संस्कार का पुरस्कार

एक बार की बात है कि एक नगर के बाहर एक बहुत बड़ा बाग था। उस बाग में अनेक बार के फल लगे हुए थे। उस बाग की रखवाली के लिए एक माली भी था। उस बाग का माली इस बात से बहुत ज्यादा तंग था कि नगर के बाहर स्थित एक स्कूल के बच्चे दोपहर के समय छुट्टी के पश्चात् घर लौटते समय उस बाग से माली से छिपकर फल अवश्य तोड़ते। माली उन बच्चों की उससे छिपकर फल तोड़ने की बुरी आदत से बहुत तंग था। क्योंकि बाग बहुत बड़ा था लेकिन माली अकेला था। माली ने स्कूल के प्रधानाचार्य तथा अध्यापकों के पास कई बार उन बच्चों की शिकायत भी की थी। लेकिन उस शिकायत का स्कूल के बच्चों पर कुछ दिन ही असर रहता। कुछ दिन तो वे बाग की ओर न आते लेकिन कुछ दिनों के बाद वे उस बाग से फिर फल तोड़ने लगते। माली उस दिन की प्रतीक्षा करने लगा कि वह उन शरारती बच्चों को सबक सिखाए। एक दिन दोपहर का समय था। माली बाग के एक कोने में छिपकर स्कूल से बच्चों के आने की प्रतीक्षा कर रहा था। बहुत से बच्चे बाग की ओर फल तोड़ने के लिए आगे बढ़ गए। लेकिन उन बच्चों में एक ऐसा बच्चा भी था जो बाग के पास खड़ा उन बच्चों के आने की प्रतीक्षा कर रहा था। माली फल तोड़ने वाले बच्चों को छोड़कर उस बाग के पास खड़े बच्चे के बारे में सोचने लगा।
थोड़ी देर के बाद माली उस बच्चे के पास पहुंच गया। बच्चा माली के आने से बिल्कुल नहीं घबराया। वह वहीं खड़ा रहा। माली ने उस बच्चे को प्रश्न किया, बच्चे मैं आपको पूछना चाहता हूं कि आप मुझे देखकर न ही डरे और न ही भागे। क्या आपको मुझसे डर नहीं लगता? दूसरी बात यह है कि आपके साथ के सभी बच्चे फल तोड़ रहे है लेकिन आप खड़े हैं, इसका क्या कारण है? बच्चे ने माली को उत्तर दिया, माली बाबा, मेरे माता-पिता ने मुझे अच्छे संस्कार दिए हैं। उन्होंने मुझे सिखाया है कि चोरी करना अच्छी बात नहीं, इससे पाप लगता है। रही बात आप को देखकर भागने की, जब मैने चोरी ही नहीं की तो मैं आप को देख कर भागूं क्यों? माली ने फिर उस बच्चे को प्रश्न किया, बच्चे तुम इन बुरी आदतों वाले बच्चों की संगति क्यों करते हो? बच्चे ने उत्तर दिया, माली बाबा, मेरी उनकी संगति केवल स्कूल आने जाने की है, इससे ज्यादा नहीं। माली बच्चे के उत्तर से बहुत खुश हुआ। उसने उस बच्चे को अपनी झोंपड़ी से निकाल कर इतने फल दिए जो सभी बच्चों के फल मिलाकर भी ज्यादा थे। माली ने सभी बच्चों को अपने पास बुलाकर कहा, बच्चो, यह बच्चा आपका ही साथी है लेकिन यह अच्छे संस्कारों के कारण चोरी करना पाप समझता है लेकिन आप इसको देखकर भी अच्छी आदत नहीं सीख पाए। आप चोरी करके भी इतने फल प्राप्त नहीं कर सके, जितने इसे अच्छे संस्कार के लिए पुरस्कार के लिए मिल गए हैं। सभी बच्चों को माली की बात अच्छी लगी। उन्होंने कहा- माली बाबा, हमें अपनी बुरी आदत का एहसास हो गया है। भविष्य में हम ऐसा कभी नहीं करेंगे। माली ने खुश होकर उनको भी बहुत से फल देकर विदा किया।

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