घड़ियाल की तरह छोटे दांत वाली गार मछली

गार प्राचीन मछलियों में से एक है। यह लेपीसोस्टीडाइ परिवार से ताल्लुक रखती है। इस परिवार की मछलियां 7 करोड़ से 22 करोड़ वर्ष पूर्व मेसोजोइक काल में अपनी चरम सीमा पर थी। आज भी इनमें ऐसी खूबियां हैं, जो मेसोजोइक काल की मछलियों जैसी हैं। बहरहाल इसका शारीरिक गठन भी बहुत अनूठा है। इसके सिर में बड़ी संख्या में हड्डियां होती हैं तथा शरीर पर शल्कों का भारी कवच होती है। ये सभी शारीरिक गुण इसे एक जीवित जीवाश्म सिद्ध करते हैं। गार मुख्य रूप से उत्तरी और मध्य अमरीका में पायी जाती हैं। मैक्सिको और ग्रेट लेक्स में बहुतायत से मिलती हैं। गार की सात जातियां हैं जिनमें लंबी नाक वाली, छोटी नाक वाली और एलीगेटर गार प्रमुख हैं। लम्बी नाक वाली गार ग्रेट लेक्स के दक्षिण की नदियों और झीलों में मिलती हैं। इसे चोंचवाली मछली भी कहते हैं। यह सर्वाधिक सामान्य गार है।
गार पाइक जैसी पतली मछली है। जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है कि यह प्राचीन मछलियों में शुमार होती है, इसलिए इसकी संरचना में भी वैसी ही है। अत: इससे आधुनिक जटिल मछलियों की शारीरिक संरचना को समझने में विशेष सहायता मिली है। फलस्वरूप यह जीव वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन की एक उपयोगी मछली बन गयी है। लंबी नाक वाली गार अर्थात चोंच वाली गार की सामान्यत: लंबाई लगभग 1.5 मीटर एवं शरीर पतला होता है। इसके शरीर का रंग पीठ की ओर जैतूनी से लेकर चांदी की तरह होता है एवं पेट तथा नीचे का भाग सफेद होता है। इसका शरीर हीरे के आकार के शल्कों से बने कठोर आवरण से ढका होता है। इसके शल्क सामान्य मछलियों की तरह एक दूसरे पर चढ़े हुए नहीं होते। इसका थूथुन काफी लंबा होता है एवं दोनों जबड़ों में घड़ियाल की तरह छोटे-छोटे नुकीले दांत होते हैं। इसका थूथुन इसके सिर से दुगना लंबा होता है एवं इसका आकार चोंच जैसा होता है। इसीलिए इसे चोंच वाली मछली भी कहते हैं। एलीगेटर गार सबसे अधिक लंबी होती है। इसकी लंबाई 3.3 मीटर अथवा इससे भी अधिक हो सकती है। इसका थूथुन एलीगेटर के समान होता है अत: इसे एलीगेटर गार कहते हैं। इसके दांत एलीगेटर के समान लंबे और नुकीले होते हैं। इसके शल्क मोटे और चमकदार होते हैं तथा इन्हें सरलता से इसके शरीर से अलग किया जा सकता है। 
गार का समागम प्रजनन और बच्चों का विकास बड़े रोचक ढंग से होता है। इसका प्रजनन काल मार्च से आरंभ होता है और मई के अंत तक चलता है। मादा गार बहुतपतिका होती है। प्रजनन काल में प्राय: एक मादा गार के पास 3 अथवा 4 नर रहते हैं। मादा गार हमेशा उथले पानी में अंडे देती है। यह अपनी आयु, आकार और वजन के अनुसार अंडे देती है। छोटी मादा कम अंडे देती है तथा बड़ी मादा अधिक अंडे देती है। इस प्रकार मादा एक बार में 28000 से लेकर 60 हजार तक अंडे दे सकती है। इसके अंडे चिपचिपे होते हैं अत: चट्टानों अथवा जलीय पौधों से चिपक जाते हैं। ये कुछ समय बाद परिपक्व होकर फूटते हैं और इनसे बच्चे निकल आते हैं।
 

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