रेल यात्रियों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की ज़रूरत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात से राहत नहीं मिल सकती कि सरकार का सबसे बड़ा सार्वजनिक संपर्क भारतीय रेलवे खराब स्थिति में है। भारत का रेलवे नेटवर्क जिसे एकल प्रबंधन के तहत दुनिया की सबसे बड़ी रेलवे प्रणालियों में से एक माना जाता है, प्रतिदिन लगभग 240 लाख यात्रियों को अपने गन्तव्य तक ले जाता है। राजनीतिक रूप से यह प्रतिदिन 240 मेगा सार्वजनिक रैली को संबोधित करने जैसा है जिनमें प्रत्येक की औसत दर्शक संख्या एक लाख होती है। 
अधिकांश रेल यात्री लम्बी दूरी के यात्री हैं। वे देश के हर हिस्से और भारतीय समाज के हर वर्ग से संबंधित हैं। दुर्भाग्य से रेलवे विभाग आज इन यात्रियों को बहुत कम सुविधा प्रदान करता है। रेलगाड़़ियां मुश्किल से ही समय पर चलती हैं। कोच और शौचालय गंदे रहते हैं। यहां तक कि हाई-प्रोफाइल शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनें भी अच्छी सीटें, स्नौकट्रे, स्वच्छ शौचालय और खाने की चीजें उपलब्ध कराने में विफल रहती हैं, जिसके लिए यात्रियों को टिकट बुक करते समय भारी कीमत चुकानी पड़ती है। राज्यों की राजधानियों को दिल्ली से जोड़ने वाली राजधानी एक्सप्रेस समेत लम्बी दूरी की ट्रेनें भी खस्ताहाल हैं। न्यूनतम यात्री सुविधा के लिए कोचों, सीटों, शौचालयों और खानपान सेवाओं और रख-रखाव पर बहुत कम खर्च किया जाता है। 
फिर भी प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में शुरू की गई वंदे भारत में यात्रियों की बढ़ती शेड्यूल और शौचालय की खराब स्थिति के संबंध में यात्रियों की बढ़ती असुविधाओं के बारे में कोई चिंता नहीं है। फरवरी 2019 में लॉन्च किये गये स्वदेशी रूप से विकसित सेमी हाई स्पीड वंदे भारत के 25 ट्रेन सेट वर्तमान में दुनिया के पांचवें सबसे बड़े रेल नेटवर्क के विभिन्न मार्गों पर 50 सेवाएं संचालित कर रहे हैं। रेलवे ने चालू वित्त वर्ष में 75 ट्रेन सेट या 150 सेवाएं शुरू करने का लक्ष्य रखा है।
रेल यात्रा असुरक्षित भी हो सकती है। रेलवे ऐसी जानकारी कम ही साझा करता है। एक आरटीआई  के जवाब में सार्वजनिक किये गये आंकड़ों के अनुसार 2009 और 2018 के बीच रेल यात्रियों द्वारा 1.71 लाख से अधिक चोरी के मामले दर्ज किये गये। 2014 के बाद से चोरी के मामले काफी बढ़ गये हैं। 2018 में चोरी के मामले 36,584 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गये। हालांकि पिछले चार वर्षों में चोरी के मामलों का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। देश भर में ट्रेनों में चोरी की घटनाएं पिछले वर्ष की तुलना में 2017 में दोगुनी हो गयीं जबकि डकैती के मामलों में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश उन राज्यों की सूची में शीर्ष पर हैं जहां सबसे अधिक अपराध दर्ज किये गये। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2021 में लगभग 18,000 रेलवे दुर्घटनाओं में 16,000 से अधिक लोग मारे गये।
वंदे भारत जैसी नयी ट्रेनों की शुरूआत और स्पीड रनिंग हमेशा सुर्खियों में रहती है। कुछ लोग रेलवे ट्रैक, इंटरलॉकिंग और सिग्नलिंग सिस्टम की स्थिति के बारे में चिंतित हैं। सरकार का महंगा रेल आधुनिकीकरण कार्यक्रम बाहरी हिस्से पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। दशकों में देश की सबसे भीषण ट्रेन दुर्घटना के बाद इस कार्यक्रम की गहन जांच की जा रही थी जिसमें 2 जून को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की टक्कर के बाद कम से कम 275 लोगों की जानें चली गयीं और 1,000 से अधिक लोग घायल हो गये थे।
ऐसा कहा जाता है कि कपूरथला कोच फैक्ट्री में विनिर्माण में बड़ी देरी की खबरों के बीच रेलवे 2030 तक 800 सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन सेट के साथ अपने आधुनिकीकरण कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ायेगा। मौजूदा कोचों के खराब मानकों के बारे में क्या? बाद वाले को और अधिक तत्काल बदलने की आवश्यकता है। इस ओर अधिकारियों का ध्यान कम है। यात्री सेवाएं विशेषकर लम्बी दूरी की ट्रेनों में गिरावट जारी है। यात्री ट्रेन सेवाओं के संचालन के मानक में भारी गिरावट रेलवे द्वारा 2017-18 से चलाये जा रहे तरीकों का परिणाम हो सकती है जब सरकार ने रेल बजट को केंद्रीय बजट में विलय करने का फैसला किया जिससे 92 साल पुरानी अलग बजट की प्रथा समाप्त हो गयी। देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर को एक विशेष पहचान प्रदान करने वाला था एक अलग बजट। रेलवे के पास अब कोई पूर्णकालिक स्वतंत्र मंत्री भी नहीं है। 
2.5 लाख करोड़ रुपये के रेलवे विभाग का नेतृत्व अश्विनी वैष्णव के पास है, जो तेजी से बढ़ते 90,000 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और संचार विभाग का एक केंद्रीय मंत्री के रूप में नेतृत्व कर रहे हैं। एक पूर्व आईएएस अधिकारी से राज्यसभा सांसद बने वैष्णव एक ही समय में 39वें रेल मंत्री, 55वें संचार मंत्री और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री हैं। 
इस तरह की असंबद्ध हाई-प्रोफाइल एक साथ पोर्टफोलियो साझा करने की व्यवस्था अपरिहार्य आपदा के लिए एक नुस्खा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि स्वयं मंत्री की योग्यता कितनी अधिक है। इससे आपदा से बचना संभव नहीं है। इस प्रकार कुछ लोग रेलवे के परिचालन प्रदर्शन में गिरावट और यात्री सुविधाओं में गिरावट के लिए वैष्णव को भी दोषी ठहरा सकते हैं। (संवाद)