आज अहोई अष्टमी  पर विशेष बच्चों की दीर्घायु हेतु मांएं रखती हैं अहोई अष्टमी का व्रत 

कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मांएं अहोई माता यानी मां पार्वती की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। यह व्रत संतानों की दीर्घायु और उनके उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है। इस साल अहोई अष्टमी 5 नवम्बर 2023 को पड़ रही है। शुभ मुहूर्त की बात करें तो सुबह 5 बजकर 33 मिनट से 6 बजकर 52 मिनट का है। अहोई व्रत में रात को तारों के देखने का चंदद्रोदय मुहूर्त भी महत्वपूर्ण होता है, इस साल यह शाम 5 बजकर 58 मिनट से रात 11 बजकर 43 मिनट तक है।
अहोई अष्टमी को सुबह सूरज उगने के पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए और अगर आसपास कोई बहती हुई पवित्र नदी, पवित्र झील या सरोवर है तो वहां स्नान करें, नहीं तो घर में सूरज की उगने के पहले स्नान कर लेना चाहिए। स्नान करके साफ कपड़े पहनकर दीवार पर अहोई माता की तस्वीर उकेरनी चाहिए। अगर बाज़ार से तस्वीर कैलेंडर के रूप में लायी हैं तो उसे दीवार में अपने बैठने की जगह पर सम्मुख टांगें और कैलेंडर में छपी अहोई मां की तस्वीर में अक्षत, रोली, चावल और फूलों से माता अहोई की पूजा करें। उनमें क्रमश: रोली और चावल लगाएं, फिर ऊपर से फूल डालें। माताओं के लिए अहोई अष्टमी का व्रत बहुत खास होता है। यह उनकी जिंदगी को खुशहाल रखता है, क्योंकि अहोई के व्रत में मां बच्चों की दीर्घायु कामना के लिए पूरे दिन बिना कुछ खाएं या पीये व्रत रखती है। अहोई का व्रत निर्जला रखा जाता है यानी इस व्रत में पानी पीने की भी अनुमति नहीं होती। इस साल अहोई अष्टमी रवि पुष्य योग को पड़ रही है। यह इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस योग में अहोई का व्रत रखने पर दोगुना ज्यादा फल मिलता है। और कामयाबी की संभावनाएं बढ़ जाती है।
अहोई व्रत के पीछे कहानी यह है कि एक साहूकार था, जिसके सात बेटे और बहुएं थीं। दीवाली से पहले कार्तिक की अष्टमी को सातों बहुएं अपनी इकलौती नंनद के साथ जंगल में जाकर खदान से मिट्टी खोद रही थीं कि अचानक उस खादान में रहने वाली स्याहू (साही) का बेटा साहूकार की बेटी यानी उन बहुओं की ननद के हाथों मर गया। इस पर स्याहू मां को बहुत गुस्सा आ गया और उसने साहूकार की बेटी से कहा मैं तुम्हारी कोख बांध दूंगी। यह सुनकर साहूकार की बेटी बहुत डर गई और उसने अपनी सातों भाभियों में से सबसे रो रोकर कहा कि वे अपनी कोख बंधवा लें। लेकिन कोई भी भाभी तैयार नहीं हुई अंत में छोटी भाभी यह सोचकर तैयार हो गई कि अगर वह ऐसा नहीं करेगी तो उस पर सासू मां बहुत गुस्सा होंगी। कोख बंधवा लेने के कारण छोटी बहू से होने वाली संतान सात दिन के अंदर मर जाती थी। इस पर उन्होंने एक ज्योतिषी से इसका उपाय पूछा तो उसने कहा अगर छोटी बहू प्रतिदिन सुबह उठकर गाय के स्थान पर साफ-सफाई करे तो गऊ माता प्रसन्न होकर उसे इस श्राप से मुक्ति दिलवा सकती हैं। छोटी बहू ने ऐसा ही किया, तब एक दिन उससे खुश होकर गऊ माता ने कहा, ‘बोल तू, क्या चाहती है?’ साहूकार की बहू ने कहा कि आप स्याहू माता की भायली हैं। उन्होंने मेरी कोख बांध दी है, आप मेरी कोख खुलवा दो, इस पर गऊ माता ने कहा ठीक है और वे दोनों समुद्र पार के लिए चल पड़ीं। लेकिन रास्ते में धूप हो जाने की वजह से एक जगह आराम करने लगीं, तभी वहां एक सांप आया और उसने वहां मौजूद गरुड़ पक्षी के बच्चों को डस लिया। 
इसे देख साहूकार की बहू ने सांप को मार दिया और गरुड़ पक्षी के बच्चों को बचा लिया। इस पर जब गरुड़ पक्षी ने उससे खुश होकर वरदान मांगने के लिए कहा तो उसने कहा, ‘हमें स्याहू मां तक पहुंचा दो। तो गरुड़ पक्षी ने अपने पंखों पर बैठाकर उन्हें स्याहू मां के पास पहुंचा दिया। स्याहू मां ने साहूकार की बहू से कहा कि वह कार्तिक मास की अष्टमी को अगर अहोई मां का व्रत रखेगी तो उसकी संतानों की मृत्यु नहीं होगी। साहूकार की बहू ने ऐसा ही किया और उसके बच्चे अकाल मौत से बच गये। तब से मांएं अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए कार्तिक मास की अष्टमी को अहोई व्रत करती हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर