अतीत के साये में नील नदी का सफर

मैंने आसमान की तरफ देखा और ‘संभावित संसारों’ के बारे में सोचा। लेकिन उन ‘असंभव संसारों’ के बारे में क्या जो हमारे अपने ही संसार में मौजूद हैं? ‘मिस्र मय्यतों की सभ्यता है।’ मेरे गाइड ने कहा जब मैं सदियों पहले मर चुकी लड़की के पैरों को देख रहा था, एक रईस दरबारी की बेटी अपने पैर का एक हिस्सा खो बैठी थी तो एक डाक्टर ने उसके लिए विशेष कांट्रेपशन तैयार किया था। इस अविष्कार ने मुझे स्तब्ध कर दिया था। पाषाण युग का अंत हो रहा था, मिस्रियों ने सोने से ढके मकबरे व मंदिर बनाने शुरू कर दिए थे, जो हज़ारों साल तक बरकरार रहने थे। हद तो यह है कि उनके मृत पैर भी इतने ही लम्बे समय तक चले हैं।
सहारा के रेत में ढके फिरौनी मिस्र की यह अविश्वसनीय सभ्यता लगभग 3,000 वर्ष पुरानी है। इसे देखना, इसके इतिहास पर सोचना, किसी वज़न रहित सपने से कम न था। प्राचीन मिस्र सभ्यता का पालना था, अपनी सैन्य व सांस्कृतिक शक्ति, धर्म व आध्यात्मिक, अविष्कारों जैसे पेपाइरस व लिखित चित्रलेख भाषा, सटीक रेखागणित के आधार पर पिरामिडों का निर्माण और एक केन्द्रीय सरकार के कारण। दिन 24-घंटे का था, साल 365 दिनों का और किसानों को ‘कर के कुएं’ में जो लगान डालना होता था उसे नील में पानी के स्तर से मापा जाता था। नील में जितना अधिक बाढ़ का पानी, उतनी ही अच्छी फसल। अगर यह शुद्ध व सरल नहीं है, तो पहिया भी नहीं है।
मिस्र में क्या देखना है? मांगने पर इस प्रश्न का जवाब हर जगह मिल जाता है। अपनी यात्रा के पहले दिन मैं ग्रेट पिरामिड व स्फिंक्स जिसे लाखों टन पत्थर और मृत्यु के बाद जीवन के वायदों से बनाया गया है। सच! यह मय्यतों की सभ्यता है। प्राचीन मिस्री अपना जीवन मौत की तैयारी में गुज़ारते थे। उन्होंने महल नहीं बनाये बल्कि मकबरे बनाये जिन्हें ज़रूरत की हर संभव चीज़ से भर दिया गया। सुंदर नेफरतीती की कल्पना कीजिये जो अपने लैपिस लैज़्युली (नीलम) निहारते हुए इस सपने पर मुस्कुरा रही है कि स्वर्ग में वह कैसी दिखायी देगी। मिस्रियों के पास हर चीज़ के लिए एक अलग देवता था, ममी बनाने के अनुबिस देवता से लेकर सूर्य देव तक। लेकिन मिस्र को जन्म देने वाली सच्ची देवी नील है। उसके उपजाऊ डेल्टा से मिलता था फूड और पेपाइरस ख्मोटे कागज का पौधा, जो नील में पानी की मदद से इधर से उधर पहुंचाये जाते थे।  ज़रूरी समान, विशाल स्मारक-स्तम्भ, पिरामिड ब्लॉक्स और सेना। उसकी बाढ़ रेगिस्तानों को बना देती थी खेत। उसके जल चक्र ने दी मिस्रियों को पहचान और जीवन, मृत्यु व पुनर्जन्म का दर्शन। उन्होंने अपनी रचना को इस नदी में देखा जैसे हम अपने चेहरे में देखते हैं अपनी मां का चेहरा।
नील किसी अच्छी ़गज़ल की तरह बहती है। दुनिया की इस सबसे लम्बी नदी में मैंने सफर किया, उसके किनारों पर अतीत का पीछा करते हुए। मैं लक्सोर व असवान के बीच रुका, चकित व चकाचौंध करते स्मारकों को देखने के लिए। एसना लॉक को पार करते हुए मैंने महसूस किया जैसे फिरौन खुफूकी पेपाइरस नाव में बैठा हुआ जन्नत की सैर कर रहा हूं। अफसोस! मुझे नील के मगरमच्छ और मिस्री गिद्ध दिखायी नहीं दिए। लेकिन मैं कोम ओम्बो में सोबेक (मगरमच्छ के सिर वाला नील का देवता) मंदिर में अवश्य गया, जहां मगरमच्छ की ममियां हैं। 
कैरिज में होरस मंदिर तक जाना आसान नहीं था, रास्ते में बड़े-बड़े गड्ढे थे। कर्नाक काम्प्लेक्स शानदार था, असवान बांध विशाल और आइसिस को समर्पित फिलै द्वीप खूबसूरत। आइसिस के पति ओसिरिस की हत्या की गई थी और उसके भाई सेट ने उसके शरीर को विकृत किया था। आइसिस ने अपनी उदासी व यौन इच्छाओं के कारण ओसिरिस के टुकड़ों को एकत्र किया। उसके लिंग के अतिरिक्त सभी टुकड़े मिल गये। आइसिस ने ओसिरिस में जान फूंक दी, तुरंत मिलन किया और होरस का जन्म हुआ। यह कैसे हुआ, मुझसे मालूम न करें। यह देश अजीबोगरीब कथाओं और गहरे रहस्यमयी ज्ञान से भरा है। कुछ स्कॉलर आइसिस-होरस और मैरी-जीसस में समानताएं बयान करते हैं।
सूडान की सीमा पर अबु सिम्बल रम्सेस-2 व नेफरतीती को समर्पित मंदिर है। इसके ऐतिहासिक महत्व का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब असवान बांध के कारण इसके डूबने की आशंका थी, तो दुनिया एकजुट हो गई थी यह मानते हुए कि यह मिस्र का नहीं मानवता का इतिहास है। रम्सेस-2 के प्रभावी इतिहास के बावजूद आज दुनिया का ध्यान अप्रभावी बालक राजा तूतनखामेन पर केंद्रित है, जिसकी कब्र इत्तेफाक से होवार्ड कार्टर को राजाओं की घाटी में मिल गई थी और अब उसका 120 किलो का सोने का ताबूत, जेवर, हथियारों और 145 लिनेन अंडरवियर के साथ काहिरा के म्यूजियम में रखा हुआ है। इस इतिहास से निकलते हुए मैं सदियों पुराने सौक (बाज़ार) खान-अल-खलीली जहां अन्य चीज़ों के साथ परफ्यूम इतनी अधिक मात्रा में बिक रहा था कि मेरी कलाइयां तक महकने लगीं। खैर, शीशा और स्टफ्ड कबूतर के साथ मैंने अपनी मिस्र यात्रा का अंत किया। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर