चांद पर जाने को तैयार है चंद्रयान-3 

चंद्रयान-3, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) का तीसरा योजनाबद्ध अनुसंधान मिशन है। समाचार आ रहे हैं कि इस प्रोजैक्ट से संबंधित सभी ज़रूरी परीक्षण  सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गये हैं। लैंडर का मुख्य परीक्षण इलैक्ट्रो मैग्नैटिक इंटरफीरैंस (ई.एम.आई.)  इलैक्ट्रो मैग्नैटिक कैपेबिलिटी (ई.एम.सी.) सम्पन्न हो चुके हैं। इस समय यान को प्रक्षेपित किए जाने की पूरी तैयारी है। चंद्रयान-3 को 13 जुलाई, 2023 के दिन दोपहर 2:30 बजे (आई.एस.टी.) पर प्रक्षेपित किए जाने की पूरी उम्मीद है। चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से, देश के सबसे अधिक वज़न वाले, लांचिंग वाहन, जी.एस.एल.वी. मार्क-3 मार्क-4 द्वारा चांद की तरफ प्रक्षेपित किया जाना है। इस मिशन पर तकरीबन 615 करोड़ रुपये अनुमानित खर्च आया है।

आपको याद होगा?

22 जुलाई 2019 को इसरो के चंद्रयान-2 को चांद की तरफ लॉच किया था। लेकिन सात माह के बाद 7 सितम्बर 2019 को चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरने की कोशिश करते हुए चांद की सतह के बहुत निकट जाकर, उसका ‘लैंडर विक्रम’ अपना नियंत्रण गंवा बैठा था। नेतृत्व करने वाले साफ्टवेयर में खराबी होने के कारण, लैंडिंग स्पॉट पर पहुंचने से पहले ही रोवर सहित लैंडर तहस-नहस हो गया था। ऐसा अंतरिक्ष कमिशन द्वारा दी गई एक रिपोर्ट में कहा गया था।

कब पहुंचेगा चांद पर?

चंद्रयान-3 डेढ़ महीने के अंतराल में, 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर, 23 अगस्त 2023 को चांद पर उतरेगा।
चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में एक लैंडर (विक्रम), एक रोवर (प्रज्ञान) होंगे, परन्तु इसमें कोई ऑर्बिटर नहीं होगा। इसका प्रोपलशन मड्यूल, एक संचार रिले उपग्रह की तरह काम करेगा। प्रोपलशन मड्यूल में लैंडर और रोवर तब तक होंगे, जब तक कि अंतरिक्ष क्राफ्ट 100 कि.मी. चंद्रमा के ऑर्बिट के अंदर नहीं चला जाता। मिशन के योजनाबद्ध समय में विक्रम लैंडर का 14 दिन, प्रज्ञान रोवर का 14 दिन का समय निश्चित किया गया है।

पे-लोड कितना है?

प्रोपलशन मड्यूल का पुंज 2148 कि.ग्रा., लैंडर मड्यूल (विक्रम) का  पुंज 1752 कि.ग्रा., जिसमें रोवर (प्रज्ञान) का 26 कि.ग्रा. का पुंज भी शामिल है, कुल मिलाकर पे-लोड (उठाकर ले जाया जाने वाला बोझ) जोड़ें तो यह 3900 कि.ग्रा. यानि कि तकरीबन 4 टन बन जाता है।

कौन से उपकरण के साथ ले जाया जा रहा है?

 प्रोपलशन मड्यूल में लैंडर के अलावा स्पैक्ट्रो पोलरीमीटरी आफ हैबीटेबल प्लैनैट अर्थ (SHAPE) का भार भी होगा। यह धरती से निकलते प्रकाश की खोजबीन करेगा और चांद के ग्रह पथ से धरती का पौलीमैट्रिक नाप लेगा।
लैंडर में लगाया chaSTE  का उपयोग चांद के धरातल पर ताप संबंधी गुणों की जांच करेगा। एक और उपकरण ILSA  लैंडिंग वाले स्थान पर भुकम्प संबंधी जानकारी एकत्रित करेगा। चांद पर गैस और प्लाज़मा की जांच-पड़ताल करने के लिए RAMBHA उपकरण काम करेगा। इसके अलावा अलग-अलग अनुसंधान के उद्देश्य के लिए लेज़र उपकरण APXS और LIBS भी लगे हुए हैं।

मिशन का उद्देश्य

इसरो ने इस मिशन को चांद की तरफ भेजे जाने के ये उद्देश्य निश्चित किए हैं-
1. पहला उद्देश्य तो यही है कि लैंडर सुख शांति के साथ सुरक्षित चांद की सतह पर पहुंच जाए।
2. चांद पर पहुंचकर रोवर की घुमने फिरने की समर्था का निरीक्षण और प्रदर्शन किया जाएगा।
3. निरीक्षण के आधार पर चांद की मिट्टी, धूल, चट्टानें, पानी, वहां पर मौजूद कुदरती और रासायनिक तत्वों पर वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे। तत्वों की जांच-पड़ताल करने के लिए APXS (अल्फा पार्टीकल एक्स-रे स्पैक्ट्रोमीटर और (LIBS ) लेज़र इंडियूज़ड स्पैक्ट्रोमीटर लैंडर में लगे हुए है। इससे चांद की रचना की अच्छे तरीके से समझ आएगी। ऐसे ग्रहों के बीच नई तकनीकें विकसित और प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी।
4. चांद पर लैंडिंग साईट के आस-पास की ज़मीन की भूकम्प समर्था (लूनर सिसमिक एक्टीविटी यंत्र ILSA के साथ) नापना, चांद की सतह पर वातावरण और चांद के मौलिक बुनियादी ढांचे की जांच-पड़ताल की जाएगी।

डिज़ाइन

चंद्रयान-3 की लैंडर चार throttle-able engines होंगे, जबकि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में पांच 800 न्यूटन इंजन थे। इसे पांचवें केन्द्र में निश्चित ज़ोर डालकर टिकाया गया था। इसके अलावा चंद्रयान-3 के लैंडर में लेज़र डापलर विलौसीमीटर (LDV) भी लगा हुआ है। लैंडर की टांगें पहले से मज़बूत बनाई गई हैं।

यात्रा के दौरान सक्रियता 

जब हम चंद्रयान-3 को प्रक्षेपित करेंगे, निश्चित ऊंचाई पर जाकर उपग्रह लांचिंग वाहन से अलग हो जाएगा। यह धरती की परिक्रमा करने लगेगा। धरती के पांच चक्र लगाएगा। धरती की गुरुत्वा आकर्षण से अधिक गति पकड़ेगा। छठे चक्र में चांद की तरफ चला जाएगा। प्रोपलशन मड्यूल  द्वारा धीरे-धीरे गति कम होगी और यह 100 किलोमीटर के ऑर्बिट में घुमने लगेगा। फिर 30 किलोमीटर ऊंचाई पर आकर लैंडर प्रोपलशन मड्यूल से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। यह स्थान ऊंची चट्टानों वाला है।

शुभ इच्छाएं

उम्मीद करते हैं कि इसरो द्वारा छोड़े चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर उतरने में कामयाबी मिलेगी। वहां निश्चित प्रयोग करने और लाभदायक जानकारी भेजने में भरपूर सफलता मिले ताकि वह आने वाले वर्षों में गगनयान, सूर्य पर अदित्या L1 और शुक्र ग्रह की तरफ भेजे जाने वाले शुक्रयान जैसे भविष्य के प्रोजैक्टों को पूरे हौसले और स्वै-विश्वास के साथ हाथ में ले सकें।
 

mayer hk@yahoo.com