एक कड़ा संदेश

नि:सन्देह देश में कानून का राज होना चाहिए परन्तु ज्यादातर कुछ छोटे-बड़े समूह किसी धार्मिक आस्था के नाम पर अन्य लोगों के साथ अत्याचार करने लगते हैं, जिससे समाज में टकराव बेहद बढ़ जाता है तथा वातावरण में घृणा फैल जाती है। खास तौर पर ऐसा घटनाक्रम धर्म के नाम पर घटित होता है। ज्यादातर इसकी आड़ में लूटपाट, धक्केशाही का बोलबाला हो जाता है। यदि ऐसे नकारात्मक घटनाक्रम को रोकने का यत्न किया जाता है तो भी इसका कोई ज्यादा प्रभाव नहीं होता, क्योंकि हिंसा करने वाले स्वयंभू ऐसे संगठनों के साथ संबंधित लोगों को प्रशासन द्वारा आम तौर पर कुछ नहीं कहा जाता तथा वे कानून के शिकंजे से भली-भांति बच निकलते हैं।
यह भी एक बड़ा कारण है कि धार्मिक स्थलों की तोड़-फोड़ से लेकर साम्प्रदायिक दंगों तक झगड़े बढ़ते रहते हैं। अधिकतर स्थानों पर जब साम्प्रदायिक दंगे होते हैं तो पुलिस तथा कानून लागू करने वाली एजेंसियां चुपचाप ऐसा कुछ घटनाक्रम होते देखती रहती हैं। राजनीतिक क्षेत्र में कई पार्टियां भी सुनियोजित साज़िश के अनुसार ऐसा माहौल तैयार करने का यत्न करती रहती हैं। ऐसा कुछ वे अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करती हैं। इसकी आड़ में ही लोगों को तंग-परेशान किया जाता है, जोकि बेहद दुखद होता है। कुछ वर्ष पूर्व तथा मौजूदा समय में भी ऐसा कुछ घटित होता रहता है परन्तु ऐसे घटनाक्रम पर नकेल तभी डाली जा सकती है यदि कानून सख़्ती से अपना काम करे। संबंधित सरकारों का भी यह कर्त्तव्य होना चाहिए कि वे कानून अपने हाथों में लेने वाले तत्वों के प्रति सख्ती बरतें तथा उन्हें बनती सज़ा दिलाने हेतु प्रतिबद्धता के साथ काम करें।
बहुत देर बाद अब इस संबंध में एक अच्छी ़खबर ज़रूर मिली है। जिस तरह हमने ऊपर ज़िक्र किया है कि आज देश भर में बहुत-से ऐसे गिरोह बन चुके हैं जो धर्म तथा आस्था के नाम पर अपनी मनमज़र्ी करते हैं तथा कानून को अपने हाथ में लेकर अन्य लोगों या समुदायों को पूरी तरह डराते-धमकाते रहते हैं। ऐसी ही एक घटना के संबंध में माननीय न्यायालय ने जो फ़ैसला सुनाया है, वह ज़रूर सन्तोषजनक कहा जा सकता है। वर्ष 2018 में राजस्थान में एक व्यक्ति को पीट-पीट कर मार देने (लिंचिंग) की दुखद घटना घटित हुई थी। हरियाणा के एक व्यक्ति ऱकबर ़खान को राजस्थान में इसलिए कुछ लोगों द्वारा पीट-पीट कर मार दिया गया था कि वह गौ तस्करी करता है। घटना यह थी कि रकबर ़खान नामक व्यक्ति अपने दोस्त असलम ़खान के साथ राजस्थान में गायों की खरीददारी के लिए गया था, जिसकी सन्देह के चलते गौ-भक्त कहलाते कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी जबकि उसका दोस्त असलम ़खान किसी तरह उनकी गिरफ्त से बच निकला था। इसी तरह अलवर में भी इससे एक वर्ष पूर्व अभिप्राय 2017 में दूध बेच कर गुज़ारा करने वाले एक किसान पीलू ़खान के साथ भी ऐसा ही घटनाक्रम घटित हुआ था, जब वह कुछ दुधारू गायें जयपुर की मंडी से खरीद कर वापिस हरियाणा आ रहा था। पीलू ़खान की हत्या करने वाले आरोपियों को तो संबंधित न्यायालय ने बरी कर दिया था परन्तु अब 7 वर्ष बाद ऱकबर ़खान मामले में नामज़द आरोपियों में से 4 को 7-7 वर्ष की कड़ी सज़ा सुनाई गई है।
इस फैसले को इसलिए अनुकरणीय माना जाना चाहिए, क्योंकि जहां यह कानून के शासन की भावना के अनुकूल है, वहीं इसे एक उदाहरण के रूप में भी प्रयुक्त किया जा सकेगा। इसमें संदेह नहीं कि यदि आरोपियों को कानून के तहत कड़ी सज़ाओं के भागी बनाया जाता रहा तो समाज में इस तरह की आपराधिक घटनाओं को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द