2024 की लड़ाई के लिए महत्वपूर्ण बने रहेंगे पवार, लालू व नितीश

भारतीय राजनीति के दिग्गज (वैटर्न) शरद पवार, लालू प्रसाद यादव तथा नितीश कुमार अपनी अंतिम पारी खेल रहे हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। हालांकि अजित पवार ने 29 से अधिक विधायकों के समर्थन से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को विभाजित कर दिया है और महाराष्ट्र के नये उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है, जिसकी प्रतिक्रिया के रूप में 82 वर्षीय राकांपा सुप्रीमो तथा मराठा नेता शरद पवार ने महाराष्ट्र का दौरा शुरू कर दिया है और राकांपा को मज़बूत करने तथा भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए विपक्षी एकता को मज़बूत करने हेतु शीघ्र ही अन्य प्रदेशों का दौरा भी शुरू करेंगे। 
राष्ट्रीय जनता दल के गठन के 27 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक समारोह का उद्घाटन करने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए लालू प्रसाद यादव ने कहा कि जब आपके (प्रधानमंत्री के रूप में) दिन खत्म हो जाएंगे तो आपका (मोदी) क्या होगा? कम से कम हमने सद्भावना हासिल की है और लोग अभी भी फूलों तथा मालाओं की वर्षा कर रहे हैं। लालू ने यह भी कहा कि बिहार में महागठबंधन विपक्षी दलों की एकता का एक शानदार उदाहरण रहा है। हमें साम्प्रदायिकता की लड़ाई में अडोल रहना चाहिए और आरक्षण प्रणाली को खत्म करने की कोशिशों का विरोध करना चाहिए, जो कि अम्बेदकर की विरासत है।  दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की सभी विपक्षी पार्टियों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की पहल को कई क्षेत्रीय नेताओं से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। कुल 17 पार्टियां भाजपा के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने जा रही हैं। 

अखिलेश की सक्रियता 
समाचारों के अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इस घोषणा के बाद कि कांग्रेस भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) किसी भी करीबी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी और महाराष्ट्र में घटित हो रही घटनाओं को लेकर विपक्ष में पैदा हुए संकट के बाद और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक बड़ी विपक्षी एकता की संभावनाओं की तलाश में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव से बातचीत की। बैठक के बाद अखिलेश ने यह भी फैसला किया कि भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए बीआरएस विपक्षी दलों के साथ है। हालांकि इससे कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता नाराज़ हैं, जो अखिलेश तथा के.सी.आर. की मुलाकात से काफी असन्तुष्ट हैं। चर्चा यह है कि अपनी व्यापक स्वीकार्यता के कारण समाजवादी पार्टी प्रमुख इस समय बीआरएस तथा कांग्रेस के मध्य एक पुल बन गए हैं। 

शिंदे गुट में हलचल 
अजित पवार द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को विभाजित करने तथा उनके महाराष्ट्र के नये उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने तथा उनकी यह टिप्पणी कि वह किसी दिन मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, ने राजनीतिक गलियारों में बड़ी हलचल मचा दी है। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि शिंदे गुट के विधायक वापस उद्धव गुट में आना चाहते हैं, हालांकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने विधायकों के साथ मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि उद्धव सेना के नेताओं ने दावा किया है कि शिंदे गुट के कुछ नेताओं ने उन्हें मातोश्री से माफी मांगने के लिए संदेश भेजा था। 

कांग्रेस का दलित, आदिवासी अभियान 

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सामाजिक न्याया की राजनीति को पुन: सक्रिय करने के लिए कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व विकास मिशन (एन.एल.डी.एम.) के माध्यम से दलितों, आदिवासियों, ओबीसी तथा अल्पसंख्यकों को एकजुट करने का अभियान शुरू किया है। एन.एल.डी.एम. कोआर्डिनेटरों की पहली कांफ्रैंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पिछड़ी जातियों तथा अल्पसंख्यक समुदायों को लोगों को मज़बूत ताकतों के तरस पर भरोसा करने के बजाय अपना राजनीतिक प्रभाव कायम करना चाहिए। इस मिशन की कल्पना कांग्रेस के उदयपुर चिन्तन शिविर में की गई थी। हालांकि यह मिशन अब 18 राज्यों में सिर्फ 61 आरक्षित संसदीय क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। कांग्रेस ने अपनी गतिविधियां बढ़ाने के लिए योजना बनाई है। हाल ही में राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार से तुरंत जातीय जनगणना करवाने की मांग की थी। 

विपक्ष का वाकआऊट 

मणिपुर में घटित हो रहे घटनाक्रम में एक आश्चर्यजनक मोड़ उस समय सामने आया, जब 6 जुलाई को हुई संसदीय पैनल की बैठक में मणिपुर में चल रहे हालात बारे चर्चा की अपनी मांग पूरी न होने के कारण रोष तथा  नाराज़गी व्यक्त करने के लिए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह व प्रदीप भट्टाचार्य तथा तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन सहित विपक्षी गुट के सदस्यों ने संसदीय पैनल की बैठक से वाकआऊट किया। गृह मामलों बारे संसदीय स्थायी कमेटी ने ‘जेल-हालात, आधारभूत ढांचा तथा सुधार’ विषय पर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा तेलंगाना की राज्य सरकारों के विचार सुनने के लिए बैठक की थी। निराशा व्यक्त करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि मणिपुर मौजूदा समय में एक गम्भीर संकट का सामना कर रहा है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। 

शरद पवार द्वारा शक्ति प्रदर्शन 

अजित पवार द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को विभाजित करने के बाद राकांपा संरक्षक शरद पवार ने अपने पोते तथा विधायक रोहित पवार के साथ पुणे से सतारा के कराड तक की अपनी 140 किलोमीटर यात्रा के दौरान, पश्चिमी महाराष्ट्र के खंड केन्द्र (शूगर हार्टलैंड) सतारा में राजनीतिक ताकत का एक विशाल प्रदर्शन किया। अपनी पूरी यात्रा के दौरान जब पवार कराड में प्रीतिसंगम की ओर बढ़े तो लोगों के बड़े समूह ने उनका स्वागत किया, जो उनके राजनीतिक गुरु वाई.बी. चौहान का विश्राम अस्थान है, जो 1960 में नये बने महाराष्ट्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे। कार्यक्रम वाले स्थान पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात के दौरान पवार ने कहा कि वह तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक प्रदेश तथा पार्टी में अशांति पैदा करने वालों को उनके स्थान पर नहीं फैंक देते।