‘मन की बात’ की भावना

इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ में कुछ बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं, जो बहुत ध्यान देने की मांग करते हैं। विगत 9 वर्षों से अधिक समय से श्री मोदी का महीने में होने वाला यह प्रोग्राम बहुत चर्चित रहा है। इसकी लोगों में दिलचस्पी भी बनी रही है और इसको बड़े स्तर पर सुना भी जाता रहा है। इसका एक कारण यह है कि श्री मोदी द्वारा बहुत बार लोगों को दरपेश आम मामलों पर अपने विचार सांझे किए जाते हैं। श्री मोदी ने बड़ी हद तक आम जीवन जिया है। उनकी पृष्ठभूमि साधारण परिवार वाली रही है। वह लम्बे समय तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक भी रहे, इसलिए उनको देश के अलग-अलग स्थानों के हर तरह के अनेकानेक साधारण लोगों को मिलने का मौका मिलता रहा है। वह उनकी समस्याओं को समझने के समर्थ रहे हैं। अपने लम्बे लोक जीवन में निचले स्तर पर छोटी-छोटी समस्याओं को जिस प्रकार वह महसूस करते रहे हैं, ‘मन की बात’ में उनके द्वारा उनको सांझा करने का यत्न किया जाता रहा है।
इसी सोच में से उन्होंने देश की बेचारगी वाली हालत को महसूस करते हुए गांवों से लेकर शहरों तक सब जगह पर शौचालय और स्नानगृह बनाने की योजना शुरू की, जिसमें उनकी सरकार बड़े स्तर तक सफल रही है। देश के कई पहलुओं से दुर्दशा वाले हालात देखें तो एक पहलू यह भी है कि हर तरफ गंदगी फैली हुई नज़र आती है। अपने शासन काल में श्री मोदी ने देश की छवि को अच्छा और साफ-सुथरा बनाने का काम शुरू किया और ‘स्वच्छता लहर’ शुरू की। समय-समय देश में होती बड़ी-छोटी घटनाओं और हर स्थान पर मिलती चुनौतियों का बार-बार ज़िक्र भी उन्होंने अपने इस प्रोग्राम में किया है।
इस बार 26 नवम्बर को रेडियो पर लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने दो मुख्य मुद्दों के बारे बात की है। पहला मुद्दा 15 वर्ष पहले इसी दिन मुम्बई में पाकिस्तान द्वारा भेजे गए आतंकवादियों के हमले का था, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। देश के लिए यह एक बड़ी तथा भयावह चुनौती थी। इसे याद करते हुए प्रधानमंत्री ने जहां इन हमलों में शहीद हुए प्रत्येक वर्ग के लोगों को श्रद्धांजलि भेंट की, वहीं इस प्रण को भी दोहराया कि पहले की भांति भविष्य में भी देश आतंकवाद के विरुद्ध पूरे साहस से डटा रहेगा। श्री मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश की स्वतंत्रता के बाद 1949 में 26 नवम्बर के दिन बनाई गई संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अपनाया गया था। सरकार द्वारा वर्ष 2015 से इस दिन को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी। वर्ष 1950 में इस संविधान के लागू होने के बाद आज तक यह दरपेश हुई अनेक चुनौतियों के सम्मुख प्रासंगिक बना रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि इसमें समय-समय पर पैदा हुई समस्याओं तथा लोगों की ज़रूरतों के दृष्टिगत संशोधन भी किये जाते रहे हैं। अब तक संविधान में लगभग 106 संशोधन हो चुके हैं। यह भी इसके दीर्घकालिक होने का एक बड़ा कारण रहा है।
प्रधानमंत्री अक्सर भारत को नई तकनीक तथा नये विचारों से जोड़ने के लिए तत्पर दिखाई देते रहे हैं। इन मार्गों पर चलते हुए ही वह भारत के विकास की कल्पना करते हैं। इस संदर्भ में ही उन्होंने अपने सम्बोधन में ‘इंटैलीजैंस’, ‘आइडिया’ तथा ‘इनोवेशन’ आदि शब्दों का ज़िक्र किया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उक्त गतिविधियों के साथ ‘तकनीक’ को भी जोड़ दिया जाये, तो इससे नौजवानों की बौद्धिक शक्ति लगातार बढ़ती रहेगी। इसके साथ-साथ पहले की ही भांति उन्होंने अपने-अपने ढंग से भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में समर्पित होकर लगे उन लोगों की भी बात की, जिन्होंने क्रियात्मक रूप में समाज के भिन्न-भिन्न वर्गों के लिए सेवा की भावना से काम किया है। नि:संदेह प्रधानमंत्री द्वारा विगत लम्बे समय से साझा किये गये विचारों को गम्भीरता से लेने की आवश्यकता होगी। 
   

        
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द