छात्रों के लिए दोधारी तलवार है जीपीटी-3

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित किया है और इसका सबसे उल्लेखनीय योगदान जीपीटी-3 (जेनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर 3) है। ओपन एआई द्वारा विकसित इस एडवांस्ड लैंग्वेज मॉडल में मानव-जैसा टेक्स्ट जेनरेट करने की क्षमता है, जिससे यह विभिन्न डोमेन में शक्तिशाली टूल बन जाता है। लेकिन जब बात छात्रों की आती है, तो जीपीटी-3 दोधारी तलवार है। एक तरफ यह लर्निंग, रिसर्च व रचनात्मकता के लिए अप्रत्याशित अवसर उपलब्ध कराता है, तो दूसरी तरफ साहित्यिक चोरी, इस पर अत्यधिक निर्भरता और क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स कम करने की चिंताओं को बढ़ा देता है। इसलिए जीपीटी-3 के छात्रों पर पड़ रहे प्रभावों की समीक्षा करना आवश्यक हो जाता है ताकि इसके लाभों को इसकी हानि के विरुद्ध तोला जा सके।
लाभ 
जीपीटी-3 छात्रों को ज़बरदस्त जानकारी उपलब्ध कराता है, शोध में मदद करता है और सीखने की प्रक्रिया को तेज़ कर देता है। यह विशाल डाटाबेस, अकादमिक पेपर्स और लेखों की छानबीन करके प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध करा देता है, जिससे छात्रों को घंटों का ज्ञान मिनटों-सेकंडों में मिल जाता है। 
लेखन में सहयोग 
जीपीटी-3 की टेक्स्ट जनरेशन क्षमता उन छात्रों के लिए बड़ा सहारा है जो अपने लेखन असाइनमेंट को कठिन महसूस करते हैं या लिखने के संदर्भ में संघर्ष करते रहते हैं। इसकी मदद से वाक्यों की संरचना बेहतर की जा सकती है, वैकल्पिक शब्दों का अच्छा सुझाव मिलता है और निबंध विषयों के विचार हासिल किये जा सकते हैं। छात्र जीपीटी-3 को लेखन कंपेनियन के रूप में प्रयोग कर सकते हैं, जिससे वह अपने विचारों को अधिक प्रभावी ढंग से व्यक्त भी कर सकते हैं।
भाषा सीखना व अनुवाद 
जो छात्र भाषा सीखना चाहते हैं उनके लिए जीपीटी-3 की स्वभाविक भाषा प्रोसेसिंग क्षमता बहुत लाभदायक व मूल्यवान है। यह त्वरित अनुवाद उपलब्ध कराता है, व्याकरण की प्रैक्टिस करने में मदद करता है और वार्ता को प्रोत्साहित करता है, जिससे छात्रों में भाषाई योग्यता आ जाती है। इस तरह भाषा शिक्षा लोकतांत्रिक हो जाती है और ग्लोबल कम्युनिकेशन के अवसर उपलब्ध होते हैं।
रचनात्मक प्रेरणा 
टेक्स्ट जनरेट करने की जीपीटी-3 की क्षमता रचनात्मक लेखन तक को अपने अंदर समाये हुए है। यह छात्रों को कहानी बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है, राईटर्स ब्लाक को दूर करने में मदद करता है और उनकी कल्पना की परवरिश करता है। यह प्रयोगों और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है, जिससे छात्र अपने लेखन कार्य में नई-नई बातों को एक्स्प्लोर कर सकते हैं।
नुकसान 
चूंकि जीपीटी-3 में उच्च-गुणवत्ता का मानव जैसा टेक्स्ट उत्पन्न करने की क्षमता है, इसलिए साहित्यिक चोरी बहुत बड़ी चिंता बन जाती है। छात्र मॉडल का दुरूपयोग कर सकते हैं जनरेटिड कंटेंट को कॉपी या पैराफ्रेज करके और वह भी बिना उचित आरोपण के। इससे अकादमिक निष्ठा कमतर होती है और लर्निंग प्रक्रिया को नुकसान पहुंचता है। ज़ाहिर है ऐसा करने से मूल विचारों और आलोचनात्मक समीक्षा स्किल्स का विकास बाधित होता है।
जीपीटी-3 पर अत्यधिक निर्भरता 
शोध, लेखन व प्रॉब्लम सोलिं्वग के लिए जीपीटी-3 पर अत्यधिक निर्भरता से जीपीटी-3 छात्रों के लिए ऐसी बैसाखी बन जायेगा जिससे वह स्वतंत्र रूप से सोचने की क्षमता ही खो बैठेंगे। सहारे की लाठी के रूप में प्रयोग करने से आलोचनात्मक सोच, प्रॉब्लम सोलिं्वग और एनालिटिकल स्किल्स का विकास नहीं हो पाता है।
अल्गोरिद्मिक पक्षपात 
किसी भी मशीन लर्निंग मॉडल की तरह जीपीटी-3 भी पक्षपात कर सकता है। अगर जिस डाटा पर उसे तैयार किया गया है उसके अंदर पक्षपात मौजूद है तो वह पक्षपात जनरेटिड कंटेंट में प्रकट अवश्य होगा। यह छात्रों के लिए बड़ा खतरा है क्योंकि वह अनजाने में पक्षपाती सूचना को ग्रहण कर लेंगे या पहले से ही जो गलत धारणाएं बनी हुई हैं उनको बल मिल जायेगा।
नैतिक चिंताएं 
जैसे-जैसे जीपीटी-3 अधिक प्रयोग में आता जा रहा है, नैतिक चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। मसलन, एआई-जनरेटिड कंटेंट को उचित क्रेडिट देने की ज़िम्मेदारी से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के प्रश्न उठ रहे हैं। फिर अनैतिक उद्देश्यों के लिए जीपीटी-3 के आशंकित दुरूपयोग, जैसे गलत सूचना फैलाना या प्रोपेगंडा आदि के कारण आवश्यक है कि कड़ी निगरानी की जाये और ज़िम्मेदारी भरे प्रयोग पर बल दिया जाये। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर