हिन्दू-सिख एकता व भाईचारे की मिसाल होंगी देवीलाल व बादल की प्रतिमाएं

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सरदार प्रकाश सिंह बादल और देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की दोस्ती जगजाहिर थी और दोनों पगड़ी-बदल भाई थे। लोग अक्सर इन दोनों नेताओं की दोस्ती व भाईचारे की मिसाल दिया करते थे। चौधरी देवीलाल के निधन के बाद सरदार प्रकाश सिंह बादल ने मंडी डबवाली में हरियाणा-पंजाब की सीमा के राष्ट्रीय महामार्ग पर चौधरी देवीलाल की आदमकद प्रतिमा लगवाई थी। अब सरदार प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद उनकी जो पहली प्रतिमा लगाई गई है, वह चौधरी देवीलाल की प्रतिमा के बिल्कुल बगल में, वैसी ही आदमकद प्रतिमा है। सरदार प्रकाश सिंह बादल की प्रतिमा को लगवाने का श्रेय जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व चौधरी देवीलाल के पौत्र डा. अजय चौटाला और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को जाता है। 
इस प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला के अलावा अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल, भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा, जजपा नेता दिग्विजय चौटाला सहित अनेक राजनीतिक दलाें के प्रमुख नेता मौजूद थे। माना जा रहा है कि चौधरी देवीलाल और सरदार प्रकाश सिंह बादल की अगल-बगल में लगाई गई आदमकद प्रतिमाएं न सिर्फ हरियाणा व पंजाब के भाईचारे और हिन्दू-सिख एकता की मिसाल होंगी बल्कि दोनों नेताओं द्वारा किसानों व कमेरे वर्ग के लिए किए गए संघर्ष की याद भी दिलाती रहेंगी।
चुनावी नतीजों का हरियाणा में असर
राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के चुनावों में भाजपा को मिली जीत व कांग्रेस की पराजय का हरियाणा की राजनीति में भी व्यापक असर देखने को मिल रहा है। अगले साल लोकसभा के अलावा हरियाणा विधानसभा के भी चुनाव होने हैं। इन चुनावी नतीजों से जहां भाजपा नेताओं के हौसले बुलंद हैं, वहीं कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं में भारी मायूसी पाई जा रही है। इन तीनों राज्यों के चुनावों से हरियाणा कांग्रेस के नेता सीधे तौर पर जुड़े हुए थे। 
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा व हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता श्रीमति किरण चौधरी की कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में ड्यूटी लगाई हुई थी। इसके अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद रणदीप सुरजेवाला को मध्यप्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कुमारी सैलजा को छत्तीसगढ़ प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई थी। 
हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, मेवात सहित अनेक जिले राजस्थान के साथ लगते हैं। दोनों राज्यों की सीमाएं आपस में मिलती हैं और दोनों राज्यों की राजनीति भी एक दूसरे प्रदेश को अक्सर प्रभावित करती रही है। इस बार कांग्रेस सहित हरियाणा के विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने कार्यकर्त्ताओं व नेताओं की राजस्थान चुनाव में ड्यूटी लगा रखी थी, लेकिन चुनावी नतीजों से जहां भाजपा खेमे में अचानक उत्साह आ गया है, वहीं विपक्षी दलों के नेताओं के चेहरे पर मायूसी साफ देखने को मिल रही है।
हरियाणा ‘आप’ में मायूसी
हरियाणा की आम आदमी पार्टी के नेताओं में भी चार राज्यों के चुनाव में आप उम्मीदवारों की जमानतें जब्त होने और मात्र एक प्रतिशत वोट भी न मिलने से भारी मायूसी पाई जा रही है। आम आदमी पार्टी हरियाणा में पहले भी लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है और पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त होने के चलते हरियाणा में आप को कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही। दिल्ली और पंजाब के बीच स्थित होने और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य हरियाणा होने के कारण आम आदमी पार्टी ने पिछले दो सालों में हरियाणा में काफी सक्रियता दिखाई थी। शुरू में हरियाणा के कुछ बड़े नाम व नेता भी आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ गए थे लेकिन उनमें से ज्यादातर ने धीरे-धीरे आप से किनारा कर लिया। पिछले कुछ दिनों से यह भी चर्चा चल रही है कि हरियाणा आम आदमी पार्टी में बचे-खुचे नेता भी जल्दी ही आम आदमी पार्टी से किनारा करके आप को बाय-बाय करके कांग्रेस में जा सकते हैं। हरियाणा के इन नेताओं को आम आदमी पार्टी में अपना कोई भविष्य नजर नहीं आता और पार्टी का ग्राफ भी जो पंजाब चुनाव के बाद एक दम तेजी से बढ़ा था, वह भी धीरे-धीरे बहुत नीचे आ गया है।
कांग्रेस की गुटबाजी
तीन राज्यों में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण विपक्षी दलों के एकजुट न होने और कांग्रेस की गुटबाजी को समझा जा रहा है। हरियाणा कांग्रेस में भी गुटबाजी चरम पर है। पिछले कई सालों से गुटबाजी के चलते हरियाणा कांग्रेस का संगठन नहीं बन पाया है। हरियाणा कांगे्रस के जो भी प्रभारी रहे हैं, वे हमेशा दावा करते रहे हैं कि पार्टी संगठन का जल्दी ही गठन कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक हरियाणा कांग्रेस संगठन के गठन की कोई उम्मीद नहीं है। हरियाणा कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान का एक गुट है। इसके अलावा कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कुमारी सैलजा, राष्ट्रीय महासचिव व सांसद रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता व पूर्व मंत्री किरण चौधरी सहित पार्टी के कई अन्य गुट हैं और भूपेंद्र हुड्डा व उदयभान का मुकाबला करने के लिए सैलजा, सुरजेवाला और किरण एक साथ आ गए हैं। प्रदेश कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्यादा नेता अपने आपको मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताते हैं।
 जब से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह ब्यान दिया है कि देश के आधे राज्यों में मुख्यमंत्री के पद पर वे महिलाओं को देखना चाहते हैं, तब से सैलजा के समर्थक काफी उत्साहित हैं और उनका मानना है कि हरियाणा में कांग्रेस का अगर बहुमत आता है और किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाने की बात चलती है तो कुमारी सैलजा मुख्यमंत्री पद की सबसे सशक्त दावेदार हाेंगी। वैसे भी अब तक सैलजा लोकसभा का चुनाव सिरसा और अम्बाला से लड़ती रही हैं। पहली बार सैलजा ने खुलकर कहा कि इस बार वह विधानसभा का चुनाव लड़ने की इच्छा रखती हैं। कुमारी सैलजा ने पिछले कुछ समय से प्रदेश में अपनी राजनीतिक गतिविधियां भी तेज कर दी हैं। अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेसी नेता आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हो पाएंगे या नही? यह भी, कि गुटबाजी के चलते अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति क्या रहती है?
जजपा को नहीं मिली सफलता
हरियाणा के क्षेत्रीय दल जननायक जनता पार्टी ने भी राजस्थान में पार्टी का विस्तार करने के लिए 19 विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे। जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अजय चौटाला, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने राजस्थान चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के लिए खूब प्रचार किया था लेकिन पार्टी का कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया। जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला ने अपना राजनीतिक सफर राजस्थान विधानसभा के दाता रामगढ़ व नोहर विधानसभा क्षेत्रों से लगातार दो बार चुनाव जीतकर शुरू किया था। इसके अलावा चौधरी देवीलाल भी राजस्थान के सीकर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के दिग्गज नेता बलराम जाखड़ को हराकर देश के उप प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन इस बार जेजेपी राजस्थान में कोई सीट जीत नहीं पाई। इतना ही नहीं, हरियाणा इनेलो के प्रधान महासचिव व विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला के साले अभिषेक मटोरिया राजस्थान के नोहर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रत्याशी होने के बावजूद चुनाव हार गए हालांकि इससे पहले वह राजस्थान में विधायक रह चुके थे। 

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