सच्चा प्रेम न पाने वाली ज़ीनत अमान

बात 1978 की है- ज़ीनत अमान बहुत खुश थीं कि राजकपूर ने उन्हें अपनी अपरम्परागत फिल्म ‘सत्यम शिवम् सुन्दरम्’ में लीड भूमिका के लिए चुना था। वह इसमें अच्छा परफॉरमेंस देने के लिए जी जान से कोशिश करने लगीं। लेकिन वह इस बात से पूर्णत: बेखबर थीं कि राजकपूर की फिल्म में काम करने से देवानंद, जिन्होंने उन्हें ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ (1971) में लांच किया था, को बड़ी गलत़फहमी हो गई है। देवानंद को लगा कि राजकपूर ने उनसे उनका प्यार छीन लिया है। इस घटना के वर्षों बाद साल 2007 में देवानंद ने अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग’ में यह स्वीकार करते हुए कि वह ज़ीनत अमान से प्रेम करते हैं, आरोप लगाया कि राजकपूर व ज़ीनत अमान के बीच निर्देशक-एक्टर से अधिक संबंध थे, जिससे ‘मेरा दिल टूट गया’।
ज़ीनत अमान अपने से उम्र में काफी बड़े देवानंद से प्लेटोनिक (आदर्शवादी) प्रेम करती थीं, उन्हें पसंद करती थीं। इसलिए उन्हें गुस्सा आया व अपमानित महसूस किया कि जिन अफवाहों में रत्तीभर की सच्चाई नहीं थी, उन पर न सिर्फ देवानंद ने विश्वास किया बल्कि उन्हें प्रकाशित भी किया ताकि दुनिया पढ़ सके। इस गुस्से में ज़ीनत अमान ने देवानंद की आत्मकथा को कभी नहीं पढ़ा और उसे अपने घर के बेसमेंट में फेंक दिया। लेकिन वह आज भी देवानंद को ‘दुर्लभ प्रतिभा’ मानती हैं और फिल्मों में उन्हें लाने के लिए उनकी एहसानमंद हैं, इसलिए उन्हें बर्दाश्त नहीं है कि कोई देवानंद के नाम को बदनाम करे। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि फिल्मों में नया ट्रेंड स्थापित करने वाली ज़ीनत अमान के लोग दीवाने थे, लेकिन अपने स्टारडम या शोहरत से प्रभावित हुए बिना वह स्वयं सच्चे प्यार की तलाश में थीं। उनके लिए केवल सच्चे प्रेम का ही महत्व था। शहद के इर्द-गिर्द मक्खियों की तरह उनके इर्दगिर्द पुरुष मंडराते रहते थे, जो उनके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे, लेकिन वह सच्चे प्यार की तलाश करती रहीं।
आखिरकार ज़ीनत अमान को ‘सच्चा प्यार’ मिला या वह उसे ऐसा मान बैठी थीं। उन्होंने संजय खान से शादी (1978-79) की, जो पहले से ही शादीशुदा व कई बच्चों के पिता थे। यह शादी न केवल असल रही बल्कि इसमें इतनी हिंसा थी कि उसके निशान आज भी ज़ीनत अमान की आंख पर देखे जा सकते हैं। 1970 में फेमिना मिस इंडिया एशिया पैसिफिक व मिस एशिया पैसिफिक सुंदरता प्रतियोगिताएं जीतने वाली इस ब्यूटी क्वीन का फिल्मी करियर तो हमेशा बुलंदियों की ओर ही जाता रहा, लेकिन बचपन से ही जिस शुद्ध प्रेम की उन्हें तलाश थी, वह उन्हें कभी नसीब नहीं हुआ। अपने करियर के चरम पर उन्होंने एक अंजान से अभिनेता मज़हर खान से दूसरी शादी (1985) की। क्यों? वह बताती हैं, ‘मेरी बायोलॉजिकल क्लॉक तेज़ी से आगे बढ़ती जा रही थी और मैं मां बनना चाहती थी। मैं परिवार चाहती थी और अब मैं सोचती हूं कि संयोग से मज़हर वहां सही समय पर था। हालांकि उसमें वह गुण नहीं थे, जो मैं अपने पार्टनर में चाहती थी, लेकिन मैंने उसे एडजस्ट करने की कोशिश की। मेरी मां इस रिश्ते के पूर्णत: खिलाफ थी।’
मज़हर खान नहीं चाहते थे कि ज़ीनत अमान एक व्यक्ति या कलाकार के रूप में विकास करें। वह चाहते कि ज़ीनत अमान घर में बैठकर बच्चों को सम्भालें। शादी के पहले ही वर्ष में ज़ीनत अमान को अपनी गलती का एहसास हो गया था। फिर भी उन्होंने 12 वर्ष तक शादी को बचाये रखने का प्रयास किया। लेकिन ज़रूरत के समय मज़हर खान कभी उनके पास होते ही नहीं थे। जब वह गर्भवती थीं, तब भी वह उनके पास नहीं थे। फिर इस शादी में हिंसा भी थी। इसके बावजूद जब 1993 में मज़हर खान को अपने पैंक्रियास में गंभीर समस्या हुई, जो 1997 में उनकी मौत तक जारी रही, तो केवल ज़ीनत अमान ही उनकी देखभाल के लिए चार वर्ष तक साथ रहीं। जीनत अमान का जन्म बॉम्बे में 19 नवम्बर 1951 को हुआ था। उनके पिता अमानउल्ला खान पटकथा लेखक (मुगले आज़म, पाकीज़ा आदि) थे, जो अमान के नाम से लिखते थे, इसलिए ज़ीनत ने भी अपने नाम के आगे से खान हटाकर अमान लगा लिया और मां वर्धिनी कर्वस्ते गृहणी थीं।
ज़ीनत अमान जब बच्ची ही थीं, तब उनके माता-पिता के बीच तलाक हो गया और जब वह 13 वर्ष की हुईं तो उनके पिता का निधन हो गया। एक्टर रज़ा मुराद की कजिन व एक्टर मुराद की भतीजी ज़ीनत अमान ने पंचगनी में स्कूलिंग के बाद यूनिवर्सिटी ऑ़फ सदर्न केलिफोर्निया, लॉस एंजेल्स में प्रवेश लिया, लेकिन वह अपना ग्रेजुएशन पूर्ण न कर सकीं और भारत लौटकर 19 साल की उम्र में मॉडलिंग करने लगीं। ‘द ईविल विदइन’, ‘हलचल’ व ‘हंगामा’ जैसी असफल फिल्में करने के बाद ज़ीनत अमान को बड़ा ब्रेक ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ से और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ‘यादों की बारात’, ‘धुंध’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘डॉन’, ‘धर्मवीर’, ‘दोस्ताना’ आदि उनकी यादगार व सफल फिल्में हैं। उनके बेटे अज़ान खान निर्देशक हैं और दूसरे बेटे ज़हान खान कंपोजर हैं। फरवरी 2018 में ज़ीनत अमान ने व्यापारी अमन खन्ना के खिलाफ चोरी, परेशान करने व दुष्कर्म का मुकदमा कायम किया, जिसमें खन्ना को जेल हुई।

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