जैसी करनी वैसी भरनी

सुना तुमने पड़ोसी रजत जी के यहां नई गाड़ी आई है। तीन तीन गाड़ियां हो गई उनके यहां और हमारे यहां वही पुरानी खटारा।’
‘देखो रश्मि तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं गलत तरीके से पैसा नहीं कमा सकता। झूठ, बेईमानी नाइंसाफी कतई पसंद नहीं है मुझे। किसी का दिल दुखाकर लिए पैसे में बरकत नहीं होती। रिश्वत की कमाई मेरे लिए पाप है। मैं चाहूँ तो खूब पैसा कमा सकता हूँ लेकिन...मेरा जमीर इसकी इजाजत नहीं देता।’ समझाते हुए सुमित ने कहा।
‘ठीक है रहो तुम अपने उसूलों पर। उनके बच्चे ऐश करते हैं और हमारे तरसते हैं छोटी-छोटी चीजाें के लिए भी।’ आंसू छलक आये रश्मि की आंखों में।
‘हमारे बच्चों के पास भले ही उतनी सुख सुविधाएं न हो लेकिन फिर भी क्लास में हमेशा अव्वल आते हैं। अपनी मेहनत और अच्छे संस्कारों से उनका जीवन कितना सुखमय होगा ये तुम्हें आगे जाकर पता चलेगा।’ सुमित ने दृढ़ता से कहा, ‘ हां...एक बात और रजत जी के घर का हाल भी तुम्हें पता ही होगा आवारा लड़के उनके बेटे के दोस्त हैं। जिसे तुम ऐश करना कह रही हो ना! वो रास्ता विनाश की तरफ जाता है। वो दिन दूर नहीं जब वो किसी बड़ी मुसीबत में फंस जायेगा। जिस रास्ते पर मैं चल रहा हूँ वो सुकून भरा है। इससे बड़ा सुख नहीं हो सकता।’ सुमित के चेहरे पर आत्म संतोष था।
ऑफिस से आने के बाद सुमित ने देखा रश्मि ने आज कोई शिकायत सुमित के सामने नहीं रखी।
‘तबियत तो ठीक है तुम्हारी!’ हंसते हुए सुमित ने पूछा।
हां मेरी तबियत तो ठीक है लेकिन...रजत जी के साथ बुरा हुआ! पुलिस आई थी उन्हें गिरफ्तार करके ले गई! रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गये हैं वो!
‘तो इसमें दु:खी होने वाली कौन-सी बात है रश्मि! जैसी करनी वैसी भरनी! ये तो होना ही था।’
‘एक बात और सुमित!’ हाँ-हाँ बोलो!
‘उनका बेटा भी दो दिनों से गायब है घर का कीमती सामान गहने पैसा लेकर।’
‘झूठ फरेब का आवरण बहुत झीना होता है रश्मि! ज्यादा दिनों तक टिकता नहीं है। सच का रास्ता मुश्किल ज़रूर है लेकिन...मंजिल तक पहुँचता ज़रूर है।’
रश्मि की आंखों में भी सहमति के भाव थे। 

(सुमन सागर)