मेहनत का जादू 

बात बहुत पुरानी है। किसी राज्य में एक राजा राज करता था। वह ज्योतिष विद्या में बहुत विश्वास करता था। वह बिना राज ज्योतिषी के परामर्श के कोई कार्य नहीं करता था। चाहे वह कितना ही गुप्त कार्य क्यों न हो। राजा के समान वहां की प्रजा भी ज्योतिष विद्या में विश्वास करती थी। वहां के लोग बिना ज्योतिषी के परामर्श के कोई काम नहीं करते थे। यही कारण था कि शुभ मुहूर्त प्रतीक्षा में खेती अथवा अन्य कार्यों में देरी कर देते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि आवश्यक काम समय से न होने के कारण राज्य में अव्यवस्था फैल गयी। प्रजा दुखी और गरीब होने लगी। इधर राजदरबार से लेकर प्रत्येक नगर में ज्योतिषियों की बाढ़-सी आ गयी। ज्योतिषी मालामाल होते जा रहे थे और प्रजा कंगाल और फटेहाल होती जा रही थी। 
उसी राज्य में रामचरण नाम का एक अनपढ़ किसान रहता था। वह अनपढ़ होने के बावजूद ज्योतिष विद्या में विश्वास नहीं करता था। वह अपनी मेहनत और लगन में विश्वास करता था। वह बिना ज्योतिषियों के परामर्श के बगैर समयानुसार खेती किया करता था। यही कारण था कि सारे राज्य के खेत बिना बोआई के पड़े रहते, तो वही रामचरण के खेत अच्छी फसल से लहलहा रहे होते। यही कारण था कि लोग उससे ईर्ष्या करते थे। 
एक दिन राजा अपने राज ज्योतिषियों के साथ घूमने निकला। राजा ज्योतिषियों के साथ घूमते-घूमते इसी मेहनती किसान के खेत की ओर आ निकला। राजा इतनी लहलहाती फसल को देखकर दंग रह गया। रामचरण लहलहाती फसल को देखकर प्रसन्नता से गुनगुनाते हुए फसल की रखवाली कर रहा था। 
राजा सोच में पड़ गया- ‘ऐसी लहलहाती फसल तो उसने पूरे राज्य में कहीं नहीं देखी। आखिर क्या कारण है कि इसके खेत लहलहा रहे हैं? क्यों न इससे अच्छी फसल का राज पूछा जाए।’ उसने इस संबंध में ज्योतिषियों से परामर्श किया। ज्योतिषियों ने सहमति में अपना सिर हिला दिया। 
राजा ज्योतिषियों के साथ प्रसन्नचित रामचरण के पास गया। रामचरण राजा को देख उसका खूब आदर-सत्कार किया। राजा किसान के अच्छे व्यवहार से प्रभावित होकर बोला-‘भाई, राज्य के सभी किसान दु:खी नज़र आते हैं। वे अपने भाग्य को कोसते हैं। एक तुम्हीं ऐसे किसान हो जो प्रसन्न नज़र आ रहे हो। अपने भाग्य को सराह रहे हो। हमारे राज ज्योतिषी तुम्हारे भाग्यशाली हाथ को देखना चाहते हैं।’
किसान बोला-‘जैसे आपकी आज्ञा महाराज!’
उसने अपने दोनों हाथ ज्योतिषि के आगे कर दिये, लेकिन हथेली नीचे की ओर थी। राज ज्योतिषी ने गुस्से में आकर कहा- ‘तुम कैसे मूर्ख किसान हो। तुम्हें इतना भी पता नहीं कि हथेली की रेखाएं देखी जाती है।’
ज्योतिषी की बात सुनकर किसान हंस पड़ा। बोला- ‘ज्योतिषी जी, हथेली की रेखाएं आप उनकी देखिए जो किसी के आगे हाथ फैलाते हैं। जब मैं हल चलता हूं तो ये रेखाएं मुट्ठी में छिप जाया करती हैं। हल ही क्यों जब भी मैं कोई काम करने को हाथ आगे बढ़ाता हूं, उस  समय ये रेखाएं छिप जाया करती हैं। काम हाथ करते हैं, रेखाएं नहीं। फिर इन्हें दिखाने से क्या फायदा?’
किसान की बातें एकदम सही थी। राजा को भी अपनी गलती का एहसास हो गया। राजा भी किसान की बात का समर्थन करते हुए कहा- ‘आज तुमने मेरी आंखें खोल दी। तुम ठीक कहते हो। मनुष्य का भाग्य उसकी रेखाएं नहीं बल्कि कठिन परिश्रम और लगन है। बिना परिश्रम के कोई भी इंसान सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। कठिन परिश्रम और लगन से ही प्रजा खुशहाल हो सकती है।’
उसी दिन से राजा ने ज्योतिषियों से परामर्श करना छोड़ दिया। अब उस राज्य की प्रजा भाग्य में नहीं बल्कि कठिन परिश्रम में विश्वास करने लगी । 

मो. 09135014901