बच्चों को भी सिखाएं फूड एंड टेबल मैनर्स

कहीं लंच पर जाना हो या डिनर पर, बच्चे तो साथ होते ही हैं। अगर वे सलीके से भोजन प्लेट में डालते और खाते हैं तो वे सबकी आंखों के तारे बन जाते हैं। माता पिता को भी गर्व महसूस होता है। अगर बच्चे बेतरतीब प्लेट उठाकर उसमें सारा खाना ठूंस लेते हैं तो खाने की बेकद्री और वेस्टेज के साथ-साथ आपकी शर्मिंदगी का कारण भी बनते हैं। जरा सोचिए अगर आप अपने बड़े परिवार या फ्रेंडस के साथ डिनर पर किसी रेस्तरां में गए हैं, वहां बच्चों का खाने-पीने का सलीका और बात करने का लहजा अच्छा है, इससे दूसरों पर क्या इंप्रेशन पड़ता है सोचकर ही मन प्रफुल्लित हो उठेगा।
बच्चों को बताएं खाने के तौर तरीके
बात जब मील मैनर्स की हो तो छोटों के साथ बड़ों के लिए भी ये ज़रूरी है। बड़े इन्हें सही तरीके से अपनाते हैं तो छोटे भी उन्हें अपनाने में अग्रसर रहेंगे। मेज कुर्सी पर बैठकर या जमीन पर बैठ कर खा रहे हैं तो सबसे पहले नैपकिन को अपने घुटनों पर बिछाएं और घुटने मेज के अन्दर। अपना खाना आराम से एक-एक कौर लेकर खाएं और धीरे-धीरे चबाकर खाएं। 
पेय पदार्थों का कैसे करें सेवन
खाने के साथ बच्चे अक्सर सॉफ्ट ड्रिंक्स लेना पसंद करते हैं विशेषकर समारोहों पर, रेस्टरां में आदि। उन्हें सिखाएं कि खाने के साथ-साथ ड्रिंक्स का सिप भी लेते रहें। सिप आराम-आराम से लें। एक ही बार में बहुत अधिक ड्रिंक न पिएं। 
सबके साथ खाने लगे हैं तो
बड़े ग्रुप में अगर आप खाना खा रहे हैं तो बच्चों को बताएं अपना खाना खत्म होने पर एकदम न उठ जाएं। औरों के खाने के खत्म होने पर इंतजार करें। बीच में उठ जाना गलत आदत है। खाने की खाली प्लेट टेबल पर न खिसकाएं। अपनी लैप पर ही रखें। नैपकिन भी बिछा रहने दें। अगर आपको ज़रूरी उठना हो तो एस्क्यूज मी कह कर उठें। घर पर हैं तो प्लेट किचन में रखें। 
जूठन न बचाएं
बड़े हों या बच्चे, प्लेट में उतना ही खाना लें जितना आपको खाना है। सब्जी एक-एक कर दो से अधिक प्लेट में न डालें। सब्जी की मात्र कम लें। स्वाद लगने पर तो समाप्त होने पर पुन: सर्विंग लें। बच्चों को किसी गलत बात पर टोकना पड़े तो प्यार से टोकें। खाना आवाज़ करते हुए न खाएं। खाते समय बातें कम करें नहीं तो खाने के कण दूसरे पर गिर सकते हैं परंतु बच्चों की नाजायज मांग पूरी न करें। अंत में उन्हें उनकी पसंद का डेजर्ट भी खिलाएं।  

(उर्वशी)