फसली विभिन्नता में अहम भूमिका अदा कर सकती है अमरूद की फसल

फसली विभिन्नता में फलों की काश्त का बड़ा महत्व है। पंजाब के कुल रकबे का 82-83 प्रतिशत रकबा कृषि के अधीन है, जिसमें से लगभग 95 हज़ार रकबे पर फलों की काश्त की जाती है। फलों की काश्त में विभिन्नता लाने के लिए अमरूद फल का विशेष महत्व है। रकबे के लिहाज़ से अमरूद की काश्त के अधीन नींबू जाति के बाद सभी फलों से अधिक रकबा है। यह फल पंजाब के सभी जिलों में ही उगाया जा सकता है। अमरूद के बाग व्यापारिक तौर पर भी लगे हुए हैं और घरेलू स्तर पर भी आम बगीचियों तथा ट्यूबवैलों पर इसके पौधे लगे हुए हैं। अमरूद का पौधा वर्ष में दो बार फल देता है। एक  बरसात के मौसम में दूसरा सर्दियों के मौसम में। आम लोगों की यह शिकायत है कि बरसात में अमरूद का फल ‘काना’ हो जाता है और इसमें कीड़े पड़ जाते हैं। 
उनकी यह धारणा है कि जुलाई-अगस्त महीने का अमरूद खराब हो जाता है। वे यह सोचते हैं कि पौधे संतोषजनक एवं शुद्ध न होने के कारण फल की ऐसी हालत होती है। परन्तु बागवानी विभाग के सेवानिवृत्त डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान जो पटियाला जिले की अमरूद अस्टेट के मुख्यालय पर तैनात रहे, कहते हैं कि जुलाई-अगस्त महीने में ‘फ्रूट फ्लाई’ सक्रिय हो जाती है और जब फल हरे से पीला होने लगता है तो यह डंक मार कर अंडे दे देती है, जिससे फल में कीड़ा पड़ जाता है और फल खाने के योग्य नहीं रहता। वह इसकी रोकथाम के लिए फैनविलरेट 20 ई.सी. दवाई अढ़ाई मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से साप्ताहिक स्प्रे किये जाने की सिफारिश करते हैं। परन्तु खपतकारों को स्प्रे करने से कम से कम तीन दिन बाद ही अमरूद के फल को इस्तेमाल करना चाहिए। यदि और लम्बा समय इन्तज़ार में गुज़र जाए तो बेहतर होगा। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) द्वारा ‘फ्रूट फ्लाई’ से फल को बचाने के लिए 16 फ्रूट फ्लाई ट्रैप प्रति एकड़ जुलाई के पहले सप्ताह लगाने की सिफारिश की गई है। इससे नर मक्खियां फ्रूट फ्लाई ट्रैप में फंस जाती हैं और ट्रैप के भीतर जाकर मर जाती हैं। इस प्रकार फ्रूट फ्लाई की आबादी में भी वृद्धि नहीं होती। ये फ्रूट फ्लाई ट्रैप बागबानी विभाग या पीएयू से खरीदे जा सकते हैं। 
परन्तु अच्छा होगा यदि गर्मियों की फसल लेने से बागबान  तथा खपतकार परहेज़ करें। यदि गर्मियों की फसल न लेनी हो तो मई महीने में अमरूद का फल नष्ट कर देना चाहिए। फल नष्ट करने के लिए 10 प्रतिशत यूरिया की स्प्रे की जा सकती है या 60 ग्राम एन.ए.ए. 100 मिलीलीटर अलकोहल में घोलने के बाद स्प्रे किया जा सकता है। मई महीने में पानी देना बंद करके भी फल नष्ट किया जा सकता है। गर्मियों का फल नष्ट करने से शरद ऋतु के लिए फ्लावरिंग जल्द होगी और स्वास्थ फल की प्राप्ति होगी।
अमरूद का फल व्यापार के लिए बड़ा लाभदायक है। इसके पौधे फरवरी-मार्च या अगस्त, सितम्बर-अक्तूबर में लगाए जा सकते हैं। मई महीने में पौधे को 50 किलो रूड़ी खाद डाल देनी चाहिए। आधा किलो यूरिया, सवा किलो सुपरफास्फेट तथा पौना किलो म्यूरेट आफ पोटाश खाद जून में डाल देनी चाहिए। इतनी ही रासायनिक खाद फिर सितम्बर-अक्तूबर में दोहराने की ज़रूरत है। समय पर तथा सही मात्रा में खाद डालने से फल के आकार, उत्पादन तथा गुणवत्ता में वृद्धि होगी। पीएयू द्वारा इलाहाबादी सफेदा, लखनऊ 49 (एल-49) पंजाब सफेदा, पंजाब किरण, पंजाब पिंक, एपल गुआवा आदि किस्में लगाने की सिफारिश की गई है। परन्तु बागबनों के अनुसार सबसे उत्तम किस्म जो बागबानों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है, वह ‘हिसार सफेदा’ है, जिसका फल बड़ा मीठा है और जल्द खराब नहीं होता। बागबानों को किस्म का चयन अपने अनुभव के आधार पर कर लेना चाहिए। अमरूद के पौधे किसी प्रमाणित नर्सरी, पीएयू तथा बागबानी विभाग या नैशनल बागबानी बोर्ड द्वारा स्थापित नर्सरियों से ही खरीदने चाहिएं। घरेलू खपतकारों को भी इन नर्सरियों से पौधे खरीदने की सलाह दी जाती है। उन्हें टोकरियों या रेहड़ियों से पौधे खरीद कर अपनी बगीचियों में नहीं लगाने चाहिएं।
किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए भूमि तथा पानी की परख के आधार पर अमरूद के बाग लगा कर धान-गेहूं की काश्त के अधीन रकबा कम करने के बाद फसली विभिन्नता लानी चाहिए और प्रत्येक खपतकार को अपनी बगीची या ट्यूबवैल पर अमरूद का पौधा लगा कर इसके फल को इस्तेमाल में लाना चाहिए।