जब किसी को परखना हो तो उसे किसी मुश्किल या चुनौती के समय में ही परखा जा सकता है- पीएम मोदी 

नई दिल्ली, 9 फरवरी - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "ग्लोबल बिज़नेस समिट की टीम ने इस बार समिट की जो थीम रखी है, वो खुद में बहुत अहम है। विघटन, विकास और विविधीकरण। आज के दौर में ये बहुत ही चर्चित शब्द है और विघटन, विकास और विविधीकरण की इस चर्चा में हर कोई इस बात पर सहमत है कि ये भारत का समय है। किसी भी देश की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है जब सारी परिस्थितियां उसके पक्ष में होती हैं। जब वो देश अपने आप को आने वाली कई सदियों के लिए मजबूत बना लेता है। मैं भारत के लिए आज वही समय देख रहा हूं। जब किसी को परखना हो तो उसे किसी मुश्किल या चुनौती के समय में ही परखा जा सकता है। कोरोना महामारी और उसके बाद का पूरा कालखंड भी पूरे विश्व में सरकारों के लिए एक बड़ी परीक्षा बनकर आया था। किसी को ये अंदाजा नहीं था कि स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था की इस दोहरी चुनौती से कैसे निपटा जाए। मैं लगातार टीवी पर आकर देश के साथ संवाद करता था और संकट की उस घड़ी में सीना तानकर देशवासियों के सामने हर पल खड़ा रहा था... मैंने जान बचाने को प्राथमिकता दी थी और हमने कहा, जान है तो जहान है।" हमारे यहां कांग्रेस सरकार के समय से ही कागजोे में 10 करोड़ ऐसे नाम चले आ रहे थे जो फर्जी लाभार्थी थे। ऐसे लाभार्थी जिनका जन्म ही नहीं हुआ था। ऐसी विधवाएं, जो बेटी कभी पैदा ही नहीं हुई थी। हमने ऐसे 10 करोड़ फर्जी नामों को कागजों से हटाया... एक प्रधानमंत्री कहकर गए थे कि 1 रुपया निकलता है तो 15 पैसा पहुंचता है। हमने डायरेक्ट ट्रांस्फर किए, 1 रुपया निकलता है तो 100 पैसे पहुंचते हैं। मैंने पिछली सरकारों से कहीं ज्यादा तेजी से, कई ज्यादा बड़े स्तर पर काम करना तय किया और आज इसका परिणाम दुनिया देख रही है। कई ऐसे विभाग हैं जिनमें पिछले 10 सालों में इतना काम हुआ है जितना पिछले 70 सालों यानी 7 दशकों में नहीं हुआ। आप 7 दशकों और 1 दशक की तुलना कीजिए। 2014 तक 7 दशक में करीब 20 हजार किलोमीटर रेलवे लाइन का विद्युतीकरण हुआ। हमने अपनी सरकार के 10 साल में 40 हजार किलोमीटर से अधिक रेलवे लाइन का विद्युतीकरण किया है।