भूलते जा रहे हैं लोग टाइपराइटर

टाइपराइटर का भी कभी समय था, परन्तु अब कम्प्यूटर के आ जाने पर लोग इसे भूलते जा रहे हैं। टाइपराइटर का इतिहास भी अच्छा रहा। टाइपराइटर एक मशीन है जिसकी सहायता से हम टाइप कर सकते हैं। कार्बन पेपर रख कर एक साथ काफी कुछ टाइप कर सकते हैं। 
टाइपराइटर एक यन्त्र है जिसका प्रयोग कागज पर टाइप करने के लिए किया जाता है। अंग्रेज़ी का मानक टाइपराइटर क्यूर्टी (क्तह्वद्गह्म्ह्ल4) ले-आऊट पर आधारित है। अंग्रेज़ी के लिए सारे ले-आऊट समय-समय पर बनाए गए। टाइपराइटर में की-बोर्ड होता है जिस पर अक्षर होते हैं। एक रिबन होता है जैसे ही की पर हाथ जाता है तो वह पेपर पर छप जाता है। 1784 में अंधे व्यक्तियों के लिए फ्रांस में उभरते अक्षरों वाली मशीन बनी थी। 1829 में अमरीका में एक टाइप मशीन बनाई गई। 1875 में रमिंग्टन मशीन बन कर बाज़ार में आई। फिर छोटे टाइपराइटर बने। 1930 में हिन्दी टाइपराइटर आया। लेकिन इसका जटिल कार्य था। काफी समस्याएं थीं।
समय बदलता गया, फिर टाइपराइटर भी बदलते गए। बिजली से च लने वाले टाइपराइटर आ गये। फिर कम्प्यूटर आ गए। इसका मुकाबला करने के लिए तेज़ रफ्तार टाइपराइटर भी आ गए। यह बहुत तेज़ टाइपराइटर है। बेशक कम्प्यूटर आ गए हैं, लेकिन टाइपराइटर आज भी काम कर रहे हैं और लाखों लोगों को रोज़गार दे रहे हैं।