वातावरण का वज़न कितना है ?

‘दीदी, वातावरण क्या है?’
‘हमारी पृथ्वी हवा की मोटी परत से घिरी हुई है। इसे ही वातावरण या वायुमंडल अथवा एटमोसफेयर कहते हैं।’
‘तो पृथ्वी के वातावरण में सिर्फ हवा होती है?’
‘नहीं। पृथ्वी का वातावरण लगभग 20 गैसों से बना हुआ है, जिनमें से दो मुख्य हैं ऑक्सीजन व नाइट्रोजन। इसमें पानी के कण और धूल के कण भी शामिल होते हैं।’
‘तो फिर हवा तो मैटर हुई।’
‘हां, और हर मैटर की तरह उसमें भी वज़न होता है।’
‘इसका मतलब वातावरण में भी वज़न होगा और वह वज़न कितना होगा?’
‘पहले यह जान लो कि वज़न क्या होता है। मैटर पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव या खिंचाव को वज़न कहते हैं। अगर तराज़ू पर कोई पत्थर रखा जाये और उसका 5 किलोग्राम वज़न दिखायी दे तो इसका अर्थ यह है कि पत्थर को ग्रेविटी 5 किलोग्राम के बल से आपनी ओर आकर्षित कर रही है।’ ‘अच्छा। इसी तरह पृथ्वी की ग्रेविटी वातावरण के हर गैस व धूल कण को भी अपनी ओर आकर्षित करती है।’
‘हां, चूंकि हमारा वातावरण हवा का विशाल समुद्र है, इसलिए उसका वज़न भी जबरदस्त है। अगर किसी तरह से वातावरण को इकट्ठा करके तराज़ू पर रख दिया जाये तो उसका वज़न लगभग 5,171,000,000,000,000 टन होगा।’
‘इसका मतलब तो यह हुआ कि हवा हमें नीचे की ओर प्रेस करती है और सभी साइड्स से भी।’
‘हां, इस वक्त भी तकरीबन एक टन हवा मुझे प्रेस कर रही है।’
‘लेकिन हमें इस बात का एहसास क्यों नहीं होता?’
‘चूंकि हमारे शरीर को इस प्रेशर में रहने की आदत हो गई है। समुद्र स्तर पर हवा का प्रेशर सबसे ज्यादा होता है, एक किलोग्राम प्रति सेंटीमीटर वर्ग से थोड़ा अधिक। ऐसा इसलिए कि यह वातावरण का सबसे निचला हिस्सा है। ऊंची जगहों पर प्रेशर कम होता है। इसलिए स्पेस सूट्स और हवाई जहाजों के केबिनों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि हमारे शरीर को आवश्कता अनुरूप हवा का प्रेशर मिल जाये।’
‘तो वातावरण के कारण ही पृथ्वी ग्रह पर जीवन है।’
‘हवा के कारण ही हम सांस लेते हैं और सूरज की किरणों, बहुत अधिक गर्मी व ठंड से सुरक्षित रहते हैं।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर