मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल की सम्भावनाओं से कई मंत्रियों की नींद उड़ी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने अमरीका तथा मिस्र दौरे के बाद राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। हालांकि यह परम्परा है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को विदेशी यात्राओं के बारे जानकारी देते हैं, परन्तु तथ्य यह है कि राष्ट्रपति मुर्मू से उनकी मुलाकात के बाद गत कुछ दिनों में भाजपा में कई बैठकें हुई हैं, जिससे आने वाले दिनों में पार्टी संगठन में बड़े बदलाव के साथ-साथ मंत्रिमंडल में भी फेरबदल के क्यास तेज़ हो गए हैं। बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बातचीत ने कई कैबिनेट मंत्रियों की नींद उड़ा दी है। संसद का मानसून अधिवेशन जुलाई के अंत में शुरू हो सकता है। कई लोग हैरान हैं कि, क्या प्रधानमंत्री अधिवेशन शुरू होने से पहले अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं। 
खड़गे द्वारा राजस्थान के नेताओं से बैठक
टी.एस. सिंह दिओ को छत्तीसगढ़ का उप-मुख्यमंत्री नियुक्त करने की कांग्रेस की रणनीतिक कोशिश के बाद, पार्टी अब राजस्थान पर ज़ोर दे रही है, जहां इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान में कांग्रसी नेताओं के आपस में चल रहे विवाद का समाधान ढूंढने के लिए कोशिशें तेज़ कर दी हैं। बातचीत मुख्यमंत्री के पद से हट कर अशोक गहलोत तथा उनके विरोधी सचिन पायलट के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने पर केन्द्रित हो गई है। चुनाव संबंधी राणनीति पर चर्चा के लिए खड़गे ने 3 जुलाई को दिल्ली में राजस्थान के नेताओं की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव कम करने के लिए पायलट को पार्टी में कहीं और महत्वपूर्ण पद का प्रस्ताव देना होगा, साथ ही राजस्थान चुनाव शुरू होने से पहले किसी तरह भी इस विवाद को रोकने की कोशिश करना होगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि, क्या पायलट कांग्रेस पार्टी के महासचिव के रूप में दिल्ली तबादले को स्वीकार करने के लिए तैयार होंगे या राजस्थान में पिछले पद पर अपनी वापसी पर ज़ोर देते रहेंगे?
 दूसरी ओर, कांग्रेस के लिए कथित तौर पर मुख्यमंत्री गहलोत को नाराज़ किए बिना या राज्य सरकार को बदनाम किए बिना पायलट की तीन मुख्य मांगों को पूरा करना कठिन हो रहा है। कथित तौर पर हाईकमान पायलट के साथ समझौता करने का इरादा रखती है, हालांकि यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि कुछ विधायकों के ज़ोर के कारण गहलोत ने गत वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों की उच्च स्तरीय जांच, राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने तथा नये कानून के माध्यम से इसका पुनर्गठन तथा पेपर लीक होने के कारण पीड़ित विद्यार्थियों के लिए मुआवज़े सहित उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया, परन्तु गहलोत गुट इन मांगों को मानने का विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे आगामी चुनावों से पहले कांग्रेस सरकार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अखिलेश की गतिविधियां
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव दलितों, लोधी तथा मौर्या वोट पर नज़र रखते हुए प्रत्येक राजनीतिक कदम का ध्यान से मूल्यांकन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में लगभग 6-7 प्रतिशत मतदाता लोधी समुदाय के हैं और 8-9 प्रतिशत मौर्या समुदाय से हैं। प्रत्येक गांव के युवाओं के साथ सीधे जुड़ कर तथा भविष्य की राजनीति बना कर अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में ‘मिशन 80’ की तैयारियों शूरू कर दी हैं। 
पार्टी आज़मगढ़, अलीगढ़, ओनाव, बाराबंकी, इटावा, हमीरपुर, बुलंदशहर, रामपुर तथा कुशीनगर सीटों पर जीत का आधार तैयार करने के लिए अधिक ज़ोर लगा रही है। समाजवादी पार्टी आज़मगढ़ में नये पार्टी कार्यालय की एक विशाल इमारत बना रही है। यह विशाल कार्यालय, जो समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव के आवास के रूप में भी काम करेगा, लखनऊ के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पार्टी केन्द्र बनने के लिए तैयार है। पार्टी का यह नया ‘पूर्वांचल कार्यालय’ समाजवादी नेताओं को पूर्वी उत्तर प्रदेश की संसदीय सीटों के लिए रणनीति बनाने में मदद करेगा। 
बी.आर.एस. बनाम कांग्रेस
तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव बस कुछ ही माह दूर हैं। कांग्रेस ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में क्षेत्रीय नेताओं से योजनाबद्ध बैठक की। बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की तथा इसमें पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तेलंगाना के पार्टी प्रभारी मानिक राव ठाकरे, प्रदेशाध्यक्ष रेवंत रैड्डी तथा राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। राहुल गांधी ने राज्य के अन्य नेताओं को स्पष्ट रूप में कहा कि कांग्रेस तथा सत्तारूढ़ भारत राष्ट्रीय समिति (बी.एस.आर.) के बीच राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन नहीं होगा। उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया और ज़ोर दिया कि पार्टी को कर्नाटक में जीत का मंत्र मिल गया है और इसे तेलंगाना में भी दोहराया जाना चाहिए। राहुल गांधी ने तेलंगाना के नेताओं को एक-दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर न बोलने का सुझाव भी दिया और इसकी अपेक्षा पार्टी मंच पर चिन्ताएं उठाने का विचार पेश किया। जबकि एक दर्जन से अधिक पार्टी नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने तथा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनके द्वारा मुलाकात करने के बाद भारत राष्ट्रीय समिति पार्टी को बड़ा झटका लगा। शामिल होने वाले नेताओं में पूर्व सांसद पोंगुलेटी श्रीनिवास रैड्डी, पूर्व मंत्री जुपल्ली कृष्णा राव तथा पूर्व विधायक पनियाम वेंकटेश्वर्लू, कोरम कनकईया तथा कोटा रामबाबू आदि शामिल थे।
के.सी.आर. की नज़रें महाराष्ट्र पर
2024 के संसदीय चुनावों को देखते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री तथा भारत राष्ट्रीय समिति (बी.आर.एस.) के संस्थापक के. चन्द्रशेखर राव ने गत सोमवार महाराष्ट्र में शक्ति प्रदर्शन किया, जब वह 600 से अधिक कारों तथा एस.यू.वी. के एक विशाल समूह के साथ पंढरपुर तथा तुलजापुर के दौरे पर गए थे। के.सी.आर. का लक्ष्य 2024 में महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीटों तथा 288 विधानसभा क्षेत्रों पर चुनाव लड़ना है और उन्होंने पहले ही विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन को हैरान कर देने हेतु तैयारी शुरू कर दी है, जिसे वोट के विभाजन का भय था। जैसे ही के.सी. राव एक बस के ज़रिये सोलापुर सीमा पार करके महाराष्ट्र में दाखिल हुए, सड़कों के दोनों ओर लोगों ने ‘अबकी बार किसान सरकार’ के नारों के बीच फूलों की वर्षा की और गुलाबी झंडे लहरा कर उनका स्वागत किया।

(आई.पी.ए.)