जैतून नये संसार में कैसे पहुंचा? 

 

दीदी, जैतून के तेल के आजकल बहुत गुण बताये जा रहे हैं, लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि जैतून कहां से आया?’
‘जैतून का मूल घर दक्षिण पश्चिम एशिया है। सदियों से लोग जैतून का प्रयोग फूड के रूप में कर रहे हैं और कारवां इसे दूरदराज़ के बाज़ारों तक ले गये हैं।’
‘तो जैतून का तेल ही नहीं फल भी खाया जाता है?’
‘हां, लेकिन एक अजीब बात है कि जिस तरह अमरुद या किसी अन्य फल को आप पेड़ से तोड़कर सीधा ताज़ा खा लेते हैं, वैसे जैतून को नहीं खाया जा सकता। क्योंकि यह बहुत कड़वा होता है और इसकी कड़वाहट पिकलिंग यानी एक तरह से इसका आचार सा डालकर दूर की जाती है और तब इसके फल को खाया जा सकता है।’
‘शायद इसलिए इसके तेल का अधिक महत्व है।’
‘प्राचीन लोगों में जैतून के पेड़ों से निकाला गया तेल व्यापार में बहुत महत्वपूर्ण था। कोई राजा कितना अमीर है, इस बात का अंदाज़ा ऐसे लगाया जाता था कि उसके स्टोर रूम में जैतून के तेल से भरे कितने मर्तबान या जार हैं। क्रेटे के छोटे से द्वीप पर जैतून के तेल के स्टोर रूम्स मिले हैं जो 2000 ईसा पूर्व के हैं।’
‘यानी लगभग 4000 वर्ष पुराने।’
‘हां। मेडिटरेनियन सी के किनारे जितने भी देश हैं उनमें जैतून के पेड़ लगाये जाते थे। एक समय था जब उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तान भी जैतून के बागों से ढके हुए थे। कहा जाता है कि एक समय में व्यक्ति मक्का से मराकश तक जैतून, खिजूर व अंजीर के पेड़ों की छाया में यात्रा कर सकता था।’
‘तो फिर जैतून नये संसार में कैसे पहुंचा?’
‘स्पेन के लोग जैतून के बीज व कलम नये संसार में लेकर गये, जो उन्होंने कैलिफोर्निया में अपने मिशंस के आस-पास लगा दिए। वहां के गर्म सूखे क्लाइमेट में जैतून खूब पनपा। आज जैतून कैलिफोर्निया की मुख्य फसल है और अमरीका का लगभग सारा जैतून उत्पादन यहीं होता है। लेकिन जैतून उत्पादन के दो बड़े देश स्पेन व इटली हैं। कैलिफोर्निया में तो विश्व का सिर्फ 0.9 प्रतिशत ही जैतून होता है।’
‘आपने कहा कि स्पेनी कलम लेकर गये थे, वह क्या होता है?’