जंकफूड से बचें

पिछले कुछ वर्षों से छोटे-छोटे शहरों और कस्बों में फास्टफूड की बढ़ती लोकप्रियता ने, घर में बनाये जाने वाले पकवानों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। भारत में करीब तीन दशक पहले दिल्ली में फास्टफूड सेंटर में उमड़ने वाली भीड़ ने होटल व्यवसायियों का ध्यान इस और आकर्षित किया। फिर क्या था, जल्द ही दिल्ली, मुंबई, मद्रास, बंगलौर, कलकत्ता, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में समोसे, टिकिया-छोले, पानीपुरी, भेलपुरी, वड़ा पाव  भी एयरकंडीशंड रेस्तरां से लेकर मोबाइल वैन-ठेलों में बड़ी तेजी के साथ बिकने लगे।
दो चार  मिनट में तैयार, खड़े-खड़े खाये जाने वाले इन चटपटे जंकफूड को पहले तो अमीर वर्ग के युवाओं ने अपनाया, फिर इनकी देखा देखी मध्यमवर्ग के लोगों में भी यह स्टेट्स सिंबल के रूप में उभरने लगा। बड़ो की देखा देखी बच्चों और किशोरों में भी इनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि आज तो बच्चे टिफिन बॉक्स में रोटी, सब्जी या परांठा सब्जी ले जाने के बजाय, क्र ीमरोल, पिज्जा, नूडल्स, पास्ता, चाउमिन, हॉट डॉग बर्गर ले ज़ाना ज्यादा पसंद  करते हैं। विविध शोधाें के पश्चात् यह पता चला है कि जंकफूड कहे जाने वाले इन फास्टफूड के सेवन से बड़ी आँत का कैंसर, लिवर में खराबी, हृदय रोग, गैस्ट्रिक अल्सर, अपच, जलन (पेट में), सिरदर्द, नेत्र दर्द वगैरा होने का डर बना रहता है। आहारविज्ञानियों के अनुसार इन जंकफूडस में वसा की मात्र तो अत्यधिक होती है लेकिन विटामिन व फाइबर न के बराबर होते हैं। बार-बार गर्म किये जाते रहने से इनके पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। पेस्ट्रीज व पैटीज में अक्सर प्रतिबंधित रंगों का इस्तेमाल होता है।चायनीज व्यंजन में प्राय: इस्तेमाल होने वाले अजीनोमोटो साल्ट के ज्यादा मात्र में सेवन करने से पेट में एसिडिटी, सिर में दर्द, और चिड़चिड़ापन होना आम बात है। बेहतर यही होगा कि गृहणियाँ स्वयं बच्चों के साथ-साथ इन बाजारू हानिकारक चटपटे व्यजंनों के सेवन के इस्तेमाल से बचें।
बच्चों की फरमाइश पर स्वयं ही उन्हें चायनीज़, इटेलियन, इण्डियन फास्टफूड घर में यदा-कदा बना कर खिलायें। इन चटपटे व्यंजनों के साथ हरा सलाद, दही, टमाटर, पनीर, मूँगफली आदि भी खाने में प्रयोग लायें ताकि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न रहे। 
(स्वास्थ्य दर्पण)