जीव-जन्तुओं का विलक्षण संसार

बच्चो! मछली, चूहे सांप आदि जीव भूकम्प आने से पहले अजीब तरह का व्यवहार करने लगते हैं, पर यह बदलाव भूकम्प आने से कई दिन पहले नहीं होता बल्कि कुछ ही देर पहले होता है। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में यह भी पाया है कि रेगिस्तानी कीड़ों पर 7.4 तीव्रता वाले भूकम्प का कोई असर देखने को नहीं मिला।
सेह के कांटे नुकीले और ज़हरीले होते हैं, जो दुश्मन के शरीर में सूई की तरह चुभते हैं। यह चुभते ही उस (दुश्मन) के शरीर में ज़हर फैला देते हैं। ज़हर फैलते ही दुश्मन का बचना किसी भी तरह संभव नहीं होता।
उल्लू चाहे अपनी आंखें नहीं घुमा सकता, लेकिन अपने शरीर का और कोई अंग हिलाए बिना अपने सिर को घुमाकर बिल्कुल पीछे की तरफ देख सकता है।
चूहा ऊंट से भी ज्यादा समय पानी के बिना रह सकता है। चूहों की कुछ किस्में सांप की तरह ज़हरीली भी होती हैं। अफ्रीकी महाद्वीप के कुछ घने जंगली क्षेत्रों में इन किस्मों के चूहे मिलते हैं।
दक्षिण अमरीका में एक ऐसे जुगनूं की प्रजाती की खोज की गई है जिसकी लम्बाई लगभग 9 सैंटीमीटर है। इसके सिर की तरफ लाल और पूंछ की तरफ हरे प्रकाश बिन्दु चमकते दिखाई देते है।
मधु-मक्खियों को एक किलो शहद के लिए 4 लाख फूलों का रस चूसना पड़ता है, जबकि शहद मधु-मक्खियों की खुराक नहीं है।
दो जैबरों की धारियां कभी एक जैसी नहीं हो सकती, अर्थात् सभी जैबरों की धारियों में विलक्षणता होती है। जब संचार के साधन नहीं थे, तब कबूतर ही एक तरह से संदेशवाहक थे। आज से कोई 2000 साल पहले रोम में सेना कबूतरों द्वारा गुप्तचर का काम लेते थे।
पेरेग्रीन फाल्कन नामक बाज़ 45 डिग्री कोण पर झपट मारता है, जिसकी रफ्तार 350 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
न्यूज़ीलैंड में छिपकली की शकल जैसा एक ऐसा जीव पाया जाता है जिसकी तीन आंखें होती हैं। इसको सफेनोडोन के नाम से जाना जाता है। इशकी तीसरी आंख सिर के बीच माथे के ऊपर छेक के रूप में होती है। इसकी मदद से इसको अपने खाने-पीने और सोने के समय का अहसास होता है।
 
-गांव व डाक : खोसा पांडो, (मोगा)-142048