आज पिता दिवस पर विशेष हर पिता को जानने चाहिएं पितृत्व के आधुनिक नैतिक कोड

जैसे-जैसे दुनिया विकसित होती है, उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए नए नैतिक उसूलों की ज़रूरत पड़ती है। विशेषकर उन लोगों के लिए जो इस दुनिया का किसी न किसी रूप में नेतृत्व करते हैं। पिता इन्हीं लोगों में से एक होता है। जो अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल होता है, क्योंकि वह घर का नेतृत्व करता है, इसलिए उसे हमेशा बदलते दौर की ज़रूरतों के हिसाब से अपने नैतिक मूल्यों को बदल लेना चाहिए। तभी वह अपनी संतानों का वास्तव में रोल मॉडल हो सकता है।
अभी कुछ दशकों पहले तक आमतौर पर बच्चों के लालन पालन की बड़ी जिम्मेदारी माताओं के हिस्से हुआ करती थी। जबकि पिता को घर का कमाने वाला सदस्य माना जाता था और उसे इस बात के लिए छूट दी जाती थी कि वह बच्चों की परवरिश में चाहे तो कोई भूमिका निभाए या न निभाए लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज चूंकि मां भी पिता की तरह बराबर की कमाने वाली सदस्य है, इसलिए मां और बाप की भूमिका आज एक जैसी हो गई है। यही वजह है कि आज सिर्फ मां, बच्चों का पालन पोषण नहीं करती, नये दौर के पिताओं की भी उसमें उतनी ही भूमिका होती है या होनी चाहिए। जो नये पिता इस सच्चाई को नहीं समझ पाएंगे और उम्मीद करेंगे कि पहले जमाने की तरह उन्हें बच्चों के लालन पालन से मुक्त रखा जाए, वे नये दौर की नैतिक संहिता के मामले में अज्ञानी साबित होंगे। 
सवाल है कि आखिर नये जमाने के पिता के वो नये मूल्य या नये नैतिक कोड हैं क्या, जिन्हें हर नये पिता को जानना, समझना ही नहीं अमल में लाना भी ज़रूरी होता है? वास्तव में ये रोजमर्रा की जिंदगी की बहुत छोटी-छोटी मगर सजगता से अदा की गई भूमिकाएं होती है। मसलन नये दौर के पिता को ड्राइविंग आनी चाहिए वरना उनकी संतानों को भी समय से ड्राइविंग की कुशलता नहीं आती। लेकिन ड्राइविंग आना बहुत छोटी सी बात है। यह नैतिक कोड तब बनती है, जब आज के पिता अपने परिवार के साथ ड्राइविंग करते हुए हमेशा सुरक्षा की भावना और ट्रैफिक नियमों को पालन करने के प्रति अपनी दृढ़ता व्यक्त करें। आज के पिता जब गाड़ी में परिवार को लेकर ड्राइविंग कर रहे होते हैं, तो उन्हें बच्चों के सामने यह आदर्श पेश करना चाहिए कि वे भी जब ड्राइविंग करेंगे तो समग्रता से ट्रैफिक नियमों का पालन करेंगे। कहां हॉर्न बजाना है, कहां नहीं बजाना। ट्रैफिक में किस तरह का व्यवहार करना है, रैस ड्राइविंग नहीं करनी, किसी को अपशब्द नहीं कहने और ओवर टेक का प्रयास तो बिल्कुल नहीं करना। जब आप परिवार के साथ गाड़ी चलाते हुए ये आदर्श प्रस्तुत करते हैं तो आप अपने बच्चों को एक नैतिक सीख दे रहे होते हैं। 
हम सब जानते हैं कि इस 21वीं शताब्दी की सबसे बड़ी समस्या है पर्यावरण की समस्या। ग्लोबल वार्मिंग इसी के विस्तृत परिणामों का नाम है। इसलिए आज घर में और घर के बाहर भी प्रकृति के प्रति एक संवेदनशीलता का भाव रखना हर आधुनिक और नये पिता का न सिर्फ ज़रूरी कर्तव्य है बल्कि यह इस जमाने की पैरेंटिंग का ज़रूरी नैतिक कोड भी है। जब हम अपने बच्चों के साथ बिगड़ते पर्यावरण की चर्चा करते हैं, धरती के खराब हो रहे स्वास्थ्य के लिए चिंता जताते हैं, तो यह चेतना और संवेदना बच्चों में भी विस्तारित होती है और आज इसकी बहुत ज़रूरत है। इसलिए नये जमाने के पिता को अपने लिए ही नहीं अपने बच्चों के लिए भी पर्यावरण के प्रति हर हाल में जागरूक होना है और उसकी यह जागरूकता परिवार में प्रेरणा बने, इस हद तक उसके प्रति समर्पित होना है। घर में जब मां-बाप प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर संवेदनशील नहीं होते तो उनके बच्चे भी नहीं होते।
आज के आधुनिक पिता में पितृत्व का एक खास गुण यह भी होना ज़रूरी है कि वह फिट रहे। क्योंकि फिटनेस आज के दौर का जीवनमूल्य है। अगर आप फिट नहीं हैं, तो अपने प्रति ही नहीं अपने परिवार के प्रति भी गैर जिम्मेदार हैं। अगर आप जिम्मेदार पिता हैं तो ऐसा कोई व्यसन नहीं करेंगे, ऐसे किसी नशे की लत का शिकार नहीं होंगे, जिससे आपके बच्चों पर गलत असर पड़े। हालांकि नशे से दूरी बनाये रखना या बच्चों से छिपकर ही नशा करना तो पुराने दौर में भी जीवन मूल्य था। लेकिन फिटनेस तब इस कदर मूल्य नहीं था, जैसे आज है। आज अगर आप फिट डैडी हैं तो बच्चों को आप पर गर्व होता है। उन्हें अच्छा लगता है कि उनके पिता स्वस्थ और फिट हैं। आप जब उनके साथ किसी सार्वजनिक जगह में होते हैं, तब आपकी उन्हें यह फिटनेस गर्व और खुशी का एहसास कराती है। इसलिए आज के नये पिता को फिट रहना ज़रूरी है। तभी वह कह सकता है कि उसके विचार भी स्वस्थ और ताकतवर हैं, क्योंकि कहावत है- स्वस्थ दिल में ही स्वस्थ विचार पलते हैं। फिट रहने में एक अव्यक्त सुविधा यह है कि जब हम फिट रहते हैं, तो इसे बनाये रखने के लिए रोजमर्रा की जीवनशैली में अनुशासित रहते हैं। रात में समय से सोते हैं, सुबह जल्दी जगते हैं, जिसका अनुसरण बच्चे भी करते हैं और आपकी तरह बिना विशेष तौर पर फिटनेस पर ध्यान दिए ही वे फिट रहते हैं।
आज के दौर के हर नये पिता को यह गांठ बांध लेनी चाहिए कि उसकी कोई संतान हो, उसके पहले ही उसे अपने इर्दगिर्द इस्तेमाल में आने वाली रोजमर्रा की तकनीकों में कुशल होना है। आज के बच्चे ऐसे पिता को कतई नहीं पसंद करते, जो तकनीकी कौशल के मामले में बहुत पिछड़े होते हैं। अगर आप अपने बच्चों के हीरो बनना चाहते हैं, उनके रोल मॉडल रहना चाहते हैं, तो टेक्नोसेवी बनिए। ऐसा न हो कि मोबाइल, लैपटॉप या कोई कामकाजी गैजेट आपको चलाना ही न आता हो और यह जानकर और देखकर आपके बच्चे हीनभावना का शिकार हो जाते हों। इस तरह आज के हर नये पिता को कामयाब पिता बनने के लिए और प्रभावशाली पितृत्व की छाप छोड़ने के लिए ज़रूरी है कि उसमें ये नये कुशलताएं हों, जो आज के नैतिक मूल्य और नैतिक कोड बन गये हैं। 


-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर