खूबसूरती का अद्भुत शहर बीकानेर 

कभी जांगल प्रदेश के नाम से जाने-जाने वाला बीकानेर आज विश्व में भुजिया उत्पादन के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है।
बीकानेर राजस्थान के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित एक बहुत ही दर्शनीय स्थल है। राजधानी जयपुर से 300 कि.मी. दूर स्थित बीकानेर राजस्थान का एक आकर्षक पर्यटक स्थल है। नगर में प्रवेश हेतु पांच मुख्य द्वार हैं।
बीकानेर नगर की स्थापना राव बीकाजी ने की थी। बीकानेर की स्थापना की भी एक रोचक कथा प्रचलित है। कहते हैं कि एक बार जब जोधपुर दरबार लगा हुआ था, तो जोधपुर नरेश ने राव बीकाजी को कानाफूसी करते हुए देखा तो जोधपुर नरेश ने व्यंग्य भरे अंदाज में राव बीकाजी से पूछा कि क्या वे किसी नये क्षेत्र को जीतने की योजना बना रहे हैं?
राव बीकाजी ने प्रण लिया कि अपनी योग्यता का परिचय वे जोधपुर दरबार को देकर ही रहेंगे और आज बीकानेर हमारे सामने है। राव बीकाजी के नाम पर ही इस नगर का नाम बीकानेर पड़ा।
बीकानेर क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का तीसरा बड़ा ज़िला है। यहां गर्मियों में तापमान 40 डिग्री. से भी अधिक होता है। रेगिस्थानी इलाका होने के कारण गर्मियों में अधिक गर्म और सर्दियों में अत्यन्त ठण्डा रहता है।
यहां प्रमुख दर्शनीय स्थलों में बीकानेर का किला जो जूनागढ़ के नाम से जाना जाता है, काफी प्रसिद्ध है। इसका निर्माण राजा रायसिंह द्वारा किया गया था। किला स्थापत्य कला का बेहद अनोखा नमूना है। किले में बादल महल, विविध चित्रों से सुसज्जित दीवारें काफी आकर्षक हैं। दीवारों पर सोने की नक्काशी को देखकर प्राचीन काल की कारीगरी पर आक्कर्य होता है। महाराज के सिंहासन जो चांदी के हैं, इसमें देखने को मिलेंगे। बीकानेर के देशनोक स्थित करणी माता का मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह मंदिर चूहों से भरा हुआ है। जहां घरों में चूहे हमें देखते ही भाग जाते हैं वहीं इस मंदिर में चूहे बड़े आराम व बेखौफ स्वछंद विचरण करते मिलेंगे। हमें स्वयं ही अपने पैर इन्हें बचाते हुए रखना होगा। कहते हैं कि यदि कोई चूहा हमारे पैरों में आ जाए तो हमें चांदी का चूहा करणी माता के मंदिर में चढ़ाना होगा। यहां पर सफेद चूहे भी यदा कदा देखने को मिलेंगे, जिन्हें ‘काबा’ कहते हैं। यदि कोई व्यक्ति इन सफेद चूहों के दर्शन कर लेता है, तो माना जाता है कि वह भाग्यशाली है। यह मंदिर स्थापत्य कला तथा चूहों के कारण बेहद प्रसिद्ध मंदिर है।
अन्य पर्यटक स्थलों में कोलायत भी काफी मशहूर है। यह बीकानेर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहां कोलायत झील है। इस झील में पानी वर्षपर्यन्त रहता है। यहां पर कपिलदेवजी का प्रसिद्ध मंदिर है। कोलायत कपिलदेव जी मुनि की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। यहां हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को एक विशाल मेला लगता है। बीकानेर का हुसनसर भी एक पिकनिक स्पॉट के रूप में प्रसिद्ध है। यह एक अत्यन्त हरा-भरा क्षेत्र है। यहां एक वाटर फिल्टर प्लांट लगा है जहां पानी का शुद्धिकरण करके पूरे बीकानेर में वितरित किया जाता है। बीकानेर में उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र तथा अश्व अनुसंधान केन्द्र भी स्थित है। अभी हाल ही में पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु ऊंटनी के दूध की चाय का प्रयोग हुआ, जो पर्यटकों द्वारा काफी सराहा गया।
यहां एशिया की सबसे बड़ी ऊन मण्डी भी स्थित है। यहां पर राजस्थान का एकमात्र वेटरनरी कॉलेज भी देखने को मिलेगा।
शहर के मध्य में चिड़ियाघर भी स्थित है। जहां पर कई तरह के पशु-पक्षी हैं। यहां होटलों में राजस्थानी संगीत और नृत्य का भी समावेश मिलेगा। यहां युवक-युवतियों में पश्चिमी सभ्यता की झलक देखने को मिलेगी। आप बीकानेर आयें और रसगुल्ले-भुजिया खरीद कर न ले जायें तो आपको यात्र अधूरी ही लगेगी। (उर्वशी)