आईएनएस संधायक समुद्र में भारतीय नौसेना का ‘गूगल मैप’

३ फरवरी को भारतीय नौसेना में एक और बाहुबली योद्धा शामिल हो गया, जिसके बाद भारत की नौसैनिक ताकत और बढ़ गई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित एक समारोह में नौसेना में कमिशन किए गए भारतीय नौसेना के पहले सर्विलांस जहाज ‘आईएनएस संधायक’ को समुद्र में भारत का ‘गूगल मैप’ बताया गया है। भारत का यह सर्वेक्षण जहाज न केवल समुद्र में भारतीय नौसेना की यात्रा को आसान तथा और ज्यादा आरामदायक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा बल्कि समुद्र में गूगल मैप की ही भांति कार्य करेगा। दरअसल समुद्र में ‘गूगल मैप’ या ‘सिरी’ जैसा कोई भी ऐसा मोबाइल एप्लिकेशन नहीं है, जो हमें समुद्र में अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद कर सके, इसीलिए समुद्र में सर्वेक्षण जहाजों द्वारा तैयार किए गए चार्ट और मानचित्र पर ही निर्भर रहना पड़ता है। न सिर्फ नौसैनिक जहाजों को बल्कि वाणिज्यिक जहाजों को भी ऐसे मानचित्रों की आवश्यकता होती है, जो एक स्थान से दूसरे स्थान तक नेविगेट करना संभव और आसान बनाते हैं। ऐसे में नौसेना में शामिल किए गए आईएनएस संधायक की भूमिका भारतीय नौसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी। आईएनएस संधायक एक सर्वेक्षण जहाज है, जिसकी प्राथमिक भूमिका सुरक्षित समुद्री नेविगेशन को सक्षम करने की दिशा में बंदरगाहों, नौवहन चैनलों अथवा मार्गों, तटीय क्षेत्रों तथा गहरे समुद्रों का पूर्ण पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना है। इसके अलावा संधायक कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों को भी अंजाम देने में सक्षम साबित होगा। आईएनएस संधायक बंदरगाहों से लेकर समुद्री तटों तक की निगरानी करेगा, ज़रूरत पढ़ने पर इसमें चेतक हेलीकॉप्टर की भी तैनाती की जा सकती है।
रक्षामंत्री के मुताबिक आईएनएस संधायक भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक महाशक्ति के रूप में भारत की भूमिका को और मज़बूत करेगा तथा भारतीय नौसेना को शांति और सुरक्षा बनाए रखने में मदद करेगा। गहरे और उथले पानी के मल्टी-बीम इको-साउंडर्स, उपग्रह-आधारित पोजीशनिंग सिस्टम और स्थलीय सर्वेक्षण उपकरण, ऑटोनॉमस अंडरवाटर वाहन, दूर से संचालित वाहन, साइड स्कैन सोनार, डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली सहित अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से सुसज्जित आईएनएस संधायक का विस्थापन 3400 टन और कुल लम्बाई 110 मीटर है तथा इसका बीम 16 मीटर है। यह समुद्र में 30 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चल सकता है। वैसे तो इसकी रेंज 11 हजार किलोमीटर है लेकिन यदि गति कम की जाए तो यह 26 हजार किलोमीटर तक जा सकता है। वैसे संधायक भारत का सबसे पुराना सर्वे शिप है, जिसे 1981 से 2021 तक नौसेना में इस्तेमाल किया जा चुका है और इसे 4 जून 2021 को और आधुनिक बनाने के लिए नौसेना से सेवानिवृत्त कर दिया गया था। ‘आईएनएस संधायक’ अपने पुराने संधायक रूप से वर्तमान अवतार में नई तकनीक और पुराने नाम के साथ लौटा है, जिसे नौसेना दिवस के अवसर पर 4 दिसम्बर, 2023 को नौसेना को सौंपा गया था और अब यह नौसेना का अटूट हिस्सा बन गया है। आईएनएस संधायक समुद्र के पानी की गुणवत्ताए धाराओं, लहरों और ज्वार-भाटा का डेटा इकट्ठा करने, समुद्री क्षेत्रों की निगरानी और खतरों का पता लगाने, समुद्री पर्यावरण और समुद्री जीवन का अध्ययन करने, आपदाओं के दौरान प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
‘आईएनएस संधायक’ फिक्स्ड-पिच प्रोपेलर के साथ दो समुद्री डीजल इंजनों द्वारा चलता है, जिसमें 18 अधिकारी तथा 160 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं। 288.1 फीट लम्बे इस जहाज में एक बोफोर्स 40 एमएम गन भी लगी है। समुद्र में सर्वेक्षण करने के लिए ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स’ (जीआरएसई) कोलकाता द्वारा बनाए गए संधायक के जरिये अब समुद्र में चीन के जासूसी जहाजों को करारा जवाब दिया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ऐसे ही चार और सर्वे जहाज बनाए जाएंगे और इस परियोजना का संचालन भारतीय नौसेना की वारशिप डिजाइन ब्यूरो करेगी। यह परियोजना नौसेना द्वारा समुद्र में काम करने की सर्वोत्कृष्ट आवश्यकता के बढ़ते महत्व को उजागर करती है। संधायक जीआरएसई द्वारा बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण जहाजों या एसवीएल (सर्वे वेसल लार्ज) की श्रृंखला में से पहला सर्वेक्षण जहाज है और भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया यह सर्वेक्षण जहाज भारत में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा सर्वेक्षण जहाज है। जीआरएसई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सेवानिवृत्त कमोडोर पीआर हरि का कहना है कि वे प्रतिबद्ध समय सीमा के अनुसार एसवीएल परियोजना के शेष तीन जहाजों की डिलीवरी करने के लिए भी आश्वस्त हैं। नए आईएनएस संधायक के साथ श्रृंखला के बाकी जहाज भी अपने पिछले जहाजों की तुलना में कहीं अधिक उन्नत होंगे।
आईएनएस संधायक भारत में निर्मित होने वाला 34वां युद्धपोत है। नौसेना में पिछले 10 वर्षों में जिन 33 युद्धपोतों और पनडुब्बियों को शामिल किया गया है, वे सभी भारत में ही निर्मित हैं और संधायक भारत में ही निर्मित होने वाला 34वां युद्धपोत है। ‘संधायक’ का शाब्दिक अर्थ है ‘वह जो विशेष खोज करता है’ और रक्षामंत्री के मुताबिक चार अत्याधुनिक सर्वेक्षण जहाजों के बड़े वर्ग के पहले जहाज के लिए यह एक उपयुक्त नाम है। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार के मुताबिक नौसेना ने पिछले दशक में स्वदेशी और अत्याधुनिक प्लेटफार्मों की एक समान बड़ी श्रृंखला को लांच करने का कार्य किया हैए फिर चाहे वह शक्तिशाली विमान वाहक आईएनएस विक्रांत हो या आईएनएस विशाखापत्तनम श्रेणी के घातक विध्वंसक, बहुमुखी नीलगिरी वर्ग के युद्धपोत, गुप्त कलवरी वर्ग की पनडुब्बियां हों या विशेष गोताखोरी सहायक जहाज, हम एक उभरते हुए भारत की सेवा में एक संतुलित और आत्मनिर्भर बल का सावधानीपूर्वक निर्माण कर रहे हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक समुद्र विशाल एवं अथाह है और इसके तत्वों का पता लगाने में हम जितने ज्यादा सक्षम होंगे, उतना ही हमारा ज्ञान बढ़ेगा और हम मजबूत बनेंगे, जितना ज्यादा हम महासागर, इसकी पारिस्थितिकी, इसकी वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानकारी एकत्रित करेंगे, हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के उतने ही करीब पहुंचेंगे। हम महासागर के बारे में जितना अधिक जानेंगे, उतने ही अधिक सार्थक ढ़ंग से हम अपने सामरिक हितों को पूरा कर पाएंगे।