लघु कथाएं-कारवां

 

मिस्टर सिंह का परमात्मा की कृपा से अच्छा कारोबार था। पैसे की कोई कमी नहीं थी,साथ ही दिल भी बहुत बड़ा था। नेक करनी वाले रहे ?  पर जवान बेटे की असमय मौत ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था ? एक सड़क दुर्घटना में अत्यधिक रक्त स्राव और लोगों की संवेदनहीनता उस पर भारी पड़ी थी ? अब उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य नर सेवा नारायण सेवा ही बना लिया है ? वह जहाँ कहीं भी खून और पानी ज़ाया होता देखते हैं, निकल पड़ते हैं लोगों के बीच उन्हें समझाने ? उन्होंने दो एम्बुलेंस खरीदीं, लोगों को साथ जोड़ा।जहाँ किसी को ज़रूरत होती मदद के लिए पहुँच जाते। आज उन्हें शहर का हर आदमी जानता है। हर दूसरे महीने रक्त दान शिविर का आयोजन उनकी देख-रेख में होता है। उनकी संस्था में हजारों लोग हैं। वह कहते हैं रहूँ न रहूँ  पर ये कारवाँ चलता रहे।
 

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