वर्ल्ड आर्चरी चैम्पियनशिप्स अदिति गोपीचंद ने रचा इतिहास

जुलाई 2023 में अदिति गोपीचंद स्वामी यूथ वर्ल्ड चैंपियन बनी थीं और इसी हैसियत से उन्होंने 31 जुलाई से 6 अगस्त तक बर्लिन में आयोजित 2023 वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप्स में प्रवेश पाया था। अब उन्होंने सबसे कम आयु में वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया है। यही नहीं, मात्र 17-वर्ष की अदिति ने यह भी इतिहास रचा कि भारत के लिए सीनियर लेबल पर व्यक्तिगत विश्व खिताब हासिल करने वाली दोनों पुरुष व महिला वर्ग में वह पहली आर्चर बनीं। इसके अतिरिक्त बर्लिन में कंपाउंड आर्चर्स की जिस भारतीय टीम ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता है, अदिति उसकी भी प्रमुख सदस्य रहीं। गौरतलब है कि यह जुलाई में लिमरिक (आयरलैंड) में आयोजित अंडर-18 यूथ चैंपियनशिप्स थी।
बर्लिन की प्रतियोगिता से पहले भारत ने वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप्स में कुल 11 पदक जीते थे, जिनमें 9 रजत व 2 कांस्य थे, लेकिन कोई स्वर्ण पदक नहीं था। बर्लिन में भारत ने अपनी कुल पदक तालिका में तीन स्वर्ण व एक कांस्य का इज़ाफा करते हुए उसे 15 पदकों तक पहुंचाया। सबसे पहले परनीत कौर, अदिति स्वामी व ज्योति वेनम की महिला टीम ने इतिहास रचते हुए भारत को वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप्स में अपना पहला स्वर्ण पदक दिलाया। कंपाउंड आर्चर्स की इस टीम ने टॉप सीड मेक्सिको को फाइनल में 235-229 से पराजित किया। 2021 में वर्ल्ड अंडर-18 और 2023 में वर्ल्ड अंडर-21 टीम चम्पियन परनीत ने कहा, ‘इस मैच को जीतने का हमें पूर्ण विश्वास था। हालांकि स्टैंड्स में बहुत शोर हो रहा था, लेकिन हमारा ध्यान भटका नहीं और हमने प्रक्रिया पर ही फोकस किया।’ जबकि अपना पहला स्वर्ण पदक और सातवां वर्ल्ड चैंपियनशिप्स पदक जीतने वाली ज्योति ने कहा, ‘बहुत खुशी हुई, अच्छा लगा क्योंकि यह हमारे देश का पहला स्वर्ण पदक था।’ टीम चैंपियनशिप में भारत को पहले राउंड में बाई मिला था, फिर उसने तुर्की (230-228), चाइनीज़ तायपेई (228-226) और गत चैंपियन कोलंबिया (220-216) को पराजित करके फाइनल में प्रवेश किया। दूसरी वरीयता प्राप्त भारत ने फाइनल में धमाकेदार शुरुआत की और पहले चक्र में 10-अंक का मार्क केवल एक बार मिस करते हुए दो अंक (59-57) की लीड ली। दूसरे चक्र में भारत ने अपनी लीड (118-115) का विस्तार किया एक बार फिर 59 का स्कोर करके जबकि मेक्सिको की टीम 58 ही स्कोर कर सकी। तीसरे चक्र में भी भारत ने 59 स्कोर किया, जिसके जवाब में मेक्सिको ने सिर्फ 57 स्कोर किया। इस तरह अंतिम चक्र से पहले भारत को 5 अंक (177-172) की अच्छी लीड मिल गई थी। अंतिम चक्र में भी मेक्सिको ने 57 स्कोर किया, जिससे भारत की अंतिम शूटर ज्योति को अपनी टीम के लिए स्वर्ण अर्जित करने हेतु केवल 5 अंक हिट करने थे, उन्होंने 9 स्कोर किया और भारत का खाता खुल गया।
इसके बाद अदिति ने व्यक्तिगत महिला कंपाउंड के फाइनल में मेक्सिको की एंड्रिया बरसेर्रा को 149-147 से पराजित करके भारत के लिए सीनियर लेवल पर पहला स्वर्ण पदक जीता। इस ऐतिहासिक जीत के बाद ज़िला सतारा (महाराष्ट्र) की अदिति ने कहा, ‘अब तक के मेरे सभी प्रयास सफल हुए हैं। मुझे अपने प्रदर्शन पर गर्व है। यह वास्तव में बहुत अच्छा एहसास है कि मैं मात्र 17 साल की आयु में वर्ल्ड चैंपियन बन गई हूं। मैं वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में 52 सेकंड तक राष्ट्र गान सुनना चाहती थी। मैं केवल अपनी रिदम, अपने शॉट पर फोकस कर रही थी और इसी वजह से परफॉर्म कर सकी।’
वैसे अदिति का क्वार्टरफाइनल मैच सनने डे लाट के विरुद्ध शूट-ऑफ में गया था, 148-148 पर टाई होने की वजह से। अदिति ने अपने पर संयम रखा और 10 का स्कोर किया। हालांकि डच की लाट ने भी परफेक्ट 10 स्कोर किया, लेकिन अदिति का तीर केन्द्र (एक्स) के अधिक करीब था। इस तरह अदिति सेमीफाइनल में पहुंच गईं। छठी वरीयता प्राप्त अदिति ने सेमीफाइनल में अपनी ही टीम की अधिक अनुभवी ज्योति को 149-145 से हराया था। ज्योति ने क्वार्टरफाइनल में परनीत को हराया था। बाद में ज्योति ने कांस्य पदक जीता। बहरहाल, अदिति ने अपने शानदार फॉर्म व परफॉरमेंस को फाइनल में भी बरकरार रखा। उन्होंने चार लगातार सिरों पर 30-30 के परफेक्ट स्कोर किये। इस तरह पांचवें व अंतिम राउंड में पहुंचने पर एंड्रिया 117-120 से पिछड़ रही थीं और इस कारण नर्वस व जबरदस्त दबाव में भी थीं। अंतिम चक्र में अदिति ने एक अंक गंवाया, लेकिन तब तक वह ऐतिहासिक स्वर्ण पदक पर अपना नाम लिखवा चुकी थीं।
अदिति की जीत के कुछ घंटे बाद ही भारत को अपना दूसरा वर्ल्ड चैंपियन मिला। वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप्स में भारत के लिए पुरुष वर्ग में पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक ओजस प्रवीण देओताले ने जीता। व्यक्तिगत पुरुष कंपाउंड के फाइनल में 21-वर्षीय ओजस ने परफेक्ट 150 अंक का स्कोर करते हुए पोलैंड के लुकस्ज़ परजीबिल्सकी को पराजित किया, जिन्होंने 149 अंक स्कोर किये थे। इस स्कोर से आप अंदाज़ा लगा लीजिये कि मुकाबला कितने कांटे का रहा होगा। इस सफलता के बावजूद अफसोस की बात यह है भारत का कोई भी रीकर्व आर्चर बर्लिन में नहीं जीत सका और पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने से चूक गया। ओलंपिक में सिर्फ रीकर्व आर्चरी की ही स्पर्धा होती हैं। कंपाउंड आर्चरी ़गैर-ओलंपिक स्पर्धा है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर