ग्लोबल रैंकिंग में तीसरे स्थान पर है भारतीय वायुसेना

8 अक्तूबर को भारतीय वायुसेना अपना 91वां स्थापना दिवस मना रही है। वायुसेना द्वारा इस उपलक्ष्य में देशभर में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और इसी कड़ी में 30 सितम्बर को भोपाल में एक एयर शो का आयोजन किया गया था, जिसमें तेजस, सुखोई, जगुआर, चिनूक हेलीकॉप्टर सहित 30 से भी ज्यादा लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों ने हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए जब आसमान में अपना शौर्य दिखाया तो उनकी गर्जना से पूरा आसमान गूंज उठा था। एयर शो के दौरान चिनूक हेलीकॉप्टर ने तो भोजताल झील के ऊपर रोमांचक एरोबेटिक प्रदर्शन भी किया। 8 अक्तूबर को वायुसेना के स्थापना दिवस के अवसर पर तो प्रतिवर्ष एक भव्य एयर शो का प्रदर्शन किया जाता है, जिसके जरिये वायुसेना के कई विमान और हेलीकॉप्टर आसमान में हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए वायुसेना की निरन्तर बढ़ती ताकत का स्पष्ट अहसास कराते हैं। ‘आत्मबल से लबालब’ टैगलाइन के साथ भारतीय वायुसेना अपना दमखम अब पूरी दुनिया को दिखा रही है।
वायुसेना के 91वें स्थापना दिवस पर इस वर्ष प्रयागराज के संगम क्षेत्र में भव्य एयर डिस्प्ले में 120 लड़ाकू तथा परिवहन विमान व हेलीकॉप्टर भाग लेंगे और ये सभी उत्तर प्रदेश के 10 एयरबेस से संचालित होंगे। वायुसेना के बेड़े में हाल ही में शामिल किया गया पहला फ्रांसीसी सी-295 परिवहन विमान भी एयर डिस्प्ले का हिस्सा बनेगा और फ्लाईपास्ट में सुग्रीव फॉर्मेशन में उड़ान भरेगा। प्रयागराज के संगम क्षेत्र में लव और कुश फॉर्मेशन में दो पुराने विमान संचालित होंगे जबकि मिग-21 वायुसेना के एयर शो में अंतिम बार हिस्सा लेगा। भारतीय वायुसेना में जितने भी तरह के विमान हैं, उन सभी का प्रदर्शन इस बार वायुसेना के स्थापना दिवस के मौके पर किया जाएगा। वायुसेना दिवस पर भव्य एयर शो के लिए इस बार प्रयागराज को ही क्यों चुना गया, इस बारे में सेंट्रल एयर कमांड के एयर मार्शल आर.जी.के. कपूर का कहना है कि नैनी से ही पहले जहाज ने उड़ान भरी थी, यहीं से कर्क रेखा गुजरती है और प्रयागराज में मध्य कमान का मुख्यालय है, जहां बड़ी संख्या में लोग आराम से एयर शो देख पाएंगे और यहां एयर शो होने से संगम नगरी के युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।
आधुनिक सैन्य विमान की विश्व निर्देशिका (डब्ल्यू.डी.एम.एम.ए.) द्वारा प्रदान की गई दुनिया की विभिन्न सशस्त्र हवाई सेवाओं की 2023 की रैंकिंग (ग्लोबल एयर पावर रैंकिंग) में भारतीय वायुसेना को तीसरा स्थान दिया गया है। इसमें विभिन्न हवाई सेवाओं की कुल लड़ाकू क्षमताओं का आकलन किया गया और रिपोर्ट के अनुसार उनका एयर पावर पोजिशनिंग मूल्यांकन भी किया गया, जिसमें भारतीय वायुसेना को क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन से उच्च स्थान दिया गया है और जापान एयर सेल्फडिफेंस फोर्स इजरायली वायुसेना तथा फ्रांसीसी वायुसेना से भी ऊपर रखा गया है। इस रैंकिंग में दुनिया की विभिन्न हवाई सेवाओं की कुल युद्ध शक्ति से संबंधित मूल्यों को ध्यान में रखा जाता है और किसी शक्ति का मूल्यांकन केवल उसकी कुल मात्रा के आधार पर नहीं किया जाता। वर्तमान डब्ल्यू.डी.एम.एम.ए. सूची में ट्रैक किए गए 101 देश शामिल हैं और 129 हवाई सेवाओं को कवर किया गया (जिसमें सेना, नौसेना और समुद्री सेवा की शाखाएं शामिल हैं) तथा कुल 48082 विमानों का अनुसरण किया गया। 2023 की इस रैंकिंग में उच्चतम प्राप्य टी.वी.आर. (ट्रू वैल्यू रेटिंग) स्कोर 242.9 संयुक्त राज्य वायुसेना (यू.एस.ए.एफ.) का है, जिसके पास कुल सक्रिय विमान 5209 हैं। रैंकिंग में दूसरे स्थान पर 114.2 टी.वी.आर. के साथ रूसी वायुसेना में विमान 3652 हैं जबकि तीसरे स्थान पर 69.4 टीवीआर के साथ भारतीय वायुसेना में वर्तमान में 1645 सक्रिय विमान हैं, जिनमें 632 लड़ाकू विमान (38.4 प्रतिशत), 438 हेलीकॉप्टर (26.6 प्रतिशत), 250 यातायात विमान (15.2 प्रतिशत) तथा 304 प्रशिक्षण विमान (18.5 प्रतिशत), विशेष मिशन के लिए 14 विमान (0.9 प्रतिशत) और 7 टैंकर (0.4 प्रतिशत) हैं। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी वायुसेना के पास भले ही वर्तमान में 1966 सक्रिय विमान हैं लेकिन वह 63.8 टीवीआर के साथ रैंकिंग में भारत से नीचे चौथे स्थान पर है।
हालांकि वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी का कहना है कि एल.ए.सी. पर चीन ने रडार और एंटी एयर डिफेंस सिस्टम लगाया है, जो हमारे लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति है लेकिन दुनिया अब भारतीय वायुसेना को वैश्विक तौर पर एक सशक्त क्षेत्रीय शक्ति के रूप में मानने लगी है। उनका कहना है कि वायुसेना खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही के माध्यम से चीन और पाकिस्तान की सीमा पार स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है, हमारी परिचालन योजनाएं गतिशील हैं और विकासशील स्थितियों के अनुसार बदलती रहती हैं। उन जगहों पर जहां संख्या के आधार पर विरोधियों का मुकाबला नहीं किया जा सकता, हम बेहतर रणनीति के जरिए इसका मुकाबला करेंगे। एयरचीफ मार्शल के मुताबिक हमारे क्षेत्र में अस्थिर और अनिश्चित भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण एक मज़बूत एवं विश्वसनीय सेना की आवश्यकता अनिवार्य हो गई है और भारतीय वायुसेना सबसे दूर तक देखने, सबसे तेज़ पहुंचने और सबसे कठिन प्रहार करने की अपनी अंतर्निहित क्षमता के साथ इन चुनौतियों को कम करने में बेहद महत्वपूर्ण होगी। वायुसेना इंडो पेसिफिक क्षेत्र में भारत की ताकत को पेश करने में एक आधार बनी रहेगी। भारतीय वायुसेना के विमानों ने कई लम्बी दूरी के मिशनों को अंजाम भी दिया है, जिनमें राफेल और अन्य विमानों के साथ मिशनों को अंजाम देने के लिए दूरदराज के इलाकों में उड़ान भरना भी शामिल है। हालांकि एयरचीफ मार्शल चौधरी का कहना है कि बदलती भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनज़र वायुसेना की परिचालन ज़रूरतें काफी बड़ी हैं और कई तकनीकी बदलाव करने की भी ज़रूरत है, जो किए जा रहे हैं। उनके मुताबिक अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति मज़बूत सेना की आवश्यकता को फिर से रेखांकित कर रही है और वायुसेना क्षेत्र में भारत की सैन्य ताकत दिखाने का आधार बनी रहेगी। वायुसेना की ताकत निरंतर बड़ रही है और आगामी 7.8 वर्षों में वायुसेना में ढ़ाई-तीन लाख करोड़ रुपये के मिलिट्री प्लेटफॉर्म, उपकरण तथा हार्डवेयर शामिल किए जाने की संभावना है। वायुसेना अतिरिक्त 97 हल्के लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए खरीदने की योजना को भी आगे बड़ा रही है। वायुसेना को एस.400 मिसाइल प्रणाली की तीन इकाईयां प्राप्त हो चुकी हैं और बाकी दो भी अगले साल तक मिल जाने की उम्मीद है। 
भारत के मुकाबले चीन के पास भले ही दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हैं, भारत से दस गुना ज्यादा रॉकेट प्रोजेक्टर हैं लेकिन रक्षा विश्लेषकों के अनुसार चीनी वायुसेना भारत के मुकाबले मज़बूत दिखने के बावजूद भारत का पलड़ा उस पर भारी है। दरअसल भारतीय लड़ाकू विमान चीन के मुकाबले ज्यादा प्रभावी हैं। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक गिनती और तकनीकी मामले में भले ही चीन सहित कुछ देश हमसे आगे हो सकते हैं लेकिन संसाधनों के सटीक प्रयोग और बुद्धिमता के चलते दुश्मन देश सदैव भारतीय वायुसेना के समक्ष थर्राते हैं। भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 8 अक्तूबर 1932 को हुई थी और तब इसका नाम था ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’। 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय वायुसेना पर आर्मी का ही नियंत्रण होता था। 
इसे एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिलाया था इंडियन एयरफोर्स के पहले कमांडर-इन-चीफ सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट ने, जो हमारी वायुसेना के पहले चीफ एयर मार्शल बने थे। ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ की स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल 6 अधिकारी और 19 जवान थे। आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ का नाम बदलकर ‘इंडियन एयरफोर्स’ कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे। उनसे पहले तीन ब्रिटिश ही वायुसेना प्रमुख रहे। इंडियन एयरफोर्स का पहला विमान ब्रिटिश कम्पनी ‘वेस्टलैंड’ द्वारा निर्मित ‘वापिती-2ए’ था। बहरहाल, रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार हमारे पड़ोस में और आसपास के क्षेत्रों में उभरते खतरे के परिदृश्य में युद्ध लड़ने की मज़बूत क्षमता होना आवश्यक है और भारतीय वायुसेना ऑपरेशनली सर्वश्रेष्ठ है।

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