आओ जानें ब्रह्मांड की तरंगों के बारे में

बच्चो! हमारे ब्रह्मांड में दूर स्थित अलग-अलग आकाश गंगा चार्जित कणों से भरी हुई हैं। यह बहुत छोटी तरंग लम्बाई वाली बिजली चुम्बकीय तरंगें हैं। इन तरंगों को कॉस्मिक रेज़ या ब्रह्मांडी तरंगें भी कहा जाता है। यह धन (+) बिजली चार्ज वाले कणों की तरंगें हैं। इन कणों में प्रोटान, एल्फा कण और कई भारी तत्वों के धन चार्ज वाले आईन शामिल हैं। यह हमारे सोलर सिस्टम से बाहर की ग्लैक्सियों में आती हैं। इनके बीच उच्च बिजली और चुम्बकीय क्षेत्र इन कणों को खुद ही प्रवेगित करते रहते हैं। इन कणों के ऊपर का चार्ज और इनका ऊंचा वेग इनको तरंग के गुण प्रदान करता है। मूल कॉस्मिक या ब्रह्माड तरंगें वायुमंडल के अणुओं के साथ टकराकर प्रोज़ीट्रान और मैसान जैसे भांत-भांत के दुजैले कणों को जन्म देती हैं।
यह तरंगें ऊंची ऊज़र्ा वाले कणों की बनी होती हैं। इन तरंगों का जन्म तारों में से होता है। कुदरती है कि हमारे सूर्य में से भी यह ब्रह्मांडी तरंगें निकलती होंगी। हमारे वायुमंडल में दाखिल होने से पहले ब्रह्मांडी तरंगों में 89 प्रतिशत प्रोटीन, 9 प्रतिशत हीलियम नाभियां और बाकी भारी तत्वों की नाभियां होती हैं। हमारा ब्रह्मांड एक मोटे कम्बल की तरह हमारी पृथ्वी के इर्द-गिर्द बिछा हुआ है और इन खतरनाक तरंगों से हमें बचाता है। वायुमंडल में यह तरंगें टूट कर ज़हरीले कणों में तबदील हो जाती हैं। समुद्री सतह तक पहुंचते-पहुंचते इनमें 70 प्रतिशत मीज़ान, 29 प्रतिशत इलैक्ट्रोन पोज़ीट्रॉन जोड़े और बाकी अवशेष के भारी कण रह जाते हैं।
करोड़ों वर्षों से हमारी पृथ्वी इन ब्रह्मांडी तरंगों को झेल रही है। जैसे-जैसे वायुमंडल से दूर ब्रह्मांड में जाएं तो इनकी शक्ति बढ़ती जाती है। लगभग 100 वर्ष पहले इन तरंगों के बारे में हमारी जानकारी नाममात्र ही थी। भारतीय वैज्ञानिकों होमी भाबा और विक्रम साराभाई ने इन तरंगों के बारे में महत्वपूर्ण खोज की थी। यह ब्रह्मांडी तरंगें काफी खतरनाक होती हैं जो मानवीय शरीर में अछपोले ही दाखिल होकर छोटे-छोटे सैलों में विकार पैदा करती हैं, जो चमड़ी कैंसर जैसे भयानक रोगों को जन्म दे सकते हैं।

-गांव और डाक-खोसा पांडो, मोगा-142048