शतरंज के बादशाह भारत के युवा खिलाड़ी

बीते साल का अंतिम सप्ताह गुकेश डी ने समरकंद, उज्बेकिस्तान में वर्षांत प्रतियोगिताओं की टॉप स्टैंडिंग्स, जश्न व ब्रॉडकास्ट कैमरा से दूर बिताया और इस तरह पिछले कुछ माह की थकान व दबाव को खामोशी से खत्म करने में सफल रहे। इसके बावजूद उन्होंने वर्ल्ड रैपिड एंड ब्लिट्ज चैंपियनशिप्स के फीडे सर्किट में अपनी लीड बरकरार रखी और फलस्वरूप 2024 की टोरंटो कैंडिडेट्स प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई कर लिया, जिसका विजेता चीन के विश्व चैंपियन डिंग लिरेन को चुनौती देगा। कैंडिडेट्स के पुरुष वर्ग के लिए गुकेश के अतिरिक्त भारत के दो अन्य खिलाड़ी आर. प्रज्ञानंद और विदित गुजराती भी क्वालीफाई कर चुके हैं, जबकि महिला वर्ग में भी दो भारतीय हैं- कोनेरु हम्पी और आर. वैशाली, जोकि प्रज्ञानंद की बहन हैं। ऐसा विश्व में पहली बार हुआ है जब भाई-बहन की जोड़ी ग्रैंडमास्टर हों और यह भी कि दोनों ने अपने अपने लिंग-वर्ग में कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई किया हो। वैशाली की सफलता तो इस लिहाज़ से भी विशेष है कि उन्होंने इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) रहते हुए क्वालीफाई किया और उसके बाद ही वह ग्रैंडमास्टर (जीएम) बनीं। 
मैग्नस कार्लसन के विश्व चैंपियन रहते हुए गुकेश उन्हें हराने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं। गुकेश ने सबसे कम आयु में टॉप 2750 इलो रेटिंग पॉइंट्स अर्जित किये। 17-वर्षीय गुकेश इस समय भारत के टॉप रैंक्ड खिलाड़ी हैं और इस तरह उन्होंने विश्वनाथन आनंद की 37-वर्ष की बादशाहत को समाप्त किया। बॉबी फिशर व कार्लसन के बाद गुकेश कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करने वाले सबसे कम आयु के खिलाड़ी हैं। गुकेश के क्वालिफिकेशन में डच खिलाड़ी अनीश गिरी की भी अप्रत्यक्ष भूमिका रही। गिरी ही उनके निकटतम प्रतिद्वंदी थे, लेकिन वह आउट-ऑफ-फॉर्म हो गये और सर्किट स्टैंडिंग्स में गुकेश से आगे न निकल सके। गुकेश का कहना है, ‘इस वर्ष मेरा सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करना था। एक समय मैं बहुत अच्छी स्थिति में था, लेकिन फिर संभवत: दबाव के कारण में कुछ नीचे फिसल गया। बहरहाल कैंडिडेट्स के लिए तीन भारतीय का क्वालीफाई करना भारतीय शतरंज के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।’ वर्ष 2023 के बीच में ऐसा लगा था कि गुकेश ही आगे बढ़ने के लिए चुन लिए गये हैं। नतीजे उनके पक्ष में आ रहे थे और क्वालिफिकेशन की उनकी संभावनाएं प्रबल प्रतीत हो रही थीं। लेकिन फिर वर्ल्ड कप के क्वार्टरफाइनल में वह कार्लसन से हार गये और उन्हें क्वालिफिकेशन के लिए सर्किट स्टैंडिंग्स की प्रतीक्षा करनी पड़ी।  
कैंडिडेट्स की लाइन-अप से स्पष्ट है कि वर्तमान में भारत शतरंज में बहुत बड़ी त़ाकत है। वर्ल्ड चैंपियनशिप्स के पुरुष वर्ग में जिन तीन भारतीयों ने क्वालीफाई किया है उनमें से दो तो मात्र 17 व 18 साल के हैं। कैंडिडेट्स के लिए संसार के आठ खिलाड़ी क्वालीफाई करते हैं, इनमें से 37.5 प्रतिशत हिस्सा भारतीयों का है, जोकि किसी भी देश के लिए आज तक का सर्वश्रेष्ठ है। महिला वर्ग में भी भारत का हिस्सा 25 प्रतिशत है। गुकेश से एक साल बड़े 18-वर्षीय प्रज्ञानंद ने कैंडिडेट्स के लिए सीधे क्वालीफाई कर लिया था, क्योंकि वह वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचे थे। इससे गुकेश को धक्का अवश्य लगा होगा। शायद इसलिए आगे के महीनों में गुकेश पर क्वालीफाई करने का दबाव निरंतर बढ़ता गया, जिससे उनके आत्मविश्वास व फॉर्म दोनों प्रभावित हुए। ग्रैंड स्विस टूर्नामैंट अक्तूबर के अंत में आया। टॉप दो खिलाड़ियों के लिए कैंडिडेट्स स्पॉट सुनिश्चित था। 11 राउंड में दो जीत और 5/11 के स्कोर के कारण गुकेश 114 खिलाड़ियों में 81वें स्थान पर रहे। विदित गुजराती ने इस प्रतियोगिता को टॉप किया और उन्होंने भी कैंडिडेट्स में अपनी जगह पक्की कर ली। गुजराती 2023 वर्ल्ड कप के क्वार्टरफाइनल में पहुंचे थे और 2020 में भारत को उनके कारण ही ऑनलाइन चैस ओलंपियाड में स्वर्ण पदक मिला था। 
इस नतीजे से गुकेश इतने दुखी हुए कि उन्होंने ग्रैंड स्विस के बाद कैंडिडेट्स स्पॉट का पीछा करना छोड़ दिया। वह प्रतियोगिताओं से ब्रेक लेकर ट्रेनिंग में डूबना चाहते थे। उन्होंने अपना दैनिक कार्यक्रम बदला। वह सुबह उठकर टेनिस क्लास लेने लगे। जो किशोर दिन में दस घंटे सोना पसंद करता था ,वह कम सोने लगा। उनके पिता रजनीकांत के लिए यह देखना दुखदायी था। अक्तूबर व नवम्बर इतने बुरे महीने गुज़रे कि ऐसा लगा जैसे गुकेश खुद को सज़ा दे रहे हों। हालात इतने ख़राब थे कि रजनीकांत सोचने लगे कि गुकेश के लिए शतरंज छोड़ना ही बेहतर होगा। अब बात कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करने या न करने की नहीं थी, बस यह प्रतीक्षा थी कि यह साल गुज़र जाये ताकि दर्द को कुछ राहत मिले।
फिर न चाहते हुए भी गुकेश ने दो प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया- लंदन चैस क्लासिक और चेन्नै मास्टर्स। लंदन में वह तीसरे स्थान पर रहे, कुछ दिन शहर घूमा, मन:स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन आया वह फिर से बेहतर महसूस करने लगे। चेन्नै मास्टर्स का आयोजन ही इसलिए किया गया था कि कैंडिडेट्स क्वालीफिकेशन खिड़की बंद होने से पहले गुकेश और अर्जुन एरिगैसी को क्वालीफाई करने का अवसर प्रदान कर दिया जाये। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आयोजकों ने बड़ी मुश्किल से गुकेश (79.5) को मनाया जो उस समय सर्किट लीडर-बोर्ड पर गिरी (84.3) व वेस्ली सो (83.4) से पीछे चल रहे थे। चेन्नै मास्टर्स जीतकर गुकेश गिरी से 3.05 अंक आगे निकल गये।

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