जनसंख्या वृद्धि से चुनौतियां भी बढ़ेंगी 

जनसंख्या में अधिक वृद्धि किसी भी देश के विकास में बाधा बनती है। भारत अब दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। इससे पहले पूरे विश्व में चीन सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश था। 1950 के बाद से पहला मौका है जब भारत ने जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड पॉपुलेशन डैशबोर्ड के अनुमान के अनुसार भारत की आबादी अब 1.4286 अरब हो गई है जबकि चीन की आबादी 1.4257 अरब है। देश में 10 साल बाद जनगणना की जाती है। अंतिम बार 2011 में जनगणना की गई थी। 2021 में कोरोना की वजह से जनगणना संभव नहीं हो पाई थी। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया है कि भारत की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा हो गई है। भारत की तेज़ी से बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है। 
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष  के अनुसार भारत की कुल आबादी में 25 प्रतिशत जनसंख्या 0 से 14 साल तक की है। जबकि 18 प्रतिशत 10 से 19 साल के लोगों की है। इसके अलावा 26 प्रतिशत जनसंख्या 10 से 24 साल के लोगों की है। इसका मतलब यह है कि भारत की 50 प्रतिशत आबादी 30 वर्ष से कम आयु वर्ग की है। इसके अलावा 68 प्रतिशत जनसंख्या 15 से 64 साल के लोगों की है और 65 साल के ऊपर 7 प्रतिशत जनसंख्या हैं।
इस रिपोर्ट के जारी होने के पहले चीन दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश था। चीन की आबादी 0 से 14 साल के बीच 17 प्रतिशत है जबकि 10 से 19 साल के बीच 12 प्रतिशत है। इसके अलावा 10 से 24 साल के बीच 18 प्रतिशत है और 15 से 64 साल के बीच 69 प्रतिशत है और 65 साल के ऊपर 14 प्रतिशत आबादी है।
भारत और चीन के बाद आबादी के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश अमरीका है। इसकी आबादी 33.59 करोड़ है। दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाले देशों में इंडोनेशिया की जनसंख्या चौथे नम्बर पर है। इंडोनेशिया की आबादी 28.08 करोड़ है। दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में पाकिस्तान भी शामिल है। पाकिस्तान दुनिया का पांचवा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। पाकिस्तान की जनसंख्या लगभग 23.17 करोड़ है।
भारत के कई राज्यों की जनसंख्या विश्व के कई देशों से अधिक है। जैसे उड़ीसा की जनसंख्या अर्जेंटीना से भी अधिक है। मध्य प्रदेश की जनसंख्या थाईलैंड से ज़्यादा है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राज़ील से ज्यादा है तो राजस्थान की जनसंख्या इटली की जनसंख्या से ज्यादा है। ऐसे ही गुजरात ने जनसंख्या के मामले में साउथ अफ्रीका को मात दे दी है। कहने का अभिप्राय है कि भारत के कई राज्य विश्व के कई देशों को जनसंख्या के मामले में टक्कर दे रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि के मूल कारण शिक्षा की कमी एवं गरीबी है। बढ़ रही आबादी से जहां बेरोज़गारी एवं महंगाई बढ़ रही है, वहीं कई तरह की आर्थिक एवं सामाजिक समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। ज़रूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक विकास में रुकावट पैदा करती है। भारतीय समाज में किसी भी दम्पत्ति के लिये संतान प्राप्ति को आवश्यक समझा जाता है। सामाजिक सुरक्षा तथा वृद्धावस्था में सहारे के रूप में बच्चों का होना आवश्यक माना जाता है। किंतु मौजूदा समय में विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं के कारण इस सोच में कुछ बदलाव आया है। यह कारक भी जनसंख्या नियंत्रण में उपयोगी हो सकता है।
भारत में बढ़ती जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। बहुत बड़ी आबादी को पेट की आग बुझाने के लिए भोजन नहीं मिलता।  जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो देश विकास के मामले में पिछड़ सकता है। लोगों को भी आबादी को नियंत्रित करने में योगदान डालना  चाहिए। सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त कानून बनाने चाहिए। 

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