वैश्विक स्वास्थ्य संरचना की रखी गयी आधारशिला

 

भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन

भारत नई दिल्ली में जी-20 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के 18वें शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की तैयारी कर रहा है। इस परिदृश्य में वास्तव में समावेशी और समग्र सार्वभौमिक स्वास्थ्य संरचना के निर्माण के लिए ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ को जोड़ने वाले सेतु की आधारशिला रखी जा चुकी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांधीनगर में आयोजित स्वास्थ्य मंत्री स्तरीय बैठक में कहा, ‘जनकल्याण के लिए हमें अपने नवाचारों का उपयोग करना चाहिए। हमें वित्तपोषण के दोहराव से बचना चाहिए। हमें प्रौद्योगिकी की न्यायसंगत उपलब्धता की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।’
यह देखकर खुशी होती है कि शक्तिशाली अंतर्राष्ट्रीय मंच के सदस्यों ने महामारी के वर्षों के दौरान और उसके बाद से अर्जित सामूहिक ज्ञान के आधार पर कार्य करने के लिए एक लम्बा सफर तय किया है। वास्तविक स्वतंत्रता तभी शुरू होती है, जब पूरी मानवता के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता है। यदि कोई वायरस तबाही मचाने का फैसला करता है और हम इसका मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो समाज किसी भी स्तर की आर्थिक खुशहाली का आनंद नहीं ले सकता है। यह बात भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत महत्वपूर्ण स्वास्थ्य प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श की अंतर्निहित अवधारणा रही है। मंत्रियों, वरिष्ठ नीति निर्माताओं और बहुपक्षीय एजेंसियों ने स्पष्ट तौर पर भारत की जी-20 स्वास्थ्य प्राथमिकताओं का समर्थन किया है। इस प्रक्रिया में, हम एक बात पर व्यापक सहमति बनाने में सफल रहे हैं कि भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों को रोकने और इनका मुकाबला करने के लिए सामूहिक वैश्विक कार्रवाई ही आगे का रास्ता है।
दुनिया भर में कोविड-19 टीकाकरण और नैदानिक चिकित्सा ने हमारी निहित असमानताओं को उजागर किया, जिन्हें हमें दूर करना होगा। आपस में अत्यधिक जुड़ी हुई दुनिया में, किसी देश में रोगाणुओं का खतरा, पूरी दुनिया के लिए खतरा है और हमें सिद्धांतों तथा एक वैश्विक संरचना पर सहमत होना चाहिए, जो टीकों, नैदानिक परीक्षणों, दवाओं और अन्य समाधानों तक न्यायसंगत और समय पर पहुंच में सभी देशों को सक्षम बना सके। ऐसा वैश्विक प्लेटफार्म समावेशी होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि यह उन देशों को ध्यान में रखता है, जो समाधान तक पहुंचने में बाधाओं का सामना करते हैं। कार्यकुशल और अनुकूल होना चाहिए जिसका अर्थ है कि इसमें बदलती ज़रूरतों और वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार तेज़ी से अनुकूलन करने वाला लचीलापन हो। इसे जवाबदेह भी होना चाहिए। इसे शीघ्रता से किफायती चिकित्सा समाधान उपलब्ध कराने चाहिएं। जी-20 के माध्यम से, हमने डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में ऐसे प्लेटफार्म को लागू करने के परामर्श के लिए एक अंतरिम व्यवस्था के निर्माण पर बिना किसी देरी के अपनी प्रतिबद्धता जताई है, जहां निम्न और मध्यम आर्थिकता वाले देशों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो, ताकि अगली किसी सम्भावित स्वास्थ्य आपात स्थिति से मुकाबले के लिए हम पूरे तरह तैयार रहें। जी-20 देशों ने विशेष रूप से विकासशील देशों में टीकों, चिकित्सीय और नैदानिक उत्पादों की क्षेत्रीय विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ सामूहिक रूप से अनुसंधान एवं विकास के एक इकोसिस्टम को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि स्वास्थ्य-आपातकालीन स्थितियों में बाज़ार की विफलताओं से बचा जा सके।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में, डिजिटल स्वास्थ्य सबसे शक्तिशाली उपायों में से एक के रूप में उभरा है। महामारी के दौरान हमने भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य में डिजिटल उपकरणों की परिवर्तनकारी क्षमता का अनुभव किया। कोविड-19 के दौरान, डिजिटल जनकल्याण उपायों के रूप में परिकल्पित को-विन और ई-संजीवनी जैसे प्लेटफॉर्म पूर्ण रूप से गेम-चेंजर साबित हुए, जिसने एक अरब से अधिक लोगों तक, जिनमें सबसे कमजोर समुदाय भी शामिल थे, टीकों और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के तरीके को पूरी तरह से लोकतांत्रिक बना दिया। 
इस पहल का उद्देश्य देशों को उच्च गुणवत्ता वाली डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में सहायता करना और मरीजों को गोपनीयता और नैतिकता के उच्चतम सम्मान के साथ जन-केंद्रित दृष्टिकोण के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की सुविधा प्राप्त करने में मदद करना है। इस तरह की संरचना को साधन प्रदान करने चाहिएं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुनिया भर में लोगों को दी जाने वाली डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता एक निश्चित मानक पूरा कर रही है। देशों की डिजिटल स्वास्थ्य यात्रा को समझने और साझा करने के लिए एक मंच बनाया जा रहा है तथा उनकी ज़रूरतों को इस तरह से उजागर किया जा रहा है कि एक देश दूसरे देश से सीख सके और सभी के लिए स्वास्थ्य की इस यात्रा की दूरी कम की जा सके।
सभी क्षेत्रों में जलवायु संबंधी जागरूकता होने के बावजूद, मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पौधों के स्वास्थ्य को कवर करने वाले वन-हेल्थ परिदृश्य में जलवायु, स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है तथा इनका आपसी संबंध क्या है, इसे अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। भारत की अध्यक्षता ने पहली बार जी-20 के माध्यम से इन अदृश्य कड़ियों को सुलझाने की आवश्यकता को स्वीकार किया है, ताकि हम समाधानों को प्राथमिकता दे सकें। जी-20 देशों ने निम्न कार्बन उत्सर्जन, उच्च-गुणवत्ता वाले स्थाई और जलवायु सहनीय स्वास्थ्य प्रणालियों को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
ऐसे समय में जब दुनिया भर में समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने वाली एकीकृत चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति हो रही है, तो हमारा मानना है कि शक्तिशाली पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को पुनर्जीवित करना और जी-20 जैसे वैश्विक समूहों के माध्यम से मानवता को उनके अप्रयुक्त लाभों की पेशकश करना हमारी जिम्मेदारी है। पिछले साल, हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के जामनगर में पारम्परिक चिकित्सा के डब्ल्यूएचओ-वैश्विक केन्द्र का उद्घाटन किया और दुनिया के लिए हमारे प्राचीन आरोग्य ज्ञान के दरवाजे खोले। 
एक कालातीत श्लोक के अनुसार, ‘आरोग्यम् परमं भाग्यम् स्वास्थ्य सर्वार्थ साधन, जिसका अर्थ है निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से ही अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं। महामारी के अनुभव के बादए जी-20 में हमने इस पर ध्यान दिया है और निर्णय लिया है कि अब कार्रवाई करने का समय आ गया है।  

-केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, भारत