बुद्धिमान कैसे बनें ?

 

वह व्यक्ति वास्तव में बुद्धिमान होता है, जो क्रोध की अवस्था में मुंह से बुरे वचन नहीं निकालता।
बुद्धिमान व्यक्ति बोलने से पहले सोचते हैं और मूर्ख बोलने के बाद सोचते हैं।
थोड़ा पढ़ना, ज्यादा सोचना, कम बोलना, ज्यादा सुनना-बुद्धिमान के लक्षण हैं।
विवेक से व्यक्ति बुद्धिमान बनता है।
मन के हाथी को बुद्धि के अंकुश में रखो क्योंकि बुद्धि ही हमारा गुरु है।
मूर्ख स्वयं को बुद्धिमान समझते हैं लेकिन बुद्धिमान अपने को मूर्ख नहीं मानता।
बुद्धिमान व्यक्ति मूर्खों से जितनी शिक्षा प्राप्त कर लेता है उतनी मूर्ख बुद्धिमान से नहीं सीखता।
अपनी अज्ञानता का ज्ञान ही बुद्धिमता के मंदिर का प्रथम स्वर्ण सोपान है।
अपने प्रति बुद्धिमान बनने की अपेक्षा दूसरों के प्रति बुद्धिमान बनना सरल है
यौवन एवं सौन्दर्य में बुद्धिमता विरले ही होती है। बुद्धिमता केवल सत्य में वास करती है। इसका दाम लाल-माणिक से भी ज्यादा है। (उर्वशी)