मुनमुन सेन-फिल्मों के अलावा राजनीति में भी किस्मत आज़माई

जिस ज़माने में ज़ीनत अमान व परवीन बॉबी के बिंदासपन और ग्लैमर के चर्चे आम थे, उन्हीं दिनों एक फिल्म ‘अंदर बाहर’ (1984) आयी। इसमें अपने हुस्न से मुनमुन सेन ने पर्दे पर आग लगा दी थी। हर तरफ केवल उनका ही ज़िक्र होने लगा था। तृणमूल कांग्रेस से सांसद रह चुकीं मुनमुन सेन का जन्म 28 मार्च 1954 को कोलकाता में एक चर्चित व रईस व्यापारी परिवार में हुआ था। वह विख्यात अभिनेत्री सुचित्रा सेन की बेटी हैं और उनके पिता दीबानाथ सेन हैं। उनके दादा दीनानाथ सेन त्रिपुरा की सरकार में मंत्री हुआ करते थे।
अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लोरेटो कान्वेंट शिलांग में हासिल करने के बाद मुनमुन सेन ने लोरेटो हाउस कोलकाता में प्रवेश लिया और फिर स्नातक की डिग्री लेने के लिए लंदन के समरविल कॉलेज ऑक्स़फोर्ड के लिए उड़ान भर ली। लेकिन लंदन में उनका मन नहीं लगा और स्वदेश लौटकर उन्होंने जाधवपुर यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की।  मुनमुन सेन को अपनी मां सुचित्रा सेन की ओर से विरासत में एक्टिंग मिली थी, जिसमें उनकी दिलचस्पी इस वजह से भी बढ़ी कि वह बचपन में अपनी मां के साथ उनकी शूटिंग देखने के लिए जाया करती थीं। सुचित्रा सेन मंझी हुई अभिनेत्री थीं, जिसके लिए उन्हें हर जगह से प्रशंसा मिलती थी। अपनी मां की तारीफें सुनने पर मुनमुन सेन के मन में भी आता था कि वह भी एक्टर बनें, उनकी भी प्रशंसा हो, इसलिए उन्होंने भी अभिनेत्री बनने की जिद पकड़ ली।
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि मुनमुन सेन पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं और कला में भी उनकी बराबर की दिलचस्पी थी। शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने पेंटिंग के बारीक गुण सीखे। उन्हें पेंटिंग की ऐसी लत लग गई थी कि वह पूरे दिन बस पेंटिंग ही करती रहती थीं। इसके अलावा उनके शौक में पुरानी चीज़ें जमा करना भी शामिल है।  बहरहाल, पर्दे पर अपने हुस्न का जलवा बिखरने से पहले मुनमुन सेन बालीगंज के एक सरकारी स्कूल में अंग्रेज़ी की टीचर बन गईं और साथ ही फिल्म की तकनीकियां सिखाने वाले एक इंस्टीच्यूट चित्रबानी में छात्रों को ग्राफिक्स की शिक्षा भी देने लगीं। समाज सेवा में भी वह व्यस्त रहती हैं। मुनमुन सेन के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस फिल्मोद्योग में अभिनेत्रियों का करियर शादी करने के बाद अक्सर समाप्त हो जाता है, उसमें उन्होंने अपने विवाह के बाद प्रवेश किया। मुनमुन सेन की शादी (1978) एक शाही परिवार के वारिस भारत देव वर्मा से हुई है, जिससे उनकी दो बेटियां- राइमा सेन व रिया सेन हैं, जो दोनों ही फिल्म संसार में हैं। गौरतलब है कि मुनमुन सेन की दिवंगत सास इला देवी कूचबिहार की राजकुमारी इंदिरा राजे की बेटी थीं और जयपुर की महारानी गायत्री देवी की बड़ी बहन थीं। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण जब मुनमुन सेन ने अपनी पहली ही फिल्म ‘अंदर बाहर’ की, तो इस पर जबरदस्त हंगामा हुआ और शाही परिवार ने इसका विरोध भी किया। लेकिन अपनी धुन की पक्की मुनमुन सेन को किसी की बात कहां सुननी थी।
हालांकि जहां तक एक्टिंग की बात है तो मुनमुन सेन में अपनी मां सुचित्रा सेन जैसी प्रतिभा थी ही नहीं, लेकिन एक ग्लैमर गर्ल के रूप में उन्होंने बहुत तहलका मचाया, न केवल हिंदी फिल्मों में बल्कि बंगाली, मराठी, मलयालम, कन्नड़, तमिल व तेलगु फिल्मों में भी। एक समय यह स्थिति थी कि वह कोलकाता से मुंबई, बेंग्लुरु आदि शहरों के ही चक्कर लगाती रहती थीं। मुनमुन सेन की तेलगु में दो फिल्में प्रदर्शित हुईं, ‘मंजू’ व ‘सिरिवेनेला’, जिसमें से दूसरी के लिए उन्हें आंध्र प्रदेश सरकार ने 1987 में सहायक कलाकार के नंदी पुरस्कार से सम्मानित किया। यह उनके फिल्मी करियर का एकमात्र अवार्ड रहा। मुनमुन सेन ने 60 फिल्मों के अतिरिक्त 40 टीवी धारावाहिकों में भी काम किया है। वैसे अपने पर्दे पर अपने ग्लैमर अवतार के बावजूद मुनमुन सेन बहुत अधिक धार्मिक हैं और पारिवारिक जीवन के प्रति समर्पित हैं। 
जहां तक मुनमुन सेन के राजनीतिक करियर का सवाल है तो 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तृणमूल के टिकट पर बांकुरा सीट से कम्युनिस्ट पार्टी के दिग्गज बासुदेव आचार्य को पराजित किया, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के बाबुल सुप्रियो (जो अब तृणमूल में हैं) से हार गईं।


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