आरोपों के बावजूद भारी भीड़ जुटा रहे चन्द्रशेखर राव

‘बीआरएस को हराने के लिए लोग तैयार’ जैसी सुर्खियां पूरी सच्चाई सामने नहीं लातीं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ  मीडिया में एक कहानी चल रही है। यदि मीडिया की भविष्यवाणियों पर भरोसा किया जाये तो लगता है कि बीआरएस बुरी स्थिति में है। तेलंगाना के अंदर और बाहर से हर कोई भविष्यवाणी कर रहा है कि केसीआर जल्द ही पूर्व मुख्यमंत्री हो जायेंगे क्योंकि बीआरएस की सेहत ठीक नहीं है।
उदाहरण के लिए तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई को तमिलनाडु में भाजपा को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, लेकिन काफी अस्वाभाविक रूप से वह तेलंगाना के लिए कह रहे हैं कि ‘आइए बीआरएस को हरायें’ क्योंकि केसीआर और उनकी पार्टी बीआरएस चुनाव लड़ने और जीतने के लिए ‘ड्रग संस्कृति’ और ‘शराब संस्कृति’ पर भरोसा कर रही है। यह न केवल एक मूर्खतापूर्ण दावा है, बल्कि गलत साबित होने के लिए भी अभिशप्त है।
 पुलिस से नेता बने  के. अन्नामलाई ने कहा कि केसीआर और एम.के. स्टालिन एक तरह के दो लोग हैं जो अपने राज्यों को चलाने के लिए उत्पाद शुल्क आय पर निर्भर हैं। अन्नामलाई ने दावा किया कि तेलंगाना और तमिलनाडु में 80 प्रतिशत से अधिक वयस्क पुरुष शराबी हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन अन्नामलाई के ऐसे बयानों के आदी हैं, लेकिन केसीआर के लिए यह अप्रत्याशित घटना थी। हां, चुनाव पुराने विरोधियों को मज़बूत करने के साथ-साथ नये विरोधी भी बना देते हैं। केसीआर के पास इतने पुराने विरोधी हैं कि उन्हें नये जोड़ने की चिंता नहीं है। केसीआर के पुराने विरोधियों में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी हैं।
कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी जन्मजात केसीआर-विरोधी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी भी केसीआर-मित्र नहीं रहे हैं। केसीआर इन दो सज्जनों के फ्रेम में फिट नहीं बैठते हैं। केसीआर की राहुल-विरुद्धता के बारे में सभी जानते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निर्देशित केसीआर की टिप्पणियों ने शीर्ष सुर्खियां बटोरी हैं।
उल्लेखनीय है कि तेलंगाना और तमिलनाडु दोनों में वंशवाद है और अन्नामलाई तेलंगाना सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वंशवाद-तख्ते को लागू कर रहे हैं। भाजपा के लिए तेलंगाना में परिवारवाद चुनावी मुद्दा है। तेलंगाना को लक्ष्य करने वाले जनमत सर्वेक्षण लगातार भाजपा को खराब रेटिंग दे रहे हैं, लेकिन भाजपा की बात सुन रहे हैं। ‘लोग बीआरएस सरकार को हराने के लिए तैयार हैं’, यह अन्नामलाई बोल रहे थे। हर भाजपा नेता की तरह अन्नामलाई भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के आदी हैं और तेलंगाना में भाजपा के लिए भ्रष्टाचार एक और चुनावी मुद्दा है। 
फिर अन्नामलाई के तेलंगाना समकक्ष जी. किशन रेड्डी हैं। बीआरएस के खिलाफ  ‘मूक क्रांति’ का उनका दावा मीडिया की कहानी पर फिट बैठता है, लेकिन जब वह ‘भाजपा सत्ता में आयेगी’ कह कर भ्रमित हो जाते हैं तो उनका मूड खराब हो जाता है। मीडिया सर्वेक्षण और जनमत सर्वेक्षणों में भाजपा को केवल एक अंक का आंकड़ा दिया गया है जो कि कांग्रेस और बीआरएस दोनों से काफी पीछे है। अनुमान है कि असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को पांच से छह सीटें मिलेंगी और भाजपा को भी इतनी ही सीटें मिलेंगी। उनमें से एक है ‘टाइगर’ राजा सिंह की गोशामहल सीट।
दरअसल, सारी सकारात्मक भावनाएं कांग्रेस के लिए हैं। मीडिया सर्वेक्षणों और जनमत सर्वेक्षणों ने कांग्रेस की कमर कस ली है। जहां एक ओर भाजपा यह बताने में तत्पर है कि लोग बीआरएस प्रचार वाहनों को अपने गांवों में प्रवेश करने से रोक रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के प्रचार वाहनों पर ऐसी कोई रोक नहीं है। भाजपा की आपत्ति यह है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपने नागरिकों पर ‘तेलंगाना चुनाव टैक्स’ लगाया है। फिर चुनाव वाले सभी राज्यों की तरह भाजपा का चुनावी वादा है— ‘डबल इंजन की सरकार’।
यह भाजपा के हितों की भी पूर्ति करता है जब लोगों को बताया जाता है कि बीआरएस और कांग्रेस दोनों भाजपा को हराने की साजिश में हैं, भले ही जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत हो। केसीआर की यह टिप्पणी कि 2024 के आम चुनाव के बाद गठबंधन सरकार होगी, भाजपा को रास नहीं आयी है। जी. किशन रेड्डी का कहना है कि तब तो भाजपा तेलंगाना में सत्ता में होगी।
हालांकि वास्तविकता यह है कि कांग्रेस लहर पर सवार है और सुनामी जैसे आशावाद में डूब रही है। नि:संदेह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की तरह कांग्रेस 24 घंटे मुफ्त बिजली से लेकर किसानों के कज़र् माफ  करने और महिलाओं के लिए मासिक वित्तीय भुगतान तक की गारंटी के बारे में बात करना बंद नहीं कर सकती। बीआरएस का कहना है कि कांग्रेस का घोषणा-पत्र बेकार और झूठ से भरा है। लब्बोलुआब यह है कि सभी तीन पार्टियां शीर्ष पर होने का दावा कर रही हैं, परन्तु मतदाताओं ने अपना मन बना लिया है कि उन्हें क्या करना है, जिसका खुलासा 3 दिसम्बर को परिणाम आने पर होगा। (संवाद)