पाकिस्तान में थम नहीं रहा अल्पसंख्यकों पर अत्याचार

पाकिस्तान में हिन्दुओं का रहना अब एक अपराध बन गया है। वहां के कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यकों खासकर हिन्दुओं व सिखों के साथ बर्बरता का सिलसिला जारी है। हाल ही में हिन्दुओं के संगठन ने कराची प्रेस क्लब और सिंध विधानसभा के गेट पर प्रदर्शन कर हिन्दुओं के साथ की जा रही बर्बरता और हिन्दू लड़कियों के अपहरण, धर्मांतरण व जबरन मुस्लिमों के साथ निकाह करने के खिलाफ  आवाज़ उठाई। वहां की सरकार बेशक लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजामात का दावा करे लेकिन यह सिर्फ ढोंग और दिखावे के अलावा कुछ नहीं है। हिन्दू समुदाय को किसी अदालत, सरकार या पुलिस से न्याय की उम्मीद करना वहां बेमानी है। ताजा घटनाक्रम में पाकिस्तान में एक और हिन्दू डॉक्टर की हत्या का मामला सामने आया है। डॉ. बीरबल जेनानी कराची में आंखों के सर्जन थे। पिछले दिनों कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने उनकी कार पर हमला किया और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। आए दिन पाकिस्तान में हिंदू समुदाय पर होने वाले हमलों और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं बढ़ती जा रहीं हैं । इसी कड़ी में ताज़ा मामला अब कराची में सामने आया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीरबल जेनानी पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर में कराची महानगर निगम के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक थे। खबरों के मुताबिक जब वह रामस्वामी से अपने सहायक डॉक्टर के साथ गुलशन-ए-इकबाल जा रहे थे तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनकी कार को निशाना बनाया।
अभी करीब एक माह पहले ही एक साठ साल के वयोवृद्ध हिन्दू डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी। इस डाक्टर का कसूर सिर्फ  इतना था कि उसने अपने समुदाय के साथ रंगों से होली खेली थी जो उसके मुस्लिम ड्राइवर को बर्दाश्त नहीं हुआ। यह वारदात पाकिस्तान के हैदराबाद में अंजाम दी गई थी। 60 साल के डॉक्टर धर्म देव राठी स्किन स्पेशलिस्ट थे। पाकिस्तान की एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि डॉक्टर राठी अपने घर में अकेले रहते थे। उनके पास दो नौकर और एक ड्राइवर था। वह दो साल पहले हेल्थ डिपार्टमेंट में सीनियर पोस्ट से रिटायर हुए थे। उनकी पत्नी और बच्चे अमरीका में रहते हैं। कुछ दिन बाद राठी भी वहां शिफ्ट होने वाले थे। डॉक्टर राठी पाकिस्तान के कई हिस्सों में मेडिकल कैम्प लगाकर त्वचा रोगों का मुफ्त इलाज भी करते थे। सिंध सरकार ने उन्हें अवॉर्ड भी दिया था।
एक अन्य वारदात लाहौर शहर में हिंदू छात्रों को एक इस्लामी संगठन के कार्यकर्ताओं ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था। यह घटना पंजाब यूनिवर्सिटी के परिसर में हुई, जो मुख्य शहर से 12 किलोमीटर दूर है। एक पाकिस्तानी न्यूज़ वेबसाइट  के मुताबिक परिसर में होली का त्योहार मनाने को लेकर हुए इस विवाद में हिंदू समुदाय के कम से कम 15 छात्र घायल हो गए थे। होली संबंधी कार्यक्रम का आयोजन कर रहे संगठन सिंध काउंसिल ने दावा किया कि उनके पास आयोजन की स्वीकृति थी। इसके बावजूद इस्लामी जमायत तुल्बा नाम के संगठन के सदस्यों ने उनके ऊपर हमला बोल दिया। इसके बाद हिंदू छात्रों को पत्थरों और अन्य चीज़ों से पूरे परिसर में दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। इस घटना की शिकायत पाकिस्तानी पंजाब पुलिस से की गई थी, जिसने जांच शुरू कर दी थी। 
उल्लेखनीय है कि पहले भी कराची में हिंदू मेडिकल छात्रा की हत्या कर दी गई थी। छात्रा का नाम नम्रता चंदानी था। छात्रा लरकाना के बी.बी. आसिफा डेंटल कॉलेज में डॉक्टर और प्रोफेसर थीं। छात्रा का शव उसके हॉस्टल के कमरे में मिला था। उसके गले में रस्सी बंधी हुई थी।
पुलिस ने इसे खुदकुशी बताने की कोशिश की थी। बाद में मेडिकल रिपोर्ट आई तो साफ  हो गया कि नम्रता की दुष्कर्म के बाद हत्या की गई थी। हैरानी की बात है कि उस वक्त इस मामले की जांच के लिए एक फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई थी और इसके दोनों जजों ने सुनवाई से इन्कार कर दिया था। इस मामले में छात्रा के दो साथियों को हिरासत में लिया गया था। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
पेशावर शहर में पिछले साल जून में एक सिख डॉक्टर की उनके क्लीनिक में घुसकर हत्या कर दी गई थी। सतनाम सिंह नाम के इस डॉक्टर को चार गोलियां मारी गई थीं। उस वक्त सिंह क्लीनिक में मरीज़ों का चैकअप कर रहे थे। हमलावर सतनाम सिंह के क्लीनिक में घुसे और उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गंभीर हालत में सिंह को लेडी रीडिंग हॉस्पिटल ले जाया गया। यहां कुछ देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।
पाकिस्तान में कट्टरपंथी विचारधारा के चलते अल्पसंख्यकों पर जुल्म का सिलसिला लम्बे समय से जारी है। वहां हिन्दुओं व सिखों के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया जाता है। यही नहीं अल्पसंख्यक सिंधी हिन्दू समुदाय की लड़कियों का जबरन धर्मांतरण कर बड़ी आयु के मुस्लिमों के साथ निकाह कराने के लिए मजबूर किया जाता है। हर साल करीब एक हज़ार हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण कर मुस्लिम युवकों के साथ निकाह कराया जा रहा है जबकि इन में से सैकड़ों के साथ दरिंदगी की घटनाएं सामने आ रही हैं। आए दिन धार्मिक स्थलों पर हमले किए जा रहे हैं। दुनिया का कोई मानवाधिकार संगठन सख्ती से इस जुल्म और हैवानियत के खिलाफ  आवाज़ नहीं उठा रहा। सिर्फ  संयुक्त राष्ट्र के एक दो मानवाधिकार संगठन कभी-कभी इस तरह की बर्बरता को लेकर नोटिस जारी कर देते हैं लेकिन पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ यह सिलसिला जारी रहता है। बर्बादी की दहलीज़ पर पहुंच चुका पाकिस्तान सुधरने को तैयार नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान को मदद देने की सलाह देने वाले लोगों को गंभीरता से सोचना चाहिए कि क्या ऐसी हिंसक व बर्बर मानसिकता वाला देश किसी मदद का हकदार है? भारत सरकार लगातार इन वारदातों पर पाक सरकार को आगाह करती रही है लेकिन पाकिस्तान आंखें मूंदे बैठा है । 

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