समूची धरती के नायक हैं श्री राम

दुनिया के 185 मूल देशों में से भगवान राम को 182 देशों में पूजा जाता है। मॉरिशस, नेपाल, लाओस, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया व इंडोनेशिया में राम राष्ट्रीय आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं, भले इनमें से कई देशों में हिंदू धर्म नहीं है। दुनिया में कई सौ रामायण हैं। नेपाल, इंडोनेशिया, जावा, इंडोचायना, बर्मा (म्यांमार) सबकी रामायणों में राम भारत के नहीं, स्थानीय नायक हैं। यही नहीं, इन देशों में ऐसे कई चिन्ह, कई ऐसे प्रतीक मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि राम जी यहां रहे होंगे या यहां पहुंचे होंगे। बैंकॉक में रामायण चित्रों की विश्व में सबसे लंबी शृंखला है। राम जैसी वैश्विक व्याप्ति दुनिया के किसी और नायक की नहीं है। ऐसी वैश्विक श्रद्धा भी किसी दूसरे महापुरुष के प्रति नहीं है। सवाल है ऐसा क्यों? क्योंकि आज तक धरती पर भगवान राम जैसा कोई दूसरा आदर्श पुरुष नहीं हुआ। किसी काल्पनिक आदर्श पुरुष में जितने आदर्श गुण हो सकते हैं, भगवान राम में वे सभी गुण समाहित हैं। वह अपने साहस, निष्ठा और समर्पण के लिए जाने जाते हैं। उन्हें धार्मिकता, भक्ति और त्याग का अवतार माना जाता है। उन्हें धर्म यानी व्यवस्था के पालन के लिए जाना जाता है। उन्होंने एक राजकुमार, एक भाई, एक पति, एक बेटे और एक इन्सान के रूप में धरती का सर्वश्रेष्ठ आदर्श स्थापित किया है। 
कितनी ही विपरीत से विपरीत स्थितियां पैदा हुई हों, राम ने कभी धर्म का मार्ग नहीं त्यागा, उसका हमेशा पालन किया है। बड़ी से बड़ी विपरीत परिस्थिति में भी वह अपने नैतिक सिद्धांतों से नहीं डिगे। भगवान राम का संत चरित्र उनकी कहानी और उनकी शिक्षाएं दुनिया के करोड़ों लोगों को प्रेरित करती हैं। कुछ लोग उन्हें दिव्य प्रेम और भक्ति के प्रतीक के रूप में पूजते हैं, तो कुछ उन्हें एक आदर्श इन्सान मानते हैं और उन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ के रूप में चित्रित करते हैं अर्थात पूर्ण पुरुष। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ मर्यादाओं का पालन किया है। राम ने सभी रिश्तों को मान दिया है। इसलिए उन्हें आदि पुरुष भी कहा जाता है। पूरी दुनिया इस पर सहमत है कि भगवान राम ने ही धरती में सभ्य समाज की स्थापना की है। उन्होंने अपने आचरण से दया, सत्य, सदाचार, मर्यादा, करुणा और धर्म के पालन का आदर्श उदाहरण पेश किया है। उन्हें आदि पुरुष इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कभी भी एक क्षणमात्र को भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। चाहे भूमिका एक राजकुमार की रही हो या एक भाई की, एक पति की रही हो या एक बेटे की, एक सामान्य मनुष्य की रही हो या एक शासक की, राम ने हमेशा धर्म के मार्ग का अनुसरण किया।
  वह हमेशा उस बात के लिए खड़े रहे जो सही थी, चाहे उसके लिए उन्हें कोई भी कीमत चुकानी पड़ी हो। वह हमेशा समाज के वंचित लोगों के साथ खड़े रहे। सहनशीलता और धैर्य जैसे गुण तो उनमें पराकाष्ठा की हद तक हैं। वह कभी किसी की निंदा नहीं करते। वह हमेशा कृतज्ञता, विनम्रता और अपनत्व से भरे रहते हैं। समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक दुनिया में 16 आदर्श गुणों को चिन्हित करते हैं और आश्चर्य नहीं कि ये सभी गुण दुनिया की जिस एकमात्र शख्सियत में मौजूद मिलते हैं, वह श्री राम हैं। दुनिया में कोई भी ऐसा राजनीतिक या वैचारिक समुदाय नहीं है, जिसने कभी राम का विरोध किया हो। रामजन्मभूमि के विरुद्ध केस लड़ने वाले मुस्लिमों ने भी कभी राम की अवमानना नहीं की। उन्होंने भी उन्हें हमेशा इमामे हिंद माना है। राम किस तरह सर्वगुण सम्पन्न हैं, इसे राजा दशरथ की उन्हें लेकर की गयी विवेचना से पता चलता है। वह राम को राजा बनाना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने नगरवासियों की एक सभा बुलाई है। उसमें वह कहते हैं, ‘वह लक्ष्मण के भाई हैं, वह लक्ष्मीवान हैं, क्योंकि उनका विवाह लक्ष्मी का अवतार सीता से हुआ है। यदि राम राजा बनते हैं, तो तीनों लोक समृद्ध होंगे, क्योंकि वे इससे बेहतर शासक की अपेक्षा नहीं कर सकते। इसके बाद दशरथ उपस्थित लोगों से उनकी राय पूछते हैं। उनकी राय है कि राम अयोध्या के राजा बनने के लिए आदर्श विकल्प हैं। 
भगवान राम में सारे आदर्श गुणों के साथ उनका व्यक्तित्व भी अनुपम था। महर्षि वाल्मीकि ने उनके व्यक्तित्व का वर्णन करते हुए कहा है, ‘उनका चेहरा चंद्रमा के समान सौम्य, कांतिवाला, कोमल और सुंदर था। उनकी आंखें बड़ी और कमल के समान थीं। उनकी नाक उन्नत और चेहरे के अनुरुप सुडौल थी। उनके होंठों का रंग उगते हुए सूर्य की तरह रक्ताभ था। वह विद्वान, बुद्धिमान और अच्छे वक्ता थे। सम्पूर्ण विद्याओं के ज्ञानी और वेदों के ज्ञाता थे। 
शस्त्र विद्या में वह अपने पिता से भी आगे थे। उनकी स्मरण शक्ति अद्भुत थी। कोई कितना भी प्रयास कर ले, उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता था।’ ये राम के आदर्श गुण ही हैं कि वह सदियों से हमारी संस्कृति के नायक हैं। जब कोई दो अजनबी लोग भी मिलते हैं, वे एक-दूसरे से राम राम कहते हैं।
 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर