कुदरत का अद्भुत सुन्दर नज़ारा है मनाली में 

कुदरत ने झौलियां भर कर सुन्दरता बख्शी है मनाली की वादियों को। ऊंचे-ऊंचे पहाड़, खड्डे, जलप्रवात, बर्फीली पर्वत श्रृंख्लाएं, ऊंचे-ऊंचे वृक्ष, बाग-बगीचे, ब्यास नदी की कहानी, छोटे-बड़े पक्षियों की चहचहाहट, मीठे लोगे, छोटी-छोटी लम्बी पगड़डियां, सांप की भांति बल खाते मोड़, ठंडी हवाएं, तिरछी छत्तों के सुन्दर घर, लहलहाती फसलें, राज माह तथा धान की फसल, ऊंचे सुन्दर होटल कुल मिला कर रोमांस, रोमांच, हर्ष और जन्नत की द्वितीय नाम है मनाली।
पठानकोट (पंजाब) से लगभग 325 किलोमीटर दूर है मनाली। पठानकोट से सुबह और रात्रि के समय भी बसें चलती हैं। दोनों तरफ से रात्रि बस सुविधा उपलब्ध है। रात बैठो सुबह तड़के मनाली में, इसी तरह की वापिसी।
मनाली सब तहसील है। इसकी जनसंख्या 850 हजार के करीब होगी। यहां लगभग चार सो होटल तथा 550 के करीब टैक्सियां चलती हैं।
यह शहर 1875 ई. के बाद बसा। मनाली का नाम मनु आलय से बना, जिस का अर्थ है मनु का घर। मनाली शहर का प्राचीन नाम दाना आगे था। गर्मी हो या सर्दी मनाली का सौंदर्य मन को छूहता है। बस अड्डे के समीप ही मुख्य बाज़ार है। यहां प्रत्येक वस्तु उपस्थित है। इस बाज़ार के मुख्य चौक में रात को काफी भीड़ होती है, क्योंकि इसके आस-पास ही होटल, धर्मशालाएं आदि हैं।
सभी सुख सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं। मनाली की हिडिंबा मन्दिर प्राचीन पहाड़ी लकड़ी से बना हुआ है। चार मंजिला लकड़ी का यह मन्दिर विश्व प्रसिद्ध मन्दिर माना जाता है। मनाली का हिमाचल म्यूजियम, जिसमें हिमाचल सांस्कृतिक की कला कृतियां मिलती हैं। यहां का बौद्ध मठ (गोपा) भी बहुत लोकप्रिया है। पशु याक की सवारी का भी अपना ही आनंद है।
सारे शहर में ट्रेनिंग सिस्टम है। पानी के निकास के लिए हैल्प कट पाईप डाले गए हैं। शहर में लगभग 40 आधुनिक शौचालय हैं। जो चार से पांच शौचालय की श्रेणी में हैं। टूरिस्ट के लिए सुन्दर पार्क बने हुए हैं।
मनाली के कर्जा नगर में शाल बनते हैं, जो बहुत मशहर हैं। यह शाल विदेशों तक जाते हैं। मनाली शहर 1982 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चोरों ओर भव्य, उत्कृष्ट पवर्ती, दर्शन मर्मस्पर्शी। मनाली के आस-पास कई देखने योग्य स्थान आते हैं। ढुगरी वन विहार, यह देखने योग स्थान हैं। देवदार वृक्षों के बीच सुन्दर स्थान है। यहां पिकनिक मनाने का अपना ही आनंद होता है। मनाली का विहार, यहां बच्चों का खेल पार्क है। इस वन का क्षेत्रफल लगभग 4 वर्ग किमी है। यहां ही एक लघु चिड़िया घर भी है, जो बच्चों को हर्षता प्रदान करता है। यहां कई प्रकार वृक्ष अपनी सुगंधिया छोड़ते हैं।
यहां की क्लब हाऊस भी विख्यात है। शहर से लगभग दो किलोमीटर दूर नाले के पास है क्लब हाऊस। यहां दीर्घ हाल है यहां बैडमिन्टन, टेनिस तथा विलियर्ड खेलने की सुविधा है। साथ ही एक लायब्रेरी और भोजनालय भी है।
मनाली के लगभग 20 किलोमीटर के घेरे में जो स्थान देखने योग हैं। तिब्बती मिन्दर गुफा, वशिष्ठ गांव और मन्दिर, राम मन्दिर, गर्म जल स्त्रोत घाटी तथा ढलानें, राहला प्रपात, गुलाबा भोड़, कोठी गांव, हियशिलिंग मड़ी (35 कि.मी. दूर) रोहतांग (51 कि.मी. दूर)। रोहतांग 15 नवम्बर को बंद हो जाता है और जून के प्रथम सप्ताह में खुलता है। यहां से लोग सपिती, किश्तवाड़, लेह, लाहुल तथा पागी को जाते हैं। यहां क्षेत्र भी देखने को बनते हैं। ब्यास के किनारे पर कई मन्दिर देखने योग हैं।
मनाली का प्रसिद्ध पर्वतारोहण स्थान, यहां संस्था लगभग 1960 में शुरू हई थी। यहां संस्था पर्ततारोहण का परिक्षण देती है। साथ ही साथ क्रीड़ा, ट्रेनिंग, स्कीईग का प्रशिक्षण तथा क्रीड़ा स्थान है। यहां सामान किराए पर भी मिलता है।
मनाली से चौराग्लाईडिंग, वाइट राफ्टिंग आदि का आनंद भी उठाते हैं लोग। मनाली में प्रत्येक धर्म के स्थान मौजूद हैं। यहां कई होटल ठेके पर भी चढ़ते हैं। कोई भी भारतीय यह होटल ठेके पर ले सकता है। एक वर्ष का अलग-अलग ठेका होता है।
मनाली से कुछ किलोमीटर दूर पहाड़ों की वादियों में घर कोठियां भी किराए पर मिलती हैं। उसका किराया लगभग तीन से पांच हजार रूपए एक दिन का लिया जाता है। सीजन में किराया बड़ा देते हैं। एक कोठी में लगभग पांच परिवार रह सकते हैं। घर वाली सुविधाएं होती हैं। गैस सिलैंडर, मालिक दे देते हैं। शेष सारी सुविधाएं उनकी। यहां तक कि कुक भी दे देते हैं। कुल मिलाकर मनाली कुदरत का पर्याय ही तो है, इसीलिए इसे जन्नत भी कहते हैं। आप भी मनाली जाइए परिवार और बच्चों के साथ।

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