मां-खूबसूरत युवती प्लेटफार्म पर उतरी

 

ट्रेसे एक अतिखूबसूरत युवती प्लेटफार्म पर उतरी। जींस टी-शर्ट पहने आधुनिक अंदाज में हाथ में एक गुलाबी पैकेट को अपने सीने से लगाये एक ओर खड़ी हो गयी। वहीं पास में ही एक आधुनिक विचारों वाला युवक भी खड़ा था। युवती ने उस युवक को प्यार भरी निगाहों से देखा। युवक की आंखें चमक उठी। उसे लगा मानो युवती उससे अपने प्यार का इजहार करना चाहती हो। वह युवक वहां ठिठका एकटक युवती को निहारता रह गया। इसी बीच युवती उस युवक को देखते हुए आगे बढ़ गयी। 
युवक प्लेटफार्म पर खड़ा सोचने लगा कि आखिर इस प्रकार प्यार भरी निगाहों से देखने का क्या मतलब हो सकता है? मुझे कितना गौर से देख रही थी। लगता है मैंने इसे कहीं देखा है, लेकिन कहां देखा है? अपने दिमाग पर बहुत जोर देने के  बाद भी उसे कुछ याद नहीं आ रहा था। वह युवती कौन थी, जो मुझे प्यार भरी  निगाहों से देख रही थी? और वह यात्रियों की भीड़ चीरते हुए तेज़ कदमों से युवती की ओर लपका।  
युवती प्लेटफार्म से नीचे उतरकर फुटपाथ पर आकर खड़ी हो गयी मानो किसी की प्रतीक्षा कर रही हो। वह फिर युवक को मुस्कुराकर देखी और आगे बढ़ गयी। यह देखकर युवक के दिल की धड़कन बढ़ गयी। युवती सड़क पार कर धीमें कदमों से फुटपाथ के दूसरी ओर चल रही थी। महेश फूल भंडार के पास आकर रूक गयी और पुन: उस युवक को गौर से देखने लगी। युवक अपने आपको संयमित करते हुए सोचने लगा कि यह भी बुलाने का एक तरीका हो सकता है। अब उसके लिए रूकना मुश्किल हो गया था। वह सड़क पार कर युवती के पीछे-पीछे चलने लगा। युवती चलती ही जा रही थी। नीलम सिनेमा के पास पहुंचकर उसने फिर फुटपाथ की ओर देखा। युवक मन ही मन प्रफुल्लित हो उठा और युवती की ओर मुस्कुराकर देखा। वह सोचने लगा- ‘यह मुझे ही खोज रही है।’
युवक और युवती के बीच अब मात्र दस कदम का ही फासला रह गया था। युवक मन ही मन सोचने लगा कि कहीं यह युवती की कोई चाल न हो, लेकिन अगले ही पल उसके विचार बदल गये- ‘नहीं, नहीं, यह इतनी भोली-भाली है कि कोई चालबाजी कर ही नहीं सकती।’
वह युवती के पीछे-पीछे चलने लगा। अपने निकट पद चाप सुनकर युवती ने पलट कर देखा। युवक को अहसास हो गया कि युवती ने उसे साथ चलने की सहमति दे दी है। युवती चलती ही जा रही थी और युवक भी उसके पीछे-पीछे चलता रहा। कई सड़कें गुजर गयी। फिर तंग गलियां शुरू हुई। युवती चलती ही जा रही थी। 
सहसा बंडल में हलचल हुई। युवक ने देखा, उसमें एक नवजात शिशु है। युवक सोच में पड़ गया- ‘क्या यह नवजात शिशु इसका है? नहीं, नहीं, यह इसका बच्चा नहीं हो सकता? यदि इसका नहीं है, तो फिर इसके पास क्यों है? आखिर यह कौन है? कहां जा रही है?’ न जाने कितने प्रश्न युवक के मन मस्तिष्क में कौंधने लगे। 
अब वह वहां से लौटना चाहता था, पर वह बहुत दूर आ चुका था। इस समय युवती ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह निरूद्देश्य उस युवती के साथ चला जा रहा था। अनायास युवती एक भव्य मकान के सामने रूक गयी। फिर उसने बच्चे को कंधे से लगाया और सीढ़ियां चढ़ने लगी।
‘सुनिये तो, आप मुझे इतना गौर से क्यों देख रही थी?’
युवती मुस्कुराकर बोली- ‘मैं आपको गौर से नहीं देख रही थी। मैं तो बस इस बात की कल्पना कर रही थी कि मेरा बच्चा भी एक दिन आपकी तरह जवान होगा। इसीलिए आपको बार-बार देख रही थी।’
यह सुनते ही युवक शर्म से पानी-पानी हो गया। उसे लगा कि मानो वह पिछले कुछ समय से अपनी मां का पीछा कर रहा हो।
 

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