दिव्य और भव्य है अयोध्या का राम मंदिर

अयोध्या में निर्माणरत राम मंदिर दिखने में बहुत ही भव्य और मन को दिव्य एहसास से भर देने वाला है। मंदिर की नींव कई धार्मिक स्थानों से एकत्रित पवित्र मिट्टी पर रखी गई है। साथ ही इसके निर्माण में पूरी तरह से भारत की पारम्परिक और स्वदेशी तकनीक तथा पर्यावरण व जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। डिजाइन के हिसाब से अयोध्या का राम मंदिर भारत का सबसे बड़ा मंदिर है। इसके मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा हैं। अहमदाबाद का रहने वाला सोमपुरा परिवार, दुनिया के कई देशों में हिंदू मंदिरों के अब तक 100 से ज्यादा डिजाइन बना चुका है। चंद्रकांत सोमपुरा के दादा प्रभाशंकर ओघड़भाई नागर शैली के मंदिरों के अग्रणी डिजाइनरों में से एक रहे हैं। उन्होंने ही आधुनिक सोमनाथ मंदिर का डिजाइन और निर्माण किया था। सोमपुरा परिवार पिछले 36 सालों से राम मंदिर के निर्माण से जुड़ा हुआ है। देश की प्रसिद्ध निर्माण कम्पनी लार्सन एंड टुब्रो मंदिर के डिजाइन और निर्माण की नि:शुल्क देखरेख कर रही है यानी इस परियोजना की ठेकेदार है। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान और बॉम्बे, गुवाहाटी व मद्रास आईआईटी मिट्टी परीक्षण, कंक्रीट और डिजाइन जैसे क्षेत्रों में सहायता कर रही हैं।
अयोध्या का राम मंदिर, राम जन्मभूमि क्षेत्र में 2.7 एकड़ में बन रहा है, लेकिन अगर इसमें ‘परिक्रमा पथ’ भी जोड़ लिया जाए तो यह पूरा परिसर आठ एकड़ का हो जाता है। मंदिर की लम्बाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। मंदिर तीन मंजिला है और हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। मंदिर में कुल 392 खंभे हैं— गर्भगृह में 160 और ऊपरी तल में 132 खंभे हैं। राम मंदिर में दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए रैंप और लिफ्ट की भी व्यवस्था होगी। मंदिर में कुल 44 द्वार हैं। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान राम का बालरूप होगा, जबकि प्रथम तल के गर्भगृह में श्री राम दरबार होगा। मंदिर परिसर में छह दूसरे मंदिर भी बनाए जा रहे हैं। ये सभी मंदिर, मंदिर परिसर में चारों कोनों पर होंगे। इनमें भगवान सूर्य, माता भगवती, भगवान गणेश और भगवान शिव को समर्पित मंदिर बनाए जाएंगे। इसके साथ ही उत्तर दिशा में मां अन्नपूर्णा का और दक्षिण दिशा में बजरंगबली का मंदिर होगा। इन छह मंदिरों के अतिरिक्त इसके परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या के भी मंदिर होंगे। साथ ही पक्षीराज जटायु की विशाल मूर्ति भी लगाई जाएगी। मंदिर परिसर में प्रार्थना कक्ष, राम कथा कुंज, वैदिक पाठशाला, संत निवास, यति निवास, संग्रहालय और कैफेटेरिया को भी डिजाइन किया गया है। मंदिर के साथ इनका निर्माण भी किया जा रहा है। जब यह मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा। 
मंदिर का मुख्य द्वार ‘सिंह द्वार’ है, जोकि पूर्व दिशा में है। मंदिर में सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर प्रवेश होगा। मंदिर के इस भव्य द्वार का निर्माण लगभग साढ़े 13 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। इसके लिए मिज़र्ापुर से नक्काशीदार गुलाबी पत्थर मंगाए गए हैं। राम मंदिर के दोनों तरफ 12.12 मीटर के स्तंभ बनाए जा रहे हैं। इन स्तंभों के बीच की दूरी करीब 30 मीटर होगी। पूरा बन जाने के बाद मंदिर में कुल 36 दरवाजे होंगे, जिसमें से 18 दरवाजे गर्भ गृह के होंगे। राम मंदिर के ये सभी दरवाजे सागौन की लकड़ी से तैयार किए जा रहे हैं। इन दरवाजों की विशेषता यह होगी कि ये सभी स्वर्णजड़ित होंगे। हर दरवाजे पर करीब 3 किलो सोना लगा होगा। इन दरवाजों को हैदराबाद के कारीगरों ने तैयार किया है। मंदिर के दरवाजों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। अयोध्या के राम मंदिर का मालिक श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट है, क्योंकि मंदिर की जमीन का स्वामित्व इसी के पास है। मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति को कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। यह मूर्ति भगवान राम के पांच साल के बालस्वरूप की है।
अभी तक सिर्फ राम मंदिर का भूतल बनकर तैयार हुआ है। संपूर्ण मंदिर बनकर तैयार होने में दो साल और लगेंगे। आगामी 22 जनवरी को दिन में 12:29:08 से 12:30:32 के बीच, मृगशिरा नक्षत्र में, रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसके साथ ही, रामलला गर्भगृह में शिफ्ट हो जाएंगे। राम मंदिर में भगवान राम का सिंहासन 3 फीट ऊंचा और 8 फीट लंबा होगा। यह सिंहासन संगमरमर से बना है। इस पर भी सोना मढ़ा होगा। सिंहासन के साथ-साथ मुकुट और दूसरे जेवरात भी सोने के होंगे। रामलला की चरण पादुकाएं भी सोने की होंगी, जिनका वज़न करीब 1 किलो है। मंदिर परिसर के स्तम्भों में भगवान राम की 5,000 से ज़्यादा आकृतियां बनाई जा रही हैं। अगर मंदिर में लगाए गये घंटे की बात करें तो यह इतना खास है कि घंटे की गूंज पूरे अयोध्या में लोग सुन सकते हैं। मंदिर के अंदर लगने वाला यह घंटा 2100 किलोग्राम का है और अष्टधातु (सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, लेड, टिन, आयरन, मरकरी) से तैयार किया गया है। इस घंटे को एटा के जलेसर में तैयार किया गया है। घंटे को तैयार करने वाली फैक्टरी के मालिकों का कहना है कि इस घंटे में सालों तक जंग नहीं लगेगी। इसको बजाने पर आवाज 15 किलोमीटर तक सुनाई देगी। इस विशाल घंटे के अलावा भी मंदिर में कुछ अन्ये बड़े घंटे होंगे, जिनका वजन 500 से 600 किलो तक होगा।
आगामी 22 जनवरी, 2024 को  प्रभु श्री राम, रामलला के रूप में जिस सिंहासन पर विराजमान होंगे, वह बनकर तैयार हो चुका है। यह सिंहासन संगमरमर से तैयार किया गया है और इस पर सोना मढ़ा है। इसके अलावा भगवान राम के मुकुट से लेकर तमाम तरह के जेवरात भी सोने के होंगे। मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की जो मूर्ति स्थापित होगी, वह उनके बाल रूप की है। मंदिर में नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप के साथ पांच अन्य मंडप भी बनाए गए हैं। मंदिर में हर दिन तीन बार आरती होगी। सुबह 6:30 बजे, दोपहर 12:00 बजे और शाम 7:30 बजे। आगामी रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य का प्रकाश जब रामलला के माथे पर पड़ेगा, उसे रामलला की मूर्ति का सूर्य तिलक कहा जाएगा। नई मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पुरानी मूर्ति जो फिलहाल छोटे मंदिर में स्थापित है, उसकी भी नई मूर्ति के साथ गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके साथ ही मंदिर परिसर में स्नान क्षेत्र, वॉशरूम, वॉशबेसिन, खुले नल आदि के साथ एक अलग ब्लॉक भी होगा।

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