निन्दनीय कार्रवाई

 

रविवार को जब दिल्ली में नये संसद भवन का पूरी सजावट के साथ उद्घाटन हो रहा था, उसी समय के दौरान दिल्ली पुलिस ने पिछले 35 दिनों से जंतर-मंतर पर धरना दे रहे महिला और पुरुष पहलवानों के खिलाफ सख्त कारवाई करते हुए उनको हिरासत में ले लिया और जंतर-मंतर पर धरना स्थायी तौर पर खत्म करने के म़कसद से उनके टैंट और अन्य ज़रूरी सामान भी पुलिस उठा कर ले गई। महिला और पुरुष पहलवानों को जंतर-मंतर से हिरासत में लेने का दृश्य बहुत दर्दनाक था। उनको पुलिस ने जबरदस्ती हिरासत में लिया और इस प्रक्रिया के दौरान महिला और पुरुष पहलवानों को पुलिस द्वारा जम कर घसीटा भी गया। इसी समय के दौरान जब कुछ महिला और पुरुष पहलवानों और उनके समर्थकों ने नई संसद के सामने रखी गई ‘महिला सम्मान महापंचायत’ में शामिल होने के लिए इकट्ठे होकर उसी तरफ बढ़ने की कोशिश की तो रास्ते में रनाके लगाकर उनको भी रोका गया। यहां भी पुलिस ने कार्रवाई करते बहुत-से महिला और पुरुष पहलवानों को और उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया। एक जानकारी के अनुसार रविवार को पुलिस ने 109 प्रदर्शनकारियों सहित 700 के लगभग अन्य लोगों को हिरासत में लिया। इस आन्दोलन का नेतृत्व करने वाले पहलवानों विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया आदि के विरुद्ध सख्त धाराएं लगाकर पुलिस द्वारा केस भी दर्ज कर दिया गया। पुलिस का दावा है कि बाद में ज्यादातर गिरफ्तार किए गये खिलाड़ियों और उनके समर्थकों को छोड़ दिया गया था। पुलिस की इस निर्मम कार्रवाई की देश भर में तीव्र आलोचना हो रही है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से महिला और पुरुष पहलवानों के आन्दोलन में भाग लेने के लिए जाने वाले किसानों और खाप पंचायतों के कार्यकर्ताओं को भी पुलिस ने गाज़ीपुर, टिकरी, सिंघू आदि दिल्ली के साथ लगती सीमाओं पर रोक लिया और अनेक किसानों और खापों के साथ संबंधित कार्यकर्ताओं को भी पुलिस ने पहले हिरासत में ले लिया और बाद में छोड़ दिया गया। गाज़ीपुर बार्डर पर जब राकेश टिकैत और उनके साथियों को रोका गया तो उन्होंने वहीं पर धरना लगा दिया, जो कई घंटों तक चलता रहा।
यहां यह वर्णनीय है कि पिछले लम्बे समय से भारतीय रैसलिंग फैडरेशन के प्रधान और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर महिला और पुरुष पहलवानों द्वारा जंतर-मंतर पर आन्दोलन किया जा रहा है। महिला और पुरुष पहलवानों द्वारा रैसलिंग फैडरेशन के प्रधान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कुछ महिला पहलवानों का शारीरिक शोषण करने तथा उनके साथ दुर्व्यवहार करने के गम्भीर आरोप लगाए गए थे तथा उसके विरुद्ध कार्रवाई के लिए उनकी ओर से आन्दोलन आरम्भ किया गया था। परन्तु दिल्ली पुलिस बृजभूषण शरण सिंह के भाजपा सांसद होने तथा सत्ता के गलियारों में उसका प्रभाव होने के कराण उसके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से लम्बे समय तक इन्कार करती रही और आखिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध केस तो दर्ज हो गये, परन्तु अभी तक भी पुलिस ने अगली कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार नहीं किया। और तो और, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा के अन्य नेता जो महिला तथा पुरुष पहलवानों तथा अन्य खिलाड़ियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में पदक जीत कर लाने के बाद उन्हें बुला कर उनके साथ अक्सर खुशी-खुशी तस्वीरें खिंचवाते हैं तथा उनका सम्मान भी करते थे, वे भी इस मामले में महिला तथा पुरुष खिलाड़ियों को न्याय दिलाने के लिए तथा बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करवाने के लिए आगे नहीं आए। इस कारण जहां खिलाड़ी बेहद पीड़ित, दुखी तथा अपमानित महसूस कर रहे हैं, वहीं इससे देश-विदेश में सरकार की छवि भी बिगड़ रही है। नये संसद भवन के उद्घाटन वाले दिन ही महिला तथा पुरुष पहलवानों के विरुद्ध पुलिस द्वारा जिस प्रकार की कड़ी कार्रवाई की गई है, उसकी विपक्षी पार्टियों के नेताओं तथा देश के अन्य जागरूक नागरिकों ने भी कड़ी आलोचना की है। पुलिस की इस कार्रवाई से विपक्षी पार्टियों के इन आरोपों कि भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं रखती, अपितु आवाज़ उठाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आवाज़ को दबाने के लिए दमनकारी ढंग-तरीके अपनाती है, की पुष्टि हो गई है। 
इस संबंध में हमारा यह स्पष्ट विचार है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा भारतीय खेल मंत्रालय को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। आन्दोलन कर रहे महिला तथा पुरुष पहलवानों को बातचीत के लिए बुलाया जाना चाहिए और उनकी सभी शिकायतें सुनने के बाद भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने के आदेश दिये जाने चाहिएं। केन्द्र सरकार तथा दिल्ली पुलिस दमनकारी ढंग-तरीकों से जिस प्रकार इस आन्दोलन को दबाने की कोशिश कर रही है, उसमें उसे सफलता मिलने की कोई सम्भावना नहीं है। दिल्ली पुलिस की विगत रविवार की कार्रवाई के बाद भी महिला तथा पुरुष पहलवानों ने पुन: घोषणा की है कि वे न्याय मिलने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे। दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां, खाप पंचायतें तथा किसान संगठनों द्वारा भी और अधिक दृढ़ता से इस आन्दोलन में शिरकत करने की सम्भावना बढ़ गई है। इन सभी पहलुओं पर गम्भीरता तथा संजीदगी से विचार करने के बाद केन्द्र सरकार तथा खेल मंत्रालय द्वारा इस मामले का जल्द से जल्द समाधान किया जाना चाहिए।