शौहरत से ऊब कर सितारे जो बन गये संन्यासी !

मशहूर टीवी धारावाहिक ‘अनुपमा’ की नंदनी उर्फ अनघा भोसले ने जब मार्च 2022 में धारावाहिक छोड़ने की बात कही थी, तब पहले तो लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ था कि कोई अभिनेत्री इतने लोकप्रिय टीवी सीरियल को छोड़ देगी। फिर लोगों को लगा था कि शायद उनकी सीरियल के निर्माता निर्देशक से बन नहीं रही होगी, इसलिए उन्होंने उसे छोड़ने का निर्णय लिया है। लेकिन जब अनघा ने खुलासा किया कि वो आध्यात्मिक जीवन के लिए सीरियल छोड़ना चाहती हैं, तो उनके चाहने वालों में आश्चर्य मिश्रित गैर-यकीनी भाव पैदा हुए थे। लेकिन कुछ दिन पहले अनघा भोसले को मुंबई के पास पालघर स्थित मिनी वृंदावन यानी गोवर्धन इको विलेज में आध्यात्म से डूबे देखा गया। उनकी तस्वीरें ही नहीं इस दौरान आध्यात्म से डूबी उनकी बातचीत भी खूब वायरल हो रही है। इसी से लोगों को मालूम हुआ है कि अनघा किस तरह से आध्यात्म में डूबकर संन्यासनियों वाला जीवन जी रही हैं।
हालांकि उन्होंने मीडिया के लोगों से साफ तौर पर कहा है कि वह आध्यात्म में डूबी हैं, मगर उन्होंने संसार नहीं छोड़ा। बीच-बीच में वह पुणे में रह रहे अपने माता-पिता से मिलने भी जाती हैं और जब पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंने बिना किसी झिझक के यह भी कहा कि उन्होंने शादी करना खारिज नहीं किया, बस शर्त ये है कि वे उसी से शादी करेंगी, जो कृष्णभक्त हो। आखिर उन्होंने इतना सफल और शोहरतभरा अभिनय का कॅरियर क्यों त्याग दिया? जब पत्रकारों ने उनसे यह सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मैं 8 साल की उम्र से ही आध्यात्मिकता की ओर उन्मुख रही हूं। मैंने हालांकि बड़े होकर अभिनय की दुनिया में खूब शोहरत बटोरी, पैसा कमाया, लेकिन मेरा मन कहीं न कहीं आध्यात्म पर अटका हुआ था, जब मुझे आध्यात्मिकता अपनी ओर बहुत जोर से खींचने लगी, तो मैं सबकुछ छोड़कर यहां आ गई।’ पालघर ज़िले के वाडा तालुका में स्थित गोवर्धन इको विलेज जिसे इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशसनेस (इस्कॉन) ने विकसित किया है, में रह रहीं अनघा भोसले सुबह 3:30 बजे जग जाती हैं और नहा धोकर 4:30 बजे से अपनी धार्मिक व आध्यात्मिक गतिविधियों में डूब जाती हैं। वह पूरा दिन कृष्णभक्ति से जुड़े भजन गाती हैं, साथियों के साथ मंत्रोच्चारण करती हैं। अपनी ही जैसी दो अन्य लड़कियों के साथ रूम शेयर करती हैं, इनमें से एक यूरोप से आयी हुई है और दूसरी दक्षिण भारत से। अनघा की तरह उनकी दोनों रूममेट भी सुखी और शोहरतभरी जिंदगी छोड़कर आयी हैं। सबकी तरह ये तीनों लड़कियां भी अपने माथे पर त्रिशूल के आकार का चंदन लगाती हैं और कृष्णभक्ति में डूबे भजन गाते हुए झूमकर नाचती हैं।  लेकिन अनघा भोसले कोई पहली और अकेली ऐसी सेलिब्रिटी नहीं है, खासकर फिल्म इंडस्ट्री से, जिन्होंने अपनी चरम शोहरत के दिनों में संन्यास की तरफ आकर्षित हुई हैं। एक जमाने में विनोद खन्ना और उनसे भी पहले या लगभग उन्हीं दिनों हिंदी और बांग्ला फिल्माें की एक बड़ी अभिनेत्री सुचित्रा सेन भी फिल्मी जीवन को त्यागकर भक्ति और आध्यात्मक में डूब गई थीं। हालांकि विनोद खन्ना तो एक समय के बाद फिर वापस लौट आए, लेकिन सुचित्र सेना वापस तो लौटी ही नहीं उल्टे एक बार दुनिया से कट जाने के बाद वह फिर कभी किसी से मिली ही नहीं। सिर्फ भक्ति में और एकांत में लगभग 37 साल बिताकर यह दुनिया छोड़ी। कुछ दशकों पहले अनु अग्रवाल जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पारी शुरु करते ही कई सुपरहिट फिल्में दी थी, वह भी आध्यात्म की तरफ चली गई थीं और फिर कभी नहीं लौटीं। 
सोफिया हयात, ममता कुलकर्णी, बरखा मदाना, जायरा वसीम और सना खान जैसी कई अभिनेत्रियां ग्लैमर की दुनिया में अपनी चमक बिखेरने के बाद यहां से ऊब गईं और तब सबकुछ छोड़ छाड़कर भक्ति और आध्यात्म की दुनिया में छलांग लगा दी, जब उनके पास बहुत कुछ था और बहुत कुछ कर सकने का मादा था। लेकिन इन लोगों को धर्म और आध्यात्म की तरफ इतनी शिद्दत से रूझान बढ़ गया कि वे अव्वल तो लौटकर आये नहीं, एक दो आये तो भी फिर पहले जैसा जीवन नहीं रहा। 80 के दशक में जब विनोद खन्ना अपनी सफलता के हाईवे में शानदार रफ्तार से चले जा रहे थे, तभी एक दिन उन्होंने सबकुछ छोड़कर ओशो (रजनीश) की शरण में अमरीका चले गये। उन्होंने दीक्षा ली और बकायदा संन्यासी बन गये। हालांकि अनघा का कहना है कि उन्होंने अचानक ही आध्यात्म की दुनिया में कदम नहीं रखा बल्कि वह हमेशा ही भगवान कृष्ण के प्रति जबरदस्त झुकाव रखती थीं। बचपन से ही उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेने में खुशी मिलती थी। 
अगर हाल के सालों में एक और अभिनेत्री की बात करें, जिन्होंने अभिनय छोड़कर संन्यास की दुनिया में कदम रखा, उनका नाम-नूपुर अलंकार है। नूपुर कई सालों तक टेलीविजन इंडस्ट्री की सर्वेश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में से रही हैं, उन्होंने घर की बेटी लक्ष्मी बेटियां, तंत्र और शक्तिमान जैसी सीरियल में जबरदस्त शोहरत हासिल की थी। लेकिन उन्हें भी काम करते-करते अचानक एक दिन आध्यात्म की दुनिया से इस कदर रूझान बढ़ा कि अंतत: वह भी सब कुछ छोड़कर संन्यासी हो गईं। कुछ साल पहले उनके बारे में लोगों को तब पता चला जब पूर्व टीवी एक्टर्स नूपुर अलंकार संन्यासी के रूप में भिक्षा मांगते पायी गईं। कृष्णभक्ति में डूबकर नूपुर अंलकार ने भी अपनी सारी संपत्ति गरीबों और परिजनों को बांट दी और खुद झोपड़ी बनाकर रहने लगीं।
उन्हें भिक्षा मांगते हुए का एक उनके पुराने साथी कलाकार ने वीडियो बनाया और सोशल मीडिया में डाला, तब लोगाें को उनके बारे में विस्तार से पता चला कि कैसे पति को तलाक देकर नूपुर अलंकार कृष्णभक्ति में डूब गई हैं। सवाल है आमतौर पर दिन रात शोहरत की चकाचौंध के बीच रहने वाले सफल शख्सियतें अचानक संन्यास क्यों ले लेती हैं या उधर क्यों उन्मुख हो जाती हैं? वैसे तो यह कोई नया आकर्षण नहीं है। गौतम बुद्ध जब राजकुमार सिद्धार्थ थे, तब उन्हें दुनिया की सारी सहूलियतें हासिल थीं, लेकिन एक दिन वो सब कुछ छोड़कर यहां तक कि पत्नी और बच्चे की जिम्मेदारी को भी छोड़कर चले गये और संन्यासी बन गये। दरअसल लगातार सफलता और शोहरत के खुशनुमा टापू में रहने वाले कई सफल लोगों में यह अचानक संन्यास और वैराग्य का भाव इसलिए पैदा हो जाता है, क्योंकि उन्हें सफलता की अति और हर चीज की उपलब्धि जीवन से मोह भंग कर देती है। तब उन्हें संन्यास ही एकमात्र ऐसी मंजिल लगती है, जिसे पाना उन्हें बहुत कठिन मालूम होता है। अत: वो इस चुनौती की तरफ आसानी से मुड़ जाते हैं और लोगों को हैरान करते हुए संन्यास ग्रहण कर लेते हैं।


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