सत्र की उपलब्धि

पंजाब विधानसभा में बजट सत्र शुरू होने पर जिस तरह का माहौल बना है, उसके दृष्टिगत आगामी दिनों में इस सत्र से कोई सार्थक परिणाम निकलने की उम्मीद नहीं की जा सकती। लोकसभा चुनावों से पहले यह सत्र बहुत ही संक्षिप्त रखा गया है। पहली मार्च से शुरू होकर यह 15 मार्च तक चलेगा। इस दौरान पांच छुट्टियां होंगी। इसी में ही वार्षिक बजट पेश किया जाएगा, जिस तरह का माहौल बन गया है, उसमें बजट पर कोई भी सार्थक एवं गम्भीर बहस होने की सम्भावना नहीं है। विगत दिवस से कुछ किसान संगठनों ने ‘दिल्ली चलो’ के नारे तहत जिस तरह हरियाणा की सीमाओं पर धरने लगाए हुए हैं तथा जिस सख्ती से हरियाणा सरकार द्वारा उन्हें अपने प्रदेश के भीतर दाखिल होने से रोका जा रहा है एवं यदि वह ज़बरन भीतर दाखिल होने का यत्न भी करते हैं तो जो व्यवहार हरियाणा पुलिस द्वारा उनके साथ किया जा रहा है, उसने एक नई स्थिति को जन्म दे दिया है। विपक्षी पार्टियों के नेताओं द्वारा लगातार ये बयान दिये जा रहे हैं कि इस मामले पर हरियाणा के साथ-साथ पंजाब सरकार भी केन्द्र के साथ मिली हुई है, इसी कारण उसकी ओर से हरियाणा द्वारा की गई सख्ती के खिलाफ कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाया गया। धरने के दौरान एक किसान की मौत होने के बाद भी कई दिनों तक उसके अंतिम संस्कार को लेकर मामला लटकता रहा, उसे देखते सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पंजाब सरकार इस मामले के प्रति बेहद दुविधा में रही है। उसकी अपने राज्य के लोगों की सुरक्षा संबंधी प्रतिबद्धता भी बेहद कमज़ोर सिद्ध हुई है। ऐसा ही आरोप विपक्षी पार्टियां उस पर लगा रही हैं।
जहां तक पंजाब के बजट का संबंध है, चाहे वित्त मंत्री अधिक आय होने के बयान दे रहे हैं तथा सरकार द्वारा दी जा रही रियायतों की भी बात करते रहते हैं, परन्तु उनमें इस कारण वज़न दिखाई नहीं देता, क्योंकि मात्र दो वर्ष की अवधि में ही पंजाब के सिर पर ऋण की गठरी और भारी हो गई है। सरकार द्वारा आरम्भ की गईं जन-कल्याण योजनाएं अपना प्रभाव छोड़ने में असमर्थ साबित हो रही हैं। राज्य में अमन-कानून  व्यवस्था बेहद बिगड़ चुकी है। लोगों के दिल में घबराहट एवं असन्तोष है। स्थान-स्थान पर लगते धरनों एवं प्रदर्शनों ने समूचे हालात को बिगाड़ कर रख दिया है। व्यापारी एवं उद्योगपति बेहद परेशानी में से गुज़र रहे हैं तथा उन्हें बड़े आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। चाहे सरकार बिजली के ज़ीरों बिलों की बात करती है परन्तु अधिकतर स्थानों पर बिजली की कमी बुरी तरह खटकने लगी है। आगामी गर्मियों में तो इस पक्ष से हालात और भी खराब होने की सम्भावना बन गई है। सरकार की ओर से समय पर सबसिडी के पैसे न मिलने के कारण बिजली निगम की हालत भी अवसान की तरफ जा रही है। 
जिस तरह अपनी प्रशंसा करवाने के लिए मुख्यमंत्री पंजाब के खज़ाने को देश भर में हर तरह की विज्ञापनबाज़ी करने में लुटा रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि उन्हें राज्य की लगातार बिगड़ रही आर्थिक हालात की कोई चिन्ता नहीं है। सरकार द्वारा जो भी योजनाएं बनाई गई हैं, वे आधी-अधूरी ही दिखाई देती हैं, वह पूर्ण भी हो सकेंगी, इसकी किसी को उम्मीद नहीं है। ऐसे हालात में विपक्षी पार्टियों के पास सरकार की कड़ी आलोचना करने के अनेक ही कारण दिखाई देते हैं। इसलिए आज विपक्षी नेताओं की आवाज़ में बड़ा प्रभाव दिखाई देने लगा है। सरकार की  ऐसी कारगुज़ारी एवं बन रहे ऐसे प्रभाव का निश्चय ही आने वाले लोकसभा चुनावों पर व्यापक असर पड़ सकता है। यदि आम आदमी पार्टी पूर्व सरकारों के बने नकारात्मक प्रभाव के चलते बनी एक लहर के कारण सत्ता में आई थी तो आज ऐसा ही प्रभाव मौजूदा सरकार के विरुद्ध भी बनता दिखाई दे रहा है। अब हवा का रुख बदलता प्रतीत होने लगा है। जिस तरह आगामी दिनों में विधानसभा के इस सत्र में कोई बड़ी उपलब्धि नज़र नहीं आ रही, उस कारण प्रदेश के लोगों की मायूसी में और भी भारी वृद्धि होने की सम्भावना बनती दिखाई दे रही है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द