दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों को लेकर ‘आप’ व कांग्रेस आमने-सामने

 

कांग्रेस की दिल्ली इकाई मुश्किल स्थिति में है, उसकी अपनी पार्टी के नेता महत्वपूर्ण मुद्दों पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) का प्रभावी ढंग से मुकाबला न कर सकने का आरोप उस पर लगा रहे हैं। सबसे पुरानी पार्टी अपनी दिल्ली इकाई को एक नया प्रमुख देने के लिए पूरी तरह तैयार है, इस उम्मीद से कि इस बदलाव से प्रदेश में पुन: उसका भाग्य चमक जाएगा। इस महत्वपूर्ण पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में संदीप दीक्षित, देवेन्द्र यादव तथा अलका लाम्बा के नाम चर्चा में हैं। 
सूत्रों के अनुसार देवेन्द्र यादव को यह पद मिलने की संभावना सबसे अधिक नज़र आ रही है। इस दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन की तीसरी बैठक से पहले, आम आदमी पार्टी (आप) तथा कांग्रेस के बीच इकट्ठे लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में तूं-तूं मैं-मैं हो रही है। 2024 के लिए उनके बीच गठबंधन की संभावनाओं के बारे दोनों पार्टियों की प्रदेश इकाइयों के प्रतिनिधियों ने कहा कि गेंद उनके राष्ट्रीय नेताओं के पाले में है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में एक आपातकालीन संगठनात्मक बैठक के बाद, वायनाड के सांसद राहुल गांधी तथा संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने दिल्ली इकाई के नेताओं के साथ बैठक की। कांग्रेस नेता अल्का लाम्बा ने कहा कि तीन घंटे चली इस बैठक में राहुल गांधी, खड़गे, के.सी. वेणुगोपाल तथा दीपक बाबरिया मौजूद थे और उन्होंने हमें आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तैयारी रखने के लिए कहा है। इस बैठक में यह फैसला लिया गया है कि हम सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे। सात महीने शेष हैं और सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को सभी सात सीटों पर तैयारी करने के लिए कहा गया है। इस पर ‘आप’ ने तुरंत तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उक्त टिप्पणियों के दृष्टिगत उसे मुम्बई बैठक में भाग लेना चाहिए है या नहीं, बारे फैसला लेना होगा। ‘आप’ की प्रतिक्रिया के बाद कांग्रेस ने बचाव की नीति पर आते हुए कहा कि बैठक में ‘आप’ के साथ गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। इसलिए ‘आप’ को सलाह है कि उसे ‘भाजपा के नेतृत्व वाले मीडिया’ के बिछाए जाल में नहीं फंसना चाहिए। 
एम.वी.ए. का भविष्य दांव पर
पुणे में एक उद्योगपति के घर में चाचा शरद पवार के साथ अजित पवार की मुलाकात के बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में एक नये गठबंधन को लेकर राजनीतिक अटकलें शुरू हो गई हैं। इस मुलाकात के बाद कांग्रेस तथा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यू.बी.टी.) ने क्रमश: महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीटों का जायज़ा लेना शुरू कर दिया है। शरद पवार द्वारा सत्तारूढ़ भाजपा-एकनाथ शिंदे सरकार के साथ गठबंधन करने के लिए गत माह एनसीपी से अलग होने वाले अपने भतीजे तथा उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के साथ बार-बार मुलाकातों ने शिव सेना (यू.बी.टी.) तथा कांग्रेस को, पवार की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा भविष्य में भाजपा से गठबंधन करने से इन्कार करने के बावजूद संदेह करने के लिए प्रेरित किया है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि हालांकि एनसीपी प्रमुख की अजित पवार के साथ बैठकें यकीनी तौर पर महाविकास अघाड़ी (एम.वी.ए.) गठबंधन के भविष्य के लिए चिन्ता का कारण हैं, परन्तु पार्टी के उच्च पदाधिकारी ही इस मामले पर फैसला लेंगे। कांगे्रस ने भी महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर हर क्षेत्र का अध्ययन करने तथा पार्टी हाईकमान को रिपोर्ट सौंपने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिये हैं। इसके अतिरिक्त निर्धारित रणनीति के तहत पार्टी ने एक पैदल यात्रा शुरू करने का भी फैसला किया है, जो 16 अगस्त से शुरू होकर 31 अगस्त तक जारी रहेगी। दूसरी ओर सुप्रिया सुले ने उक्त रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुझे कुछ भी ‘आफर’ नहीं किया गया है और न ही मेरे साथ बातचीत की गई है, आपको उनसे (महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं से) पूछना चाहिए कि वे ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं। इस बारे मुझे कोई जानकारी नहीं है। मैं निजी तौर पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, गौरव गगोई  जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के सम्पर्क में हूं, परन्तु मैं महाराष्ट्र में उनके नेताओं के सम्पर्क में नहीं हूं। उल्लेखनीय है कि विपक्षी गठबंधन की तीसरी बैठक सितम्बर में मुम्बई में होने वाली है। हालांकि शरद पवार ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक मुम्बई में होगी और हम इसे सफल बनाएंगे।
सपा ने बनाई कार्यकारिणी
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीतिक तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने तथा सामाजिक न्याय की राजनीति को पुन: जीवित करने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपनी उत्तर प्रदेश प्रादेशिक कार्यकारिणी समिति को पुन: गठित किया है और गैर-यादव ओबीसी नेताओं को और अधिक स्थान दिया है। नई बनी 182 सदस्यीय प्रादेशिक कार्यकारिणी, जो गत वर्ष के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने में असफल रहने के बाद भंग कर दी गई थी, के 70 में से 30 पदाधिकारी अन्य पिछड़े वर्गों में से हैं, जबकि सिर्फ पांच यादव नेताओं को इसमें स्थान दिया गया है। यहां तक कि अनुसूचित जातियों की संख्या 8, यादवों से भी अधिक है। पदाधिकारियों में जहां पांच ब्राह्मण नेता हैं, वहीं दो अनुसूचित जनजाति से हैं। पार्टी ने सूची में 12 मुसलमानों को भी शामिल किया है। (आई.पी.ए.)