रोम, इटली में अपने मुख्यालय में आयोजित आईवाईओएम 2023 के एक कार्यक्रम में भारत पहले ही मोटे अनाज और इसके मूल्य-वर्धित उत्पादों को बढ़ावा दे चुका है। 
भारतीय दूतावास के सहयोग से जकार्ता और मेडनए इंडोनेशिया में क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित की गईं। गल्फफूड 2023-दुबई यूएई, फूडेक्स-जापान, फाइन फूड-ऑस्ट्रेलिया, अनुगा फूड फेयर-जर्मनी आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी और ‘मोटा अनाज’ की थीम के साथ प्रचार में सहयोग के लिए योजनाएं तैयार हैं। बाजरे को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख आयातकों/ डिपार्टमेंटल स्टोर/ सुपर मार्केट/हाइपर मार्केट श्रृंखला को भारतीय दूतावास के जरिए जोड़ा जाएगा और भोजन के नमूने व स्वाद चखने का अभियान आयोजित किया जाएगा। आईबीईएफ के सहयोग से लक्षित देशों और बाज़ारों में भारतीय मोटे अनाज की ब्रांडिंग/प्रचार किया जाएगा। सोशल मीडिया के जरिए भी प्रचार अभियान चलाया जाएगा। 
 राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश भारत के पांच बड़े मोटे अनाज के उत्पादक राज्य हैं। मोटे अनाज की 16 प्रमुख किस्में पैदा की जाती हैं जिसका उत्पादन और निर्यात किया जाता है। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, छोटे दाने वाला बाजरा कंगनी, चेना, कोदो, बार्नयार्ड मिलेट ब्राउन टॉप बाजरा शामिल हैं।  (अध्यक्ष, एपीडा)