रिज़र्व बैंक के प्रमुख कार्य 

ज्ञानवर्द्धक जानकारी

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई। रिजर्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय प्रारंभ में कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया। केंद्रीय कार्यालय वह कार्यालय है जहां गवर्नर बैठते हैं और नीतियां निर्धारित की जाती हैं। 
केंद्रीय बोर्ड: रिजर्व बैंक का कामकाज केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के अनुसार भारत सरकार इस बोर्ड को नियुक्त करती है जो चार वर्ष के लिए होता है। इनमें सरकारी निदेशक, पूर्णकालिक गवर्नर और अधिकतम चार उप गवर्नर, गैर सरकारी निदेशकों में सरकार द्वारा नामित विभिन्न क्षेत्रों से दस निदेशक और दो सरकारी अधिकारी व चार अन्य निदेशक(चार स्थानीय बोर्डों से प्रत्येक से एक) होते हैं। 
मौद्रिक प्राधिकारी: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया देश की मौद्रिक नीति तैयार करता है। आरबीआई इस नीति का क्रि यान्वयन और उसकी निगरानी करता है। मौद्रिक नीति का मकसद मूल्य स्थिरता बनाए रखने के साथ-साथ उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त ऋण उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। 
विदेशी मुद्रा प्रबंधक: आरबीआई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के तहत विदेशी मुद्रा का प्रबंध भी करता है। इसका उद्देश्य विदेश व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का क्र मिक विकास करना और उसे बनाए रखना है। 
वित्तीय प्रणाली का विनियामक:  बैकिंग परिचालन के लिए विस्तृत मानदंड निर्धारित करने का रिजर्व बैंक का अहम काम है। इसके अंतर्गत वह देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली का काम करता है। बैंकिंग परिचालन मानदंडों के पीछे सबसे बड़ी बात बैंकिंग प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखना है। साथ ही जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और आम जनता को सस्ती और सुलभ बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना भी देश के रिजर्व बैंक का काम है। 
मुद्रा जारीकर्ता: भारतीय रिजर्व बैंक देश की मुद्रा यानी करेंसी जारी करने का कार्य करता है और उसका विनिमय भी करता है। परिचालन के योग्य नहीं रहने पर मुद्रा और सिक्कों को नष्ट करता है। ऐसा वह आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोटों और सिक्कों को पर्याप्त मात्र उपलब्ध कराने के लिए करता है। 
विकासात्मक भूमिका: राष्ट्रीय उद्देश्यों की सहायता के लिए व्यापक स्तर पर प्रोत्साहनात्मक कार्य भी करता है। सरकार के बैंकर के रूप में केंद्र और राज्य सरकारों के लिए व्यापारिक बैंक की भूमिका अदा करता है, उनके बैंकर का कार्य भी करता है। बैंकों के लिए बैंकर का काम करते हुए सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खाते रखता है। (अदिति)