मक्खी छत पर उल्टा कैसे चल लेती है?

‘दीदी, आज सुबह बिस्तर पर लेटे हुए मैं अपने कमरे की छत को गौर से देखने लगा। मैंने देखा कि एक मक्खी छत पर उल्टा चल रही है। यह मैंने पहले भी देखा है, लेकिन आज मैं सोचने लगा कि मक्खी छत पर उल्टा कैसे चल लेती है?’
‘तो आज तुम्हारा न्यूटन मोमेंट हो गया!’
‘मैं समझा नहीं।’
‘न्यूटन से पहले भी लोगों ने सेब को पेड़ से नीचे गिरते हुए देखा था, लेकिन उन्होंने ही सोचा कि सेब नीचे को ही क्यों आया, ऊपर की तरफ क्यों नहीं गया? इस तरह ग्रेविटी (गुरुत्वाकर्षण) के नियम बने।’
‘ओह यस!’
‘दरअसल, हम हाउसफ्लाई या मक्खी को अपने पास इतना अधिक देखते हैं कि हमें यह एहसास ही नहीं होता कि यह कितनी गज़ब की प्राणी है। मक्खी के इतने अधिक हिस्से विचित्र हैं कि इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि हम बात कहां से शुरू करें।’
‘यह तो मुझे भी मालूम है कि मक्खी के शरीर के तीन हिस्से होते हैं- सिर, बीच का हिस्सा जिसे थोरक्स कहते हैं और एब्डोमेन या पेट। थोरक्स में तीन जोड़े टांगें जुड़ी होती हैं।’
‘सही। टांग पांच हिस्सों में विभाजित होती हैं, जिनमें से आखिरी है फुट या पैर। मक्खी पैर के निचले हिस्से से जुड़े दो पंजों पर चलती है। पंजों के नीचे पैड्स होते हैं और यह पैड्स एक चिपकने वाली लिक्विड जारी करते हैं। पैड्स की इस चिपकने वाली लिक्विड के कारण मक्खी हर सतह पर अपना संतुलन बना सकती है। वह छत पर उल्टा चल सकती है या ग्लास स्काईलाइट के निचले हिस्से पर भी चल सकती है।’ 
‘यह बात तो समझ में आ गई। अब मक्खी की कोई अन्य विचित्र बात?’
‘मक्खी देखती भी अजीब तरह से है। उसकी आंखें दो बड़ी ब्राउन गेंदें हैं जो उसके सिर के दोनों तरफ होती हैं। हर आंख हज़ारों लेंस से बनी हुई होती है। हर लेंस तस्वीर के एक छोटे से हिस्से का योगदान करती है, जिसे मक्खी देख सकती है। यह दो बड़ी आंखें कंपाउंड आंखें कहलाती हैं। मक्खी के सिर के ऊपर, सीधा ऊपर देखने के लिए तीन साधारण आंखें भी होती हैं, जिन्हें मैग्नीफाइंग ग्लास से ही देखा जा सकता है।’
‘तो मक्खी के पांच आंखें होती हैं।’
‘हां। मक्खी अपने फिलर्स या एंटीना का प्रयोग सूंघने के अंगों के रूप में करती है, महसूस करने के लिए नहीं। इनके कारण वह बहुत दूर से गंध सूंघ लेती है। जब कोई अच्छी महक वाला फूड हो तो मक्खी बहुत जल्दी प्रकट हो जाती है।’ 
 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर